गर्भावस्था पर केंद्रित पटकथाएं बॉलीवुड में न केवल भारी धन बटोर रही हैं बल्कि इस विषय पर खुली बातचीत का सूत्रपात भी किया है
लेडा एक कॉलेज प्रोफेसर है और छुट्टियां बिताने ग्रीस जाती है. वहां नीना नाम की महिला और उसकी छोटी बच्ची को देखती है और उन्हें लेकर ऑब्सेस्ड सी हो जाती है.
ओटीटी फॉर्मेट पर महिला किरदारों, लेखकों, रचनाकारों और निर्देशकों को मिली जगह तो वे अपनी अदाकारी का प्रदर्शन खुद करने लगीं
उत्तर के सिनेमाघरों के बाजार में दूसरे और तीसरे पायदान के केंद्रों के एकल सिनेमाघरों में पुष्पा की कामयाबी बताती है कि दक्षिण की फिल्में हिंदी फिल्मों का सिनेमाघरों का हिस्से धीरे-धीरे कुतर रही हैं
चालीस साल से अधि· उम्र की अभिनेत्रियां ओटीटी चार्ट में जलवा बिखेर रही हैं, जबकि बच्चन पिता-पुत्र सामान्य और ओटीटी दोनों वर्गों में शीर्ष पर हैं.
सिनेमाघरों के खुलने के ऐलान के साथ ही इससे जुड़े हजारों लोगों के चेहरे खिले. दूसरी ओर अब दर्शकों के उधर मुड़ने की संभावनाओं के मद्देनजर ओटीटी प्लेटफॉर्म भी बदल रहे रणनीति.
स्कैम 1992 से तकदीर पलटने के साथ प्रतीक गांधी हिम्मत और आत्मविश्वास से अपना शिल्प तराश रहे.
महामारी ने पटकथा लेखकों को भी झकझोर कर रख दिया है. उम्मीद है कि उनके भीतर पलते द्वंद्व से दिलचस्प किस्से निकलेंगे.
55 साल पहले अमोल पालेकर ने पहली बार सत्यदेव दुबे की प्रशंसित मराठी फिल्म शांताता! कोर्ट चालू आहे से बड़े पर्दे पर कदम रखा था. हालांकि सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से स्नातक अभिनेता-निर्देशक ने हाल के वर्षों में खुद को पेंटिंग में व्यस्त रखा है, लेकिन अब वे ज़ी5 की फिल्म 200- हल्ला हो के साथ पर्दे पर वापस लौटे हैं.
सुहानी महामारी के कारण बॉलीवुड के बड़े नाम अपना असर छोड़ने में नाकाम रहे, ओटीटी प्लेटफॉर्म और उनके सितारे लोकप्रियता में आगे बढ़े सिंह.
बिहार में पली-पढ़ी श्रेया ने साहित्य और रंगमंच से जुड़ाव के कारण दिल्ली आकर एक्ट वन ग्रुप के साथ थिएटर करते हुए अभिनय कला को तराशा.
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर एक के बाद एक रिलीज से अभिनेता मनोज बाजपेयी इस नए बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार बनकर उभरे हैं.
ऋचा की इस फिल्म से कुछ और को-प्रोड्यूसर जुड़ गए हैं. स्पष्ट है कि तापसी और ऋचा ने प्रोड्यूसर बनने से पहले फिल्म निर्माण बाजार को अच्छे से खंगाल लिया है.
एक बार फिर पंकज त्रिपाठी हमें अपनी नई फिल्म से मुग्ध करने वाले हैं लेकिन अब वे थोड़ी राहत की सांस लेने वाले हैं
कोरोना महामारी की तीसरी लहर के अंदेशों के बीच, डेढ़ साल से सुनसान पड़ा सिनेमा उद्योग धीरे-धीरे फिर से गुलजार होने लगा है.
करोना महामारी की वजह से दुनियाभर में भले हर क्षेत्र की माली हालत बिगड़ी हो लेकिन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री एक ऐसा क्षेत्र है जहां स्टार महंगे हो गए हैं.