बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद नए मंत्रिमंडल के गठन को लेकर विपक्ष में बैठी बीजेपी लगातार महागठबंधन सरकार पर हमलावर है. वह आरोप लगा रही है कि अब प्रदेश में अपराधियों का बोलबाला होगा.
कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह की ताजपोशी को लेकर बीजेपी ने मोर्चा खोल रखा है. उसका कहना है कि जिस दिन एक विधायक को कोर्ट में सरेंडर करना था, आखिर कैसे उन्होंने उसी दिन मंत्री पद की शपथ ले ली.
बीजेपी आरोप लगा रही है कि नीतीश कुमार की महागठबंधन के साथ बनी सरकार की कैबिनेट में बहुत सारे दागी मंत्री हैं. तो आइए जानते हैं बिहार में बीजेपी-जेडीयू के मंत्रिमंडल और नई महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल में कितने दागी रहे.
महागठबंधन सरकार में 72% मंत्री दागी
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने 16 अगस्त को नीतीश कुमार के नेतृत्व में नवगठित महागठबंधन सरकार की कैबिनेट में शामिल 33 में से 32 मंत्रियों के एफिडेविट के हवाले से एक रिपोर्ट जारी की है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक 32 में से 27 मंत्री यानी कैबिनेट के 72 फीसदी मंत्री दागी हैं यानी उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. मौजूदा सरकार की कैबिनेट में 17 यानी 53 फीसदी मंत्री ऐसे हैं, जिनके खिलाफ गंभीर धाराओं में आपराधिक मामले दर्ज हैं.
RJD के 17 मंत्रियों में से 15 पर आपराधिक केस
कैबिनेट में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के कोटे से कुल 17 मंत्रियों ने शपथ ली है. इनमें 15 मंत्री यानी 88% मंत्री ऐसे हैं, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं 17 में से 11 मंत्री यानी 65 फीसदी पर गंभीर धाराओं में आपराधिक मामले दर्ज हैं. मौजूदा सरकार में जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की तरफ से एक ही मंत्री शामिल है, जिनके खिलाफ भी गंभीर धाराओं में अपराधिक मामले दर्ज हैं. साथ ही कैबिनेट में कांग्रेस के दो मंत्री हैं, जिन पर भी आपराधिक मामले दर्ज हैं.
पिछली सरकार में बीजेपी के 14 में से 11 थे दागी
अब अगर नीतीश कुमार के नेतृत्व में बीजेपी के साथ बनी एनडीए सरकार के मंत्रिमंडल की बात करें तो एडीआर के मुताबिक 9 फरवरी 2021 को जब कैबिनेट का विस्तार हुआ था तब कुल 31 में से 28 मंत्रियों के दस्तावेज बताते हैं कि जेडीयू के कोटे से बने 11 मंत्रियों में से चार यानी 36 फीसदी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे. वहीं जेडीयू के 11 में से 3 यानी 27 फीसदी मंत्रियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में आपराधिक मामले दर्ज थे.
एनडीए की तत्कालीन कैबिनेट में बीजेपी के कोटे से कुल 14 विधायक मंत्री बने थे. इनमें से 11 के खिलाफ यानी 79% के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे. वहीं 14 में से 8 यानी 57 फीसदी के खिलाफ गंभीर धाराओं में अपराधिक मामले दर्ज थे. उस मंत्रिमंडल में एक निर्दलीय मंत्री भी थे, जिनके खिलाफ गंभीर धाराओं में अपराधिक मामले दर्ज थे.