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J-K में अमित शाह का तीन दिवसीय दौरा, सीनियर नेताओं और शहीदों के परिवारों से करेंगे मुलाकात

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज कठुआ में अंतरराष्ट्रीय सीमा का दौरा करेंगे और आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिवारों से मिलेंगे. इन पुलिसकर्मियों के परिवारों के सदस्यों को नियुक्ति पत्र सौंपेंगे, जिन्हें अनुकंपा के आधार पर विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दी गई है.

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (X/@AmitShah)
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (X/@AmitShah)

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), रविवार शाम को जम्मू पहुंचे. वे केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने और विकास कार्यों की प्रगति की जांच करने के लिए जम्मू-कश्मीर की अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर हैं. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया और उन्हें राजभवन ले जाया गया. अमित शाह जम्मू-कश्मीर बीजेपी मुख्यालय जा सकते हैं और पार्टी के स्थापना दिवस समारोह के सिलसिले में पार्टी के सीनियर नेताओं और विधायकों से मिलने की संभावना है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज कठुआ में अंतरराष्ट्रीय सीमा का दौरा करेंगे और आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिवारों से मिलेंगे. केंद्रीय मंत्री इन पुलिसकर्मियों के परिवारों के सदस्यों को नियुक्ति पत्र सौंपेंगे, जिन्हें अनुकंपा के आधार पर विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दी गई है.

सुरक्षा स्थितियों का लेंगे जायजा

मंगलवार को अमित शाह श्रीनगर राजभवन में दो अलग-अलग हाई लेवल मीटिंग्स कर सकते हैं, जिसमें पहले कई विकास कार्यों का जायजा लिया जाएगा और बाद में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की जाएगी, विशेष रूप से कठुआ में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से घुसपैठ के प्रयासों में बढ़ोतरी और उसके बाद वहां से उधमपुर और डोडा जिलों में आतंकवादियों की आवाजाही के मद्देनजर.

आतंकी घटनाओं पर क्या कहती है सरकार की रिपोर्ट?

21 मार्च को राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर बहस का जवाब देते हुए अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर पर आंकड़े साझा करते हुए कहा, "2004 से 2014 के बीच 7,217 आतंकवादी घटनाएं हुईं, लेकिन 2014 से 2024 तक ये संख्या घटकर 2,242 रह गई हैं."

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इस अवधि के दौरान कुल मौतों की तादाद में 70 फीसदी की कमी आई, नागरिकों की मौतों की संख्या में 81 फीसदी की कमी आई और सुरक्षाकर्मियों की हताहतों की संख्या में 50 फीसदी की कमी आई है. 2010 से 2014 तक हर साल औसतन 2,654 संगठित पथराव की घटनाएं हुईं, लेकिन 2024 में ऐसी एक भी घटना नहीं हुई.

यह भी पढ़ें: अमित शाह के बयान से बढ़ी सियासी हलचल, क्या योगी आदित्यनाथ के तीसरे टर्म पर लग गई मुहर?

2010-14 के दौरान 132 संगठित हमले हुए, लेकिन 2024 में एक भी नहीं हुआ. पत्थरबाजी की घटनाओं में 112 नागरिक मारे गए और 6,000 घायल हुए, लेकिन अब पत्थरबाजी पूरी तरह बंद हो गई है.

2004 में 1,587 आतंकवादी घटनाएं हुईं, जबकि 2024 में ये संख्या घटकर मात्र 85 रह गई है. शाह ने कहा कि 2004 में नागरिकों की मृत्यु की संख्या 733 थी, लेकिन 2024 में यह घटकर 26 हो जाएगी और सुरक्षाबलों की मृत्यु की संख्या 2004 में 331 से घटकर 2024 में 31 हो जाएगी.

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