थल प्रदूषण
थल प्रदूषण (Soil Pollution) को भूमि प्रदूषण (Land Pollution) या मृदा प्रदूषण (Soil Contamination) भी कहते हैं. यह xenobiotic यानी मानव निर्मित रसायनों की उपस्थिति या प्राकृतिक मिट्टी के वातावरण में अन्य बदलावों के कारण होता है. यह आमतौर पर औद्योगिक गतिविधि, कृषि रसायनों या कचरे को गलत तरीके से निपटाने के कारण होता है (Causes of Land Pollution). इसमें शामिल सबसे आम रसायन पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन, पॉलीन्यूक्लियर एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (जैसे नेफथलीन और बेंजो (ए) पाइरीन), सॉल्वैंट्स, कीटनाशक, सीसा और अन्य भारी धातुएं हैं (Land Pollution Pesticides and Herbicides). यह प्रदूषण औद्योगीकरण की डिग्री और रासायनिक पदार्थ की तीव्रता के साथ जुड़ा है. थल प्रदूषण पर चिंता मुख्य रूप से स्वास्थ्य जोखिमों से, दूषित मिट्टी के सीधे संपर्क से, दूषित पदार्थों से वाष्प, या मिट्टी के भीतर और नीचे दूषित जल की आपूर्ति से उत्पन्न होती है.
दूषित मिट्टी के स्थलों की मैपिंग और सफाई काफी समय लेने वाली और महंगी प्रक्रिया है, और इसके लिए भूविज्ञान, जल विज्ञान, रसायन विज्ञान और कंप्यूटर मॉडलिंग में विशेषज्ञता की आवश्यकता है. उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में दूषित भूमि की सीमा की जानकारी सबसे अच्छी तरह से है, इन क्षेत्रों के कई देशों में इस पर्यावरणीय समस्या की पहचान करने और उससे निपटने के लिए कानूनी ढांचा है. विकासशील देशों में औद्योगीकरण होने के बावजूद भूमि प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए भरपूर कदम नहीं उठाए जा रहे (Land Pollution Cleanup Options).
दिवाली पर दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में ग्रीन पटाखों की अनुमति मांगेगी. ग्रीन पटाखे इको-फ्रेंडली हैं, 30% कम प्रदूषण. कम शोर और धुआं. सीएसआईआर-एनईईआरआई ने बनाया है इन्हें. कोई जहरीला मेटल नहीं है. सामान्य से महंगे, लेकिन पर्यावरण के लिए बेहतर. प्रमाणित दुकानों, अमेजन से मिलेंगे.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, हर साल 1.9 करोड़ से 2.3 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पानी के ईकोसिस्टम में घुलता है. अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो यह 2040 तक 50% जहर बढ़ सकता है. दुनिया में हर साल 40 करोड़ टन से ज्यादा नया प्लास्टिक बनाता है.
कभी-कभी सीपीसीबी जिस स्थान के लिए एक्यूआई लेवल 500 पॉइंट बताता है, उसी स्थान के लिए इंटरनेशनल वेबसाइटें और अन्य AQI मेजरमेंट प्लेटफॉर्म 1000 पॉइंट रिपोर्ट करते हैं, जिससे जनता हतप्रभ रह जाती है. यह अंतर मुख्य रूप से हवा में प्रदूषकों की पहचान करने की तकनीक, डेटा सोर्स और कम्प्यूटेशनल सिस्टम में अंतर से उत्पन्न होता है.
जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और आईआईटी-दिल्ली के विशेषज्ञों की मदद से इन सैंपल्स का विश्लेषण किया गया, जिसमें खतरनाक रूप से उच्च स्तर की भारी धातुएं और प्रदूषक पाए गए. कैडमियम का स्तर स्वीकार्य सीमा से 19 गुना, मैंगनीज का 11 गुना, आर्सेनिक का 10 गुना, लेड (सीसा) का चार गुना और कोबाल्ट का तीन गुना दर्ज किया गया.
हर साल सर्दियां शुरू होते ही अक्टूबर-नवंबर का त्योहारी सीजन इस बात की अनचाही याद दिलाता है कि दिल्ली के चारों ओर पानी और हवा कितनी विनाशकारी रूप से प्रदूषित है. सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में भी यमुना नदी में दो स्थानों पर सफेद झाग की चादर बिछी हुई दिखी.
देश की राजधानी नई दिल्ली में आज कोहरा देखने को मिलेगा. वहीं, दक्षिण के कुछ राज्यों में बारिश की गतिविधियां देखने को मिलेंगी. आइए जानते हैं देशभर में कैसा रहेगा मौसम.
Delhi AQI Today: शुक्रवार को हुई बारिश के कारण मामूली सुधार के बावजूद शनिवार को दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता 'खराब' श्रेणी में बनी रही. मौसम विभाग के मुताबिक, आज बारिश की संभावना नहीं है.
देश की राजधानी नई दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में रातभर हुई झमाझम बारिश के चलते प्रदूषण से राहत मिली है. कई इलाकों का AQI 85 से 100 के बीच पहुंच गया है. आइए जानते हैं ठंड के मौसम के बीच अचानक दिल्ली-एनसीआर में कैसे बरसे बादल.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को धुआं-धुआं करने वाले पंजाब के शहरों में भी पराली जलने का असर दिखाई दे रहा है. पंजाब के शहरों में भी हवा जहरीली होती जा रही है. यहां के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बेहद खराब श्रेणी में दर्ज किया जा रहा है.
देश की राजधानी नई दिल्ली के अधिकतर इलाकों में प्रदूषण का स्तर लगातार गंभीर श्रेणी में बना हुआ है. मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर का वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स अगले 2 दिन गंभीर श्रेणी में ही रहेगा.
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर उठाए गए कदम की जानकारी दी है. सरकार ने बताया कि रोजाना 3200 गाड़ियों की जांच की जा रही है. देखें दिल्ली सरकार ने और क्या कहा.
दिल्ली एनसीआर में लगातार प्रदूषण के चिंताजनक हालात को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है. आज अदालत ने फटकार लगाते हुए लगातार पराली जलाए जाने पर गंभीर सवाल उठाए. संबंधित राज्यों को आदेश दिया है कि बिना देर किए पराली जलाना रोकें. साथ ही लगातार हो रही सियासत को लेकर भी कोर्ट ने नाराजगी जताई है. देखें वीडियो.
मौसम विभाग (IMD) की मानें तो आज, 7 नवंबर को वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के चलते हवा की गति में तेजी आएगी, जिससे दिल्ली-एनसीआर को प्रदूषण से थोड़ी राहत मिलेगी. आइए जानते हैं मौसम विभाग ने क्या दी जानकारी.
देश की राजधानी और आर्थिक राजधानी में प्रदूषण से बुरा हाल है. वहीं, चेन्नई की बात करें तो यहां की हवा साफ और सांस लेने लायक है. कोलकाता में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ज्यादातर इलाकों में मध्यम श्रेणी में है. आइए जानते हैं चारों महानगरों का हाल.
राजधानी दिल्ली में तो बढ़ते प्रदूषण के बीच केजरीवाल सरकार ने एक बार फिर ऑड-ईवन लागू करने का फैसला किया है. यह ऑड -ईवन 13 से 20 नवंबर तक लागू रहेगा. इन सबके बीच AAP और BJP एक दूसरे पर दोष मड़ने का काम भी कर रही हैं.
दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण चारों तरफ स्मॉग की चादर छाई हुई है.
दिवाली से पहले ही दिल्ली में प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है.
देश की राजधानी नई दिल्ली में ज्यादातर इलाकों में AQI गंभीर श्रेणी में बना हुआ है. वहीं, नोएडा और गाजियाबाद में भी हवा जहरीली है. आइए जानते हैं दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग इलाकों का AQI.
दिल्ली के साथ-साथ यूपी के भी कुछ शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है.यूपी के 16 शहर ऐसे हैं जिनपर प्रदूषण का ज्यादा खतरा मंडरा रहा है. इसी को देखते हुए उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की AQMC की बैठक हुई. आइए जानते हैं बैठक में क्या जारी हुए निर्देश.
देश की राजधानी नई दिल्ली में आज यानी 03 नवंबर को ज्यादातर इलाकों में AQI 400 के पार दर्ज किया गया है. नोएडा में भी हवा गंभीर श्रेणी में ही बनी है. वहीं, गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में AQI बहुत खराब श्रेणी में बना हुआ है.
देश की राजधानी नई दिल्ली में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. लोगों को जहरीली हवा के चलते आंख और सीने में जलन झेलनी पड़ रही है. इसी को देखते हुए दिल्ली में GRAP-III लागू किया है जिसके बाद दिल्ली मेट्रो ने एक बड़ा फैसला लिया है. आइए जानते हैं DMRC ने क्या दी जानकारी.