
दिल्ली आने वाले पर्यटक जल्द ही असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में मौजूद नीली झील का सौंदर्य निहार पाएंगे. दिल्ली सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नीली झील के सौंदर्यीकरण पर जोर दे रही है ताकि पर्यटकों के लिए ईको फ्रेंडली सुविधा तैयार की जा सके. साथ ही सरकार की योजना असोला भट्टी इलाके में पर्यटन सुविधाओं के विकास की भी है.
'आजतक' की टीम ने शनिवार को वन विभाग की टीम के साथ नीली झील का दौरा किया. असोला भट्टी चारों तरफ से घने जंगल से घिरा हुआ है. घने जंगल से करीब 14 किलोमीटर की दूरी कच्चे रास्ते से तय कर नीली झील तक पहुंचा जाता है. नीली झील को टूरिस्ट लोकेशन के तौर पर विकसित करने के लिए पर्यावरण मंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश भी दिए.

दिलचस्प बात ये है कि बारिश के बाद झील का पानी हरे रंग का नजर आता है. जबकि जैसे जैसे सर्दी का मौसम नजदीक आएगा, झील के पानी का रंग नीला होता जाएगा. यही वजह है कि झील का नाम ही नीली झील रख दिया गया है. दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग की तरफ से असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जाएगा. घूमने आने वाले लोगों को इलेक्ट्रिक कार और गाइड की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. ऑनलाइन बुकिंग प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी.
वन्यजीव संरक्षण सप्ताह की शुरुआत
दिल्ली के असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य से शनिवार को वन्यजीव संरक्षण सप्ताह की शुरुआत हुई. जानकारी के मुताबिक 8 अक्टूबर तक लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा. गोपाल राय ने कहा कि असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में तितली पार्क भी है. उन्होंने कहा कि पिछले छह साल में करोड़ों पौधे दिल्ली में अलग-अलग जगह लगाए गए हैं. मार्च 2022 तक 35 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. अभी तक 22 लाख से ज्यादा पौधे लगाए जा चुके हैं. दिल्ली में मानक के मुताबिक राज्य के क्षेत्रफल का 20 फीसदी ग्रीन एरिया होना चाहिए. इसके मुकाबले 22 फीसदी ग्रीन कवर विकसित किया जा चुका है.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि व्हीकल पॉल्यूशन, डस्ट पॉल्यूशन, बायोमास बर्निंग, पराली पॉल्यूशन से निपटने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 4 अक्टूबर को दिल्ली का आगामी विंटर एक्शन प्लान घोषित करेंगे.