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दिल्ली की हवा हुई जहरीली! बंद पड़े स्मॉग टावर कितने असरदार? जानें क्या कहती है रिपोर्ट

देश की राजधानी नई दिल्ली में हवा लगातार जहरीली होती जा रही है. इस बीच, प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए स्मॉग टावर भी काम नहीं कर रहे हैं. इन स्मॉग टावर पर दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की एक स्टडी भी सामने आई है. आइए जानते हैं कितने असरदार हैं ये स्मॉग टावर.

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Smog Tower (File Photo)
Smog Tower (File Photo)

राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. पीएम 2.5 का लेवल खराब स्थिति में है तो वहीं दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं जहां पर प्रदूषण का स्तर बेहद खराब स्थिति में पहुंच गया है. वहीं, प्रदूषण की स्थिति को बेहतर करने के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से लगाया गया स्मॉग टावर धूल फांक रहा है. बाबा खड़क सिंह मार्ग पर 2021 में दिल्ली सरकार ने जो स्मॉग टावर लगाया था वह पिछले 7 महीने से बंद पड़ा है. 

काम नहीं कर रहे स्मॉग टावर
मिली जानकारी के मुताबिक कनॉट प्लेस में लगे स्मॉग टावर में 14 लोगों की टीम थी जिसमें  इंजीनियर्स, ऑपरेटर्स और हेल्पर थे. इन्हें सात महीने पहले ही हटा लिया गया है. 20 अक्टूबर को इसका टेंडर खतम होगा जिसके बाद इसको 25 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है. आलम ये है की अब इस टावर के न पंखे चल रहे हैं, न ही प्रदूषण का स्तर बताने वाली स्क्रीन चल रही है. इस स्मॉग टावर में 40 पंखे हैं, जो ऊपर से हवा खींच कर, उसे साफ कर नीचे से बाहर छोड़ते थे.  

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स्मॉग टावर पर दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट
टावर से प्रदूषण के स्तर में कमी आती है या नहीं इसको लेकर दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से एक स्टडी की गई. इस स्टडी में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने एनवायरमेंट डिपार्टमेंट को रिपोर्ट दी है. रिपोर्ट में सामने आया है कि दो साल से चल रहे इस टावर से इतने समय में 100 मीटर के दायरे में पर्टिक्युलेट मैटर में महज 13 प्रतिशत की कमी आई है. लगभग 22 करोड़ की कीमत से बना ये स्मॉग टावर आईआईटी मुंबई की सुपरविजन में तैयार हुआ था. टाटा प्रोजक्ट लिमिटेड और एनबीसीसी भी इस प्रोजक्ट का हिस्सा हैं. 

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स्मॉग टावर पर क्या बोले एक्सपर्ट
एनवायरमेंट एक्सपर्ट अनिल सूद के मुताबिक दिल्ली में लगे स्मॉग टावर चाइना की तर्ज पर हैं, लेकिन फर्क है कि चीन में जो स्मॉग टावर लगाए गए हैं  वो 380 फुट के हैं. वो टावर10 किलोमीटर की हवा को साफ करते हैं, लेकिन डीपीसीसी ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें कहा गया है कि 100 मीटर तक की हवा को साफ करते है ये टावर असल में ये उससे भी कम हवा को साफ कर पाते  हैं. 

आनंद विहार में बेहद खराब स्तर पर प्रदूषण
आज तक टीम इसके बाद आनंद विहार इलाके में पहुंची. आनंद विहार इलाके में भी सीपीसीबी द्वारा स्मॉग टावर लगाया गया है जो काम करता नजर आया, लेकिन आनंद विहार दिल्ली का वह इलाका है जो सबसे ज्यादा प्रदूषण झेलता है. दिल्ली में आज ओवरऑल प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 , 249 दर्ज किया गया तो वही आनंद विहार इलाके में प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5, 340 था. आनंद विहार इलाके में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब स्थिति में है और ये तब है जब यहां पर स्मॉग टावर काम कर रहा है. सवाल यह उठता है कि लगभग 24 करोड़ की लागत से लगाए गए ये  स्मॉग टावर जब आसपास की हवा को बेहतर नहीं कर पा रहे तो पूरी दिल्ली का क्या होगा?

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