दिल्ली हाई कोर्ट ने अभिभावक द्वारा फीस न भरने के बाद ट्रांसफर सर्टिफिकेट और मार्कशीट न देने के मामले में दिल्ली के प्राइवेट स्कूल और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. अभिभावक ने हाई कोर्ट में लगाई अपनी याचिका में कहा है कि वह अपने दो बच्चों की फीस भरने में असमर्थ है क्योंकि उसको काम में काफी घाटा होने के कारण वो भयंकर आर्थिक तंगी से गुजर रहा है. इसी के चलते वह प्राइवेट स्कूल की फीस भरने के लिए पैसे नहीं जुटा पा रहा है.
इसके बाद उसने अपने दोनों बच्चों का एडमिशन सरकारी स्कूल में कराने का फैसला किया. लेकिन प्राइवेट स्कूल ने पहले तो फीस जमा न होने के कारण अगली कक्षा में दोनों बच्चों को पढ़ाने से मना कर दिया. और बाद में दूसरे स्कूल में एडमिशन के लिए मार्कशीट और ट्रांसफर सर्टिफिकेट मांगने पर अभिभावकों को वह भी देने से मना कर दिया. स्कूल प्रशासन ने अभिभावक से कहा कि जब तक वह फीस पूरी जमा नहीं करेगा तब तक उसके बच्चों का ट्रांसफर सर्टिफिकेट और मार्कशीट नहीं दी जाएगी.
दिल्ली हाई कोर्ट में अभिभावक की तरफ से ये याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के द्वारा लगाई गई है. अशोक अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच ने पिछले साल 11 जुलाई 2019 ऐसी ही एक याचिका पर आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के रूल 167 के तहत अभिभावकों के बच्चों की फीस न भरने की सूरत में भी बच्चों के ट्रांसफर सर्टिफिकेट या मार्कशीट देने से स्कूल इनकार नहीं कर सकता. इतना ही नहीं फीस न भरने की सूरत में भी स्कूल को बच्चे को अगली कक्षा में प्रवेश देना होगा.
हालांकि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में पिछले साल ये भी कहा था कि स्कूल के पास ये अधिकार है कि वह अभिभावक के खिलाफ फीस न भरने को लेकर कोर्ट में मामला डाल सकता है. दिल्ली हाई कोर्ट में पिछले साल 2 बच्चों ने स्कूल की फीस जमा न होने के बाद उन की मार्कशीट रोकने के बाद यह याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में लगाई थी. याचिकाकर्ता के वकील अशोक अग्रवाल ने कोर्ट को कहा कि फिलहाल जिन दो भाई-बहन का ट्रांसफर सर्टिफिकेट और मार्कशीट स्कूल ने रोक रखे हैं, स्कूल प्रशासन की तरफ से अभिभावकों के खिलाफ अभी भी फीस वसूली के लिए कोई केस दर्ज नहीं कराया गया है.
दिल्ली हाई कोर्ट में अब इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की गई है. मामले की अगली सुनवाई से पहले रामजस स्कूल और दिल्ली सरकार को अपना-अपना जवाब दाखिल करना होगा. हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकारी स्कूल को निर्देश दिए हैं कि बच्चों का ट्रांसफर सर्टिफिकेट और मार्कशीट न होने पर भी उन्हें जल्द एडमिशन दिया जाए. इसमें एक बच्चे को कक्षा 11 और दूसरे बच्चे को कक्षा 6 में एडमिशन लेना है.