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फैक्ट चेक: पुलिस कार्रवाई का तीन साल से ज्यादा पुराना वीडियो मौजूदा किसान आंदोलन का बताकर हुआ वायरल

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि पुलिस, किसानों के साथ अत्याचार कर रही है. वीडियो किसी झड़प का लग रहा है, जिसमें पुलिस के जवानों को पत्थर फेंकते देखा जा सकता है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे पुलिस किसानों पर अत्याचार कर रही है.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये वीडियो अभी का नहीं बल्कि 2020-21 में हुए किसान आंदोलन का है.

पिछले कुछ दिनों से शांत चल रहा किसान आंदोलन एक बार फिर एक्टिव होता दिख रहा है. खबरों के मुताबिक, देश के अलग-अलग हिस्सों से किसानों ने दिल्ली की तरफ मार्च शुरू कर दिया है. हालांकि, फिलहाल इसमें पंजाब- हरियाणा के किसान शामिल नहीं हो रहे.

इसी बीच इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि पुलिस, किसानों के साथ अत्याचार कर रही है. वीडियो किसी झड़प का लग रहा है, जिसमें पुलिस के जवानों को पत्थर फेंकते देखा जा सकता है. तनाव के बीच कुछ पुलिसवाले, एक बुजुर्ग सिख पर लाठी चलाते दिख रहे हैं. वहीं, कुछ प्रदर्शनकारी, ट्रैक्टर की मदद से बैरिकेडिंग तोड़ रहे हैं.

वीडियो को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर शेयर किया गया है. वीडियो में लिखा है, “पुलिस किस प्रकार हमारे किसान भाईयों पर अत्याचार कर रही है”.

वायरल पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

किसान

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो अभी का नहीं बल्कि 2020-21 के किसान आंदोलन का है.  

खोजने पर हमें ये वीडियो मीडिया संस्था “वॉयस ऑफ अमेरिका” (VOA) के यूट्यूब चैनल पर मिला. वायरल वीडियो में भी VOA का लोगो देखा जा सकता है. यहां ये वीडियो 27 नवंबर, 2020 को शेयर किया गया था. साथ ही, बताया गया था कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की दिल्ली की सीमा पर पुलिस से झड़प हो गई थी.  

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पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे थे और प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसाई थीं. इसी जानकारी के साथ ये वीडियो न्यूज एजेंसी ‘एपी’ की वेबसाइट पर भी देखा जा सकता है.

उस समय ये वीडियो और इससे जुड़ी एक फोटो भी काफी चर्चा में आई थी, जिसमें सुरक्षाकर्मी एक बुजुर्ग सिख आदमी पर लाठी चलाता दिख रहा है. इस फोटो को कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए शेयर किया था.  

इसके बाद बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस फोटो को प्रोपेगैंडा बताया था क्योंकि उनके मुताबिक इस बुजुर्ग किसान को लाठी छू तक नहीं पाई थी. 

लेकिन आजतक फैक्ट चेक ने मालवीय के दावे की जांच की थी और पाया था कि इस बुजुर्ग शख्स को वाकई लाठी लगी थी. मालवीय ने अधूरा वीडियो शेयर किया था.

यहां ये बात साफ हो जाती है कि तीन साल से ज्यादा पुराने वीडियो को मौजूदा किसान आंदोलन के संदर्भ में शेयर किया जा रहा है. हालांकि ये बात सच है कि 13 फरवरी, 2024 के बाद पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर पुलिस और किसानों के बीच कई बार झड़पें हुईं जिनमें कई किसान घायल हुए. 

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