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भारत में VIP दौरे के बीच कश्मीर में आतंकी हमलों की पुरानी हिस्ट्री... क्लिंटन से वेंस तक की विजिट पर हुए ये बड़े हमले

पहलगाम में हुए आतंकी हमले को 26/11 के बाद हुए सबसे बड़े हमले के तौर पर भी देखा जा रहा है, जिसमें सीधे तौर पर आम नागरिकों को निशाना बनाया गया है. साथ ही देश में विदेशी मेहमान की मौजूदगी भी हमले की पीछे की नापाक साजिश का पर्दाफाश करती है, क्योंकि आतंकियों की मंशा वैश्विक स्तर पर सुर्खियां बंटोरने की है.

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भारत की यात्रा पर अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस
भारत की यात्रा पर अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस

कश्मीर की धरती एक बार फिर लाल है और दहशतगर्दों ने इस बार छुट्टियां मनाने के लिए पहलगाम घूमने आए पर्यटकों का खून बहाया है. कश्मीर में इसे पर्यटकों पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है, जिसमें 28 लोगों की मौत हो गई है. यह हमला ऐसे वक्त में हुआ जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अपने चार दिवसीय भारत दौरे पर हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सऊदी अरब की यात्रा पर थे, जो हमले के बाद दौरा छोटा कर बुधवार सुबह वापस दिल्ली लौट चुके हैं.

आम नागरिकों की टारगेट किलिंग

पहलगाम में हुए आतंकी हमले को 26/11 के बाद हुए सबसे बड़े हमले के तौर पर भी देखा जा रहा है, जिसमें सीधे तौर पर आम नागरिकों को निशाना बनाया गया है. मुंबई के ताज होटल पर हुए अटैक के दौरान इंग्लैंड क्रिक्रेट टीम भारत में मौजूद थी. ही देश में विदेशी मेहमान की मौजूदगी भी हमले की पीछे की नापाक साजिश का पर्दाफाश करती है, क्योंकि आतंकियों की मंशा वैश्विक स्तर पर सुर्खियां बंटोरने की है.

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'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेटस खत्म होने के बाद से राज्य में पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है, जिसे घाटी में हालात सामान्य होने के संकेत के तौर पर देखा गया. कश्मीर में पर्यटन ने स्थानीय रोजगार और व्यवसायों को कैसे बढ़ावा दिया, यह इस बात की तरफ भी इशारा करता है. यही वजह रही कि घाटी में पर्यटकों को निशाना बनाकर किए गए हमलों के उदाहरण देखने को कम ही मिलते हैं.

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विदेशी मेहमानों की विजिट के दौरान हमले

पहलगाम हमले ने अतीत की वारदातों को फिर से जीवित कर दिया और सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि आतंकी पुराने ढर्रे पर काम कर रहे हैं जिससे सभी पहले से परिचित हैं. एक बात यह है कि विदेशी नेताओं और अधिकारियों के देश में रहने के दौरान नागरिकों पर आतंकी हमलों को ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रचार होने के मकसद से ऐसी वारदातों को अंजाम दिया जाता रहा है. 

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भारत दौरे पर आए अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने एक्स पर अपनी संवेदनाएं पोस्ट करते हुए लिखा, 'उषा और मैं भारत के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं. पिछले कुछ दिनों में हम इस देश और इसके लोगों की खूबसूरती के कायल हुए हैं. इस भयानक हमले में हमारे विचार और प्रार्थनाएं उनके साथ हैं.'

क्लिंटन के दौरे से ठीक पहले अटैक

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे कश्मीर से आई बेहद परेशान करने वाली खबर बताते हुए कहा कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़ा है. हम मारे गए लोगों की आत्मा की शांति और घायलों के स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी और भारत के अविश्वसनीय लोगों को हमारा पूरा समर्थन और गहरी सहानुभूति है, हमारी संवेदनाएं उनके साथ हैं.

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20 मार्च, 2000 की रात को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के चिट्टीसिंहपोरा गांव में 36 सिख ग्रामीणों का नरसंहार किया था. यह घटना अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की 21-25 मार्च की यात्रा से ठीक पहले हुई थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने क्लिंटन के सामने हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का मुद्दा उठाया था. उस समय क्लिंटन जयपुर और आगरा के दौरे पर थे, जबकि विदेश मंत्री मैडलिन अलब्राइट और उप विदेश मंत्री स्ट्रोब टैलबोट भारतीय अधिकारियों से बातचीत करने के लिए दिल्ली में ही थे.

2002 में बस पर हुआ आतंकी हमला

दो साल बाद जब दक्षिण एशियाई मामलों को लेकर अमेरिकी असिस्टेंट सेक्रेटरी क्रिस्टीना बी रोका भारत की यात्रा पर थीं, तब 14 मई, 2002 को जम्मू-कश्मीर के कालूचक के पास एक आतंकवादी हमला हुआ. तीन आतंकवादियों ने मनाली से जम्मू जा रही हिमाचल रोडवेज की बस पर हमला किया और सात लोगों की हत्या कर दी. 

इसके बाद आतंकी आर्मी क्वार्टर्स में घुस गए और अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 10 बच्चों, आठ महिलाओं और पांच सैन्यकर्मियों सहित 23 लोग मारे गए. मारे गए बच्चों की उम्र चार से 10 साल के बीच थी और इस हमले में कुल 34 लोग घायल हुए थे. पहलगाम हमला पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के उस बयान के एक सप्ताह बाद हुआ है जिसमें उन्होंने कहा था कि कश्मीर इस्लामाबाद के 'गले की नस' है, जिस पर विदेश मंत्रालय ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी.

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हमले के पीछे पाकिस्तानी साजिश?

पिछले हफ़्ते इस्लामाबाद में ओवरसीज पाकिस्तानी कन्वेंशन को संबोधित करते हुए जनरल मुनीर ने कहा था, 'हमारा रुख बिल्कुल साफ़ है, यह हमारी दुखती रग थी, यह हमारी दुखती रग रहेगी, हम इसे नहीं भूलेंगे. हम उनके संघर्ष में अपने कश्मीरी भाइयों का साथ नहीं छोड़ेंगे.' मुनीर ने हाल ही में अपने सबसे मजबूत बयानों में से एक में कहा था, 'हमारे धर्म अलग हैं, हमारे रीति-रिवाज अलग हैं, हमारी परंपराएं अलग हैं, हमारे विचार अलग हैं, हमारी महत्वाकांक्षाएं अलग हैं. यहीं पर दो-राष्ट्र सिद्धांत की नींव रखी गई थी और हम दो राष्ट्र हैं, हम एक राष्ट्र नहीं हैं.'

मुनीर की बयान पर सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को कहा, 'कोई विदेशी चीज कैसे गले में अटक सकती है? यह भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है. पाकिस्तान के साथ इसका एकमात्र संबंध उस देश की ओर से अवैध रूप से कब्जाए गए क्षेत्रों को खाली करना है.'

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प्रधानमंत्री के सऊदी अरब में होने की वजह से पहलगाम हमले को लेकर भी मोदी और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच बातचीत हुई है. पीएम मोदी ने यात्रा से पहले अरब न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में कहा, 'हम सऊदी अरब को क्षेत्र में सकारात्मकता और स्थिरता की ताकत मानते हैं. समुद्री पड़ोसी होने के नाते, भारत और सऊदी अरब क्षेत्र में शांति और स्थिरता की रक्षा करने में स्वाभाविक रुचि रखते हैं. हमने सुरक्षा सहयोग में लगातार प्रगति देखी है. इसमें आतंकवाद से मुकाबला, चरमपंथ से मुकाबला, आतंकी फंडिंग को रोकना और ड्रग्स की तस्करी से निपटना जैसे क्षेत्र शामिल हैं.'

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