झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झामुमो ने सीआरपीएफ और केंद्र सरकार पर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की साजिश रचने का आरोप लगाया है. झामुमो की ओर से आरोप लगाया गया है कि ईडी के समक्ष सीएम हेमंत सोरेन के बयान दर्ज कराने के समय सीआरपीएफ के लगभग 500 जवान जबरन सीएम आवास में घुस गए और कार्यकर्ताओं से झड़प भी की, इस मामले की जांच होनी चाहिए.
इतना ही नहीं, सीआरपीएफ आईजी, कमांडेंट और वरीय पदाधिकारी पर असंवैधानिक कार्य के लिए उनके खिलाफ करवाई की मांग जेएमएम ने की है. पार्टी ने कहा है की इस मुद्दे पर अगर एक्शन नहीं होगा तो जेएमएम आंदोलन करेगी. जेएमएम ने सवाल उठाते हुए कहा कि बगैर अनुमति के सीएम हाउस तक सीआरपीएफ कैसे पहुंची? हर हाल में सीपीआरएफ तक को जिला प्रशासन से अनुमति की जरूरत है. 20 जनवरी को यहां तकरार की स्थिति पैदा करने की कोशिश की गई है.
दरअसल, झामुमो ने सीआरपीएफ अथॉरिटी और केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. झामुमो ने सीआरपीएफ अथॉरिटी पर आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार के आदेश पर एक सुनियोजित साजिश रची गई, जिसमें सीआरपीएफ आईजी भी शामिल थे. पार्टी की ओर से रविवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सीआरपीएफ के जवानों ने मुख्यमंत्री आवास के आसपास झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं के साथ झड़प की कोशिश की ताकि स्थिति बिगड़ जाए और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का बहाना मिल जाए.
झामुमो की ओर से आरोप लगाया गया है कि शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कांके स्थित आवास पर उनका बयान दर्ज कर रहे थे, उसी दौरान 500 से अधिक सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही एक बस ने बिना अनुमति या पूर्व सूचना के मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश करने की कोशिश की. इस दौरान उनकी झामुमो कार्यकर्ताओं से झड़प भी हुई. सीआरपीएफ के अधिकारी चाहते थे कि प्रदर्शन कर रहे झामुमो कार्यकर्ताओं और सीआरपीएफ जवानों के बीच झड़प हो और प्रदर्शनकारी हिंसक हो जाएं ताकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की भूमिका तैयार की जा सके.
झामुमो ने राज्य सरकार से मांग की है कि शनिवार को की गई असंवैधानिक कार्रवाई के लिए सीआरपीएफ के आईजी और कमांडेंट के साथ-साथ उनके अन्य अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कमेटी से जांच कराई जाए. पार्टी का कहना है कि साजिश का पर्दाफाश होना चाहिए, नहीं तो झामुमो आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी. जेएमएम ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि ईडी अधिकारियों के समक्ष मुख्यमंत्री के बयान की रिकॉर्डिंग के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 2000 पुलिस और वरिष्ठ मजिस्ट्रेटों की प्रतिनियुक्ति की गई थी. इसके बावजूद सीआरपीएफ द्वारा माहौल खराब करने की साजिश रची गई. जिसका खुलासा होना जरूरी है.
झमूमो के आरोप पर बीजेपी ने किया पलटवार
बीजेपी ने इस पर पलटवार किया है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे में फंसे मुख्यमंत्री ध्यान बांटने के लिए जानबूझ कर राज्य को अराजकता में झोकना चाहते हैं. कल हजारों लोगों को तीर धनुष और हथियार के साथ बुलाकर मुख्यमंत्री क्या देश की न्यायिक व्यवस्था, न्यायाधीशों,केंद्रीय एजेंसियों या देश के संविधान को डराना चाह रहे थे? पूछताछ के दौरान जिस तरीके से झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने भड़काऊ नारे लगाए, धारा 144 का उल्लंघन किया. टीवी चैनलों पर झामुमो के नेताओं का लगातार ईडी और सीआरपीएफ पर हमला और सेंदरा करने का आह्वान चलता रहा. अभी तक उनके खिलाफ कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं होना यह सिद्ध करता है कि यह सारा प्रदर्शन स्टेट के द्वारा प्रायोजित था.