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क्या मुस्लिमों के लिए अलग शहर बसाने की तैयारी थी, टेक्सास की 'हलाल कॉलोनी' पर रोक, भारत से क्या कनेक्शन?

अमेरिका के टेक्सास में सैकड़ों एकड़ में एक मुस्लिम बस्ती बनाने पर काम चल रहा था, जिसमें सबकुछ धर्म के अनुसार होता. लेकिन आरोप लगने लगे कि इसकी वजह से बाकियों के साथ भेदभाव होगा. फिलहाल कॉलोनी पर रोक लग चुकी और डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस कई मामलों में प्रोजेक्ट की पड़ताल भी कर रहा है.

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टेक्सास में मुस्लिम धार्मिक जरूरतों के मुताबिक कॉलोनी प्रस्तावित थी. (Photo- AFP)
टेक्सास में मुस्लिम धार्मिक जरूरतों के मुताबिक कॉलोनी प्रस्तावित थी. (Photo- AFP)

टेक्सास में मुस्लिम सेंट्रिक रिहाइशी कॉलोनी बनाने का काम तेजी से चल रहा था. लगभग 400 एकड़ में फैली सोसायटी में हर चीज, फिर चाहे वो मकान हो-या दुकान, मुस्लिम जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई जा रही थी. लेकिन इसपर कई एतराज उठे, और हाल में टेक्सास के गवर्नर ने फैसला लिया कि कॉलोनी चूंकि गैर-मुस्लिमों के साथ फर्क कर सकती है, ऐसे में इसका काम रोक दिया जाए. इस बीच हलाल कॉलोनियों के कंसेप्ट पर काफी चर्चा हो रही है. 

क्या है पूरा मामला और क्यों विवादित

जोसेफिन शहर में एपिक सिटी नाम से प्रोजेक्ट चल रहा था. इसकी वेबसाइट पर लिखा था कि यह एक ऐसी कम्युनिटी होगी, जो मुस्लिमों की जरूरतों को पूरा करेगी. इसमें 1000 घर, फेथ-बेस्ड स्कूल, मस्जिद, दुकानें और यहां तक कि कम्युनिटी कॉलेज भी प्रस्तावित था, जो धार्मिक सीख दे.

न्यूयॉर्क स्थित मीडिया सीबीएस न्यूज के मुताबिक, जल्द ही इसपर विवाद होने लगा. लोगों का आरोप था कि इससे शहर के बीचोंबीच शरिया कानून चलने लगेगा, जो बाकियों पर भी असर डाल सकता है. धर्म या कल्चर के आधार पर एक कॉलोनी बनती, तो बाकी भी आगे आ सकते थे. लिहाजा टेक्सास के गवर्नर ग्रेग एबॉट और बाकी अधिकारियों ने मिलकर प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी. साथ ही एपिक सिटी में क्या कोई गड़बड़ी चल रही थी, या क्या उसने राज्य का कानून तोड़ा था, इसकी जांच भी शुरू हो चुकी. 

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muslim centered community photo AFP

कई रिहाइशी इलाकों में किसी एक धर्म की मेजोरिटी होना नई बात नहीं, लेकिन ये सहज ढंग से होता है, न कि प्लानिंग के साथ. वहीं टेक्सास में शहर के ऐन बीच सैकड़ों एकड़ घेरकर केवल एक खास समुदाय को बसाने की तैयारी की जा रही थी, जिसपर काफी बवाल मचा हुआ है. तस्वीर का दूसरा पक्ष भी है, जिसमें मुस्लिम नेता और उनके वकील इसे धार्मिक आजादी पर बंदिश बता रहे हैं. 

क्या हलाल कॉलोनी कोई टर्म है

तमाम विवाद के बीच एक टर्म आ रहा है- मुस्लिम सेंट्रिक कॉलोनी. बोलचाल में इसे हलाल कॉलोनी भी कहा जा रहा है. वैसे ये कोई स्टैंडर्ड टर्म नहीं. ये मुस्लिम आबादी को ध्यान में रखते हुए बने इलाके होते हैं, जहां उनकी धार्मिक लाइफस्टाइल से जुड़ी सारी जरूरतें पूरी हो सकें, जैसे आसपास मस्जिद हो, इस्लामिक कानून के मुताबिक खानपान हो और धर्म से जुड़ी पढ़ाई भी हो सके. कॉलोनी बेहद मॉडर्न हो सकती है जहां मनोरंजन का भी स्पेस हो, बस फर्क इतना होगा कि महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग बंदोबस्त होता है. 

धार्मिक जरूरतों का ध्यान रखते हुए डिजाइन 

हलाल कॉलोनी टर्म की सबसे चर्चा साल 2010 के बाद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और मीडिया में तब शुरू हुई, जब यूके, मलेशिया, और फिर अमेरिका में ऐसी रिहायशी प्लानिंग की बातें सामने आने लगीं, जहां हलाल लाइफस्टाइल के अलावा बाकी सारी चीजों पर पाबंदी हो. जाहिर तौर पर यहां गैर-मुस्लिम नहीं रह सकते, और न ही कोई कारोबार कर सकते हैं. 

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muslim centered community controversy photo AFP

कहां-कहां इस तरह के रिहाइशी इलाके

मुस्लिम सेंट्रिक सोसायटी का बनना वैसे लगभग 25 साल पहले ही शुरू हो चुका. साल 2000 में मलेशिया में हलाल पार्क और मुस्लिम फ्रेंडली टाउनशिप्स बनाए गए. इनमें रिहायशी बस्तियां भी शामिल थीं, जहां हर चीज हलाल सर्टिफाइड होती थी, शरिया बैंकिंग सिस्टम था, मस्जिद और मदरसे थे और रेस्त्रां में शराब बैन थी.

साल 2010 में यूके के लंदन और बर्मिंघम जैसे शहरों में मुस्लिम-ओनली हाउसिंग सोसाइटी बनी. ये मुस्लिम मेजोरिटी नहीं, बल्कि केवल उन्हीं के लिए थी. इन्हें हलाल कॉलोनी तो नहीं कहा गया, लेकिन इनपर विवाद लगातार होता रहा. गैर-मुस्लिम शिकायत करते कि ये ट्रेंड बढ़ता जा रहा है और वे अपनी ही जगह पर किनारे हो रहे हैं.

अब अमेरिका के टेक्सास का मामला जोर पकड़ चुका. वैसे तो एपिक सिटी के डेवपलर्स का कहना है कि वे इसमें सबको जगह देंगे लेकिन मानना उन्हें इस्लामिक नियम ही पड़ेगा. विवाद इतना बढ़ा कि इसे शरिया जोन तक कह दिया गया. इसके बाद ही स्थानीय अधिकारी हरकत में आए और इस प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी. 

हमारे यहां की बात करें तो केरल से भी ऐसी खबरें आती रहीं, हालांकि इनकी पुष्टि नहीं हो सकी है. कथित तौर पर केरल कोच्चि में साल 2018 में एक रियल एस्टेट कंपनी ने शरिया के मुताबिक अपार्टमेंट्स बनाने का एलान किया था. यहां घर मक्का फेसिंग होते, हलाल फूड मिलता और वुजू के लिए भी अलग से व्यवस्था रहती. ये प्रोजेक्ट पूरा हो सका, या नहीं, इसकी पक्की जानकारी नहीं मिलती. 

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halal tourism photo Unsplash

हलाल टूरिज्म भी जोरों पर

केरल में ही मुस्लिम पर्यटकों की धार्मिक जरूरतों के लिए हलाल टूरिज्म काफी बढ़ चुका. कई वेबसाइट्स हैं, जो हलाल-फ्रेंडली छुट्टियों का वादा करती हैं. बता दें कि पूरी दुनिया में हलाल हॉलिडे का कंसेप्ट बढ़ रहा है. ये पर्यटन की अलग इंडस्ट्री है, जो मुस्लिमों को सर्व करती है. ग्लोबल मुस्लिम ट्रैवल इंडेक्स (GMTI) के मुताबिक 2028 तक हलाल वेकेशन्स की नेट वर्थ 225 बिलियन डॉलर या उससे ज्यादा हो जाएगी. 

क्या है इसका मतलब

इसकी शुरुआत डेस्टिनेशन यानी आप कहां जा रहे हैं, वहीं से हो जाती है. आमतौर पर मुस्लिम आबादी वाले देशों के टूरिस्ट स्पॉट इसमें शामिल होते हैं. लेकिन ये यहीं तक सीमित नहीं, अमेरिका, फ्रांस, नीदरलैंड और इटली में भी हलाल फ्रेंडली डेस्टिनेशन बनाए जा चुके. यानी दुनिया के लगभग सभी देश अपने यहां ऐसे स्पॉट्स बना चुके, जहां मुस्लिम सैलानी घूमने के लिए आएं तो किसी तरह की असुविधा न हो. ये स्पॉट्स इस तरह से बनाए जाते हैं, जो इस्लामिक मान्यताओं को चोट न पहुंचाएं.

धार्मिक मान्यता के अनुसार मिलती है सुविधाएं

होटल या रिजॉर्ट जहां भी मुस्लिम ठहर रहे हों, वो मुस्लिम फ्रेंडली होना चाहिए. ये हलाल जीवनशैली को सपोर्ट करता हो, जैसे वहां हलाल फूड ही मिलता है. अल्कोहल नहीं परोसा जाता. साथ ही पुरुषों और स्त्रियों के लिए अलग-अलग स्विमिंग पूल होते हैं. यहां तक कि प्राइवेट बीच भी होते हैं ताकि धार्मिक सोच को भी चोट न पहुंचे, और टूरिस्ट छुट्टी का लुत्फ भी ले सकें. होटलों में प्रेयर रूम का भी इंतजाम होता है. बड़े होटल प्राइवेट पूल से लेकर प्राइवेट लिफ्ट तक लगवा रहे हैं. ये ऐसे होते हैं जो सीधे कमरे के सामने खुलें ताकि महिलाओं की अनजान पुरुषों से मुठभेड़ न हो.

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