फैमिली कोर्ट के जज एसवी. मंसूरी ने बच्ची की दीक्षा पर अंतरिम रोक लगाते हुए अगली सुनवाई की तारीख 2 जनवरी तय की है. अदालत ने मां को निर्देश दिया है कि वह हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करे कि बच्ची तय दीक्षा समारोह में शामिल नहीं होगी. यह दीक्षा समारोह फरवरी 2026 में मुंबई में प्रस्तावित था.
याचिकाकर्ता के वकील के मुताबिक, अदालत को बताया गया कि करीब एक साल पहले इस मुद्दे पर विवाद के बाद महिला अपने पति का घर छोड़कर बच्चों के साथ मायके चली गई थी. 10 दिसंबर को बच्ची के पिता ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर बेटी की कस्टडी मांगी थी. याचिका गार्जियंस एंड वार्ड्स एक्ट 1890 के तहत दाखिल की गई थी.
पिता ने अदालत को बताया कि उन्होंने पत्नी से इस विषय पर चर्चा की थी और दोनों इस बात पर सहमत थे कि बच्ची परिपक्व उम्र में ही साध्वी बनने का फैसला ले. लेकिन पत्नी ने फरवरी 2026 में मुंबई में सामूहिक दीक्षा समारोह में बच्ची की दीक्षा पर जोर दिया.
याचिका में कहा गया कि अप्रैल 2024 में पत्नी दोनों बच्चों को लेकर मायके चली गई और शर्त रखी कि जब तक दीक्षा के लिए सहमति नहीं दी जाएगी, वह वापस नहीं आएगी. पिता ने कहा कि बच्ची केवल सात साल की है और इतने बड़े फैसले को खुद नहीं ले सकती.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पत्नी बच्ची को धार्मिक कार्यक्रमों में ले जाती रही और एक बार बिना अनुमति अहमदाबाद के एक गुरु के आश्रम में बच्ची को अकेला छोड़ दिया. मुंबई के एक जैन मुनि के आश्रम में भी बच्ची को छोड़े जाने और पिता को मिलने न देने का आरोप लगाया गया.