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अब फडणवीस-शिंदे में ऑल इज वेल... निगम चुनावों में BJP-शिवसेना की दोस्ती मजबूरी भी, जरूरी भी

महाराष्ट्र के नगर परिषद चुनाव में सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की सियासी केमिस्ट्री बिगड़ गई थी, लेकिन अब फिर से दोनों ने अपने सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक साथ मिलकर नगर निगम और जिला परिषद के चुनाव लड़ने का फैसला किया है. BJP-शिवसेना की दोस्ती मजबूरी है या फिर जरूरी भी है?

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सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टीसीएम एकनाथ शिंदे में फिर बनी केमिस्ट्री (Photo-PTI)
सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टीसीएम एकनाथ शिंदे में फिर बनी केमिस्ट्री (Photo-PTI)

महाराष्ट्र नगर निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बिगड़े राजनीतिक रिश्ते अब दोबारा से सियासी पटरी पर लौट आए हैं. फडणवीस और शिंदे के बीच सोमवार को एक बंद कमरे में बैठक हुई, जो करीब डेढ़ घंटे तक चली. इसके बाद एकनाथ शिंदे ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि आगामी निकाय चुनाव बीजेपी और शिवसेना मिलकर लड़ेंगे.

सूबे के स्थानीय निकाय चुनाव तीन चरण में हो रहे हैं. पहले चरण में नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत के लिए वोटिंग हो चुकी है. जिला परिषद और नगर निगम के चुनाव होने बाकी हैं. नगर परिषद के चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने एक-दूसरे के खिलाफ सिर्फ प्रत्याशी ही नहीं उतारे थे, बल्कि एक-दूसरे के नेताओं को अपने-अपने खेमे में भी मिला लिया था.

फडणवीस और शिंदे की दोस्ती पर सवाल खड़े होने लगे थे, क्योंकि एक-दूसरे के खिलाफ जुबानी जंग देखने को मिली थी. स्थानीय निकाय चुनाव के पहले चरण की वोटिंग के बाद सोमवार को महायुति के शीर्ष नेताओं की बैठक हुई. इस दौरान फिर से महायुति को एकजुट रखने का फैसला हुआ और आगामी निकाय चुनाव में मिलकर लड़ने का भी फैसला किया.

फडणवीस-शिंदे की फिर हुई दोस्ती

महाराष्ट्र के आगामी निकाय चुनावों को लेकर सोमवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच बैठक हुई, जिसमें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और वरिष्ठ शिवसेना नेता रवींद्र चव्हाण भी मौजूद थे. डेढ़ घंटे तक चली बैठक के बाद शिंदे ने कहा कि बीजेपी और शिवसेना ने फैसला किया है कि आगामी चुनाव मिलकर लड़ेंगे. इस तरह से महायुति आने वाले नगर निगम और जिला परिषद चुनावों में मिलकर किस्मत आजमाएगी.

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शिंदे ने अपनी पार्टी के सभी विधायकों और मंत्रियों को गठबंधन धर्म का पालन करने और ऐसे किसी भी बयान या व्यवहार से बचने की सलाह दी, जिससे बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के महायुति गठबंधन के रिश्ते खराब न हों. नागपुर में शिवसेना के विधायकों और मंत्रियों को संबोधित करते हुए शिंदे ने कहा कि पार्टी ने 168 नगर परिषदों में अध्यक्षों और 4,000 पार्षदों के पदों के लिए चुनाव लड़ा है.

उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों के पहले चरण में शिवसेना के लिए माहौल बहुत अच्छा था, जिसके लिए 2 दिसंबर को वोटिंग हुई थी, और पार्टी ने अच्छा मुकाबला किया, उन्होंने कहा कि नतीजे भी पार्टी के लिए अच्छे होंगे. 

बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी की केमिस्ट्री

उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बात से साफ है कि बीजेपी के साथ बिगड़े राजनीतिक रिश्ते को फिर से सुधारने और साथ में मिलकर चुनाव लड़ने की दिशा में कदम उठाया जा रहा है. उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा कि नगर निगम और जिला परिषद चुनाव महायुति गठबंधन के तौर पर लड़े जाएंगे. साथ ही उन्होंने अपने नेताओं से कहा कि गठबंधन धर्म का पालन करें, कोई भी विवादित बयान न दें या ऐसा कुछ भी न करें जिससे गठबंधन में कोई विवाद खड़ा हो.

महाराष्ट्र में 31 जनवरी 2026 से पहले स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं. निकाय चुनाव की प्रक्रिया तीन चरणों में होनी है. पहले चरण में नगर परिषद व नगर पंचायत के चुनाव हो चुके हैं. दूसरे चरण में जिला परिषदों और पंचायत समितियों के चुनाव होने हैं. इसके बाद मुंबई, पुणे, ठाणे और नागपुर जैसे बड़े नगर निगम के चुनाव हैं.

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महाराष्ट्र निकाय चुनाव की पहली ही लड़ाई में दोस्त दुश्मन बन गए थे. 246 नगर पालिका और 42 नगर पंचायत के चुनाव में महायुति पूरी तरह बिखर गई थी. बीजेपी और शिवसेना ही नहीं, एनसीपी भी अलग-अलग चुनाव लड़ी थी, बल्कि एक-दूसरे के नेता को भी अपने साथ मिलाकर उन्हें मैदान में उतार दिया था.

शिंदे ने कहा कि निकाय चुनाव के पहले चरण में कुछ विवाद हो गए थे, लेकिन अब मामला खत्म हो गया है. अब आगे महायुति मिलकर जिला परिषद और नगर निगम के चुनाव लड़ेंगे.

महायुति की एकता: मजबूरी या फिर जरूरी?

महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव पहले चरण में बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के बीच जिस तरह मनमुटाव दिखा था, उससे महायुति के घटक दलों के बीच सियासी रार छिड़ गई थी. इस चुनाव में कई सीटों पर बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना आमने-सामने उतरने से तमाम तरह के सवाल खड़े होने लगे थे. ऐसे में महायुति के लिए अपनी एकता को बनाए रखना सियासी मजबूरी और जरूरी दोनों हो गया था.

उद्धव ठाकरे खेमा भी कहने लगा था कि एकनाथ शिंदे ने जो बोया है, वही काट रहे हैं. उनके विधायकों को बीजेपी अपने साथ मिला लेगी. नगर परिषद के चुनाव में उनकी पार्टी के नेताओं को बीजेपी ने जिस तरह अपने साथ मिलाया है, उसके बाद शिंदे के सियासी भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे. यही नहीं, ठाकरे परिवार की एकजुटता ने भी शिंदे के लिए सियासी चिंता खड़ी कर दी है, क्योंकि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने नगर निगम चुनाव मिलकर लड़ने की तैयारी की है.

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महायुति बनाम महा विकास अघाड़ी में फाइट

शिंदे ने कहा कि शिवसेना और बीजेपी दोनों दलों के नेताओं के बीच महायुति के रूप में एकजुट होकर निकाय चुनाव लड़ेंगे. दोनों नेताओं के बीच बैठक के बाद अब अगले दो-तीन दिनों में हर नगर निगम के नेताओं के बीच सीटों के बंटवारे और अन्य विवरणों को अंतिम रूप देने के लिए स्थानीय स्तर पर मंथन किया जाएगा. इतना ही नहीं, भाजपा और शिवसेना के बीच सहमति बनी है कि दोनों पार्टियां पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को एक-दूसरे की पार्टियों में अब नहीं मिला सकेंगी.

महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में मुख्य मुकाबला प्रमुख रूप से सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महाविकास अघाड़ी के बीच होना है. महायुति राज्य की सत्ता पर काबिज है और उसके प्रमुख घटक दलों में भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) शामिल हैं. वहीं, महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) और अन्य दल शामिल हैं. इस तरह से बीएमसी जैसे नगर निगम पर कब्जा जमाने के लिए सारे गिले शिकवे भूलकर एक साथ आए हैं.

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