एजेंडा आज तक के दूसरे सेशन में कुछ गैर-औपचारिक राजनीतिक संवाद करने मंच पर आए ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और पूर्व बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी. थीम है 'मिशन 2014' और सेशन का टाइटल था, 'किसमें कितना है दम'. जाहिर सी बात है दम दिखाने की प्रक्रिया में आरोप-प्रत्यारोप भी लगने थे. गडकरी ने बड़ी ही चालाकी से कांग्रेस नेतृत्व पर वार करते हुए यहां तक कह दिया कि राहुल गांधी से हजार गुना ज्यादा समझदार हैं जयराम रमेश, मगर कांग्रेस के मुखिया नहीं बन सकते. आज तक के एग्जीक्यूटिव एडिटर पुण्य प्रसून वाजपेयी के साथ बातचीत में दोनों ने एक-दूसरे पर जमकर कीचड़ उछाली गई लेकिन मुस्कुराहटें फिर भी कायम रहीं. पढ़िए पूरी बातचीत:
क्लाइमेट चेंज तेजी से हो रहा है या पॉलिटिकल चेंज?
जयराम रमेश बोले, 'मैं कुछ नहीं कह सकता अगले साल किसे जनादेश मिलेगा. मगर हां गरमागरमी तो रहेगी ही. पर एक चीज जरूर कहना चाहता हूं कि ये व्यक्तियों के चुनाव नहीं हैं. ये पार्टियों के चुनाव हैं. विचारधाराओं के चुनाव हैं. इसे नहीं भूलना चाहिए. 2014 का चुनाव कोई ब्यूटी कॉन्टेस्ट नहीं है. आप 2003 की बात याद करिए. बीजेपी को 3 राज्यों में भारी जनादेश मिला. मगर 2004 में वही चुनाव हार गई.'
फलसफाना अंदाज में नितिन गडकरी बोले, 'कुछ भी स्थायी नहीं है. बदलाव होगा ही. कोई हमेशा के लिए नहीं हो सकता. राज कपूर के मेरा नाम जोकर में एक अच्छा गाना था. दुनिया क्या है...'
नरेंद्र मोदी का उभार?
सवाल मोदी के उभार को लेकर भी किया गया. इस पर गडकरी बोले कि मीडिया जबरन हाइप बनाता है. पंजाब चुनाव में मनप्रीत बादल के लिए हाइप
बनाई. यूपी चुनाव में कल्याण सिंह का हौआ खड़ा किया. कर्नाटक में येदियुरप्पा का माहौल बनाया. नतीजों में कहां दिखा. नरेंद्र मोदी डिवेलपमेंट के रोल मॉडल बनकर यहां तक उभरे हैं. हमारी पार्टी की यही खासियत है. दिल्ली बायोडेटा लेकर नहीं आया था मैं अध्यक्ष बनने के लिए.
क्या मोदी सेट कर रहे हैं एजेंडा देश का?
इस पर जयराम रमेश बोले कि मोदी सोशल मीडिया में छाए हैं. मगर इस देश में व्यक्तिकेंद्रित राजनीति अब नहीं चलने वाली. विचार की जरूरत होगी. इस पर गडकरी ने चुटकी ली कि ये तो कांग्रेस का कल्चर है. यहां सोनिया के इर्द गिर्द सब चल रहा है. मगर अच्छी बात है कि कांग्रेस बदलाव की बात कर रही है. गडकरी बोले कि लड़ाई विचार भिन्नता की नहीं, विचार शून्यता की है.
गडकरी ने कहा कि विचारों की लड़ाई होना लोकतंत्र के लिए अच्छा है. उन्होंने कहा कि हमारे अपने विचार हैं. हम उन पर कायम हैं. मगर कई बार हमारे विचारों के उलट छवि बनाने की कोशिश की जाती है. कांग्रेस और सपा-आरजेडी पर हमला बोलते हुए गडकरी ने कहा कि जो एक पार्टी या धर्म की राजनीति करते हैं, वे सेकुलर कैसे हो सकते हैं.
जातिवाद की राजनीति?
इस मुद्दे पर गडकरी बोले कि हम कितना भी जाति को नकारें, लेकिन बीजेपी वालों को सांप्रदायिक कहकर खारिज करने की कोशिश की जाती है. यादवों और मुस्लिमों को लामबंद करने वाले लोग सेक्युलर हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली में सेक्युलरवाद के नाम पर 'मल्टीकम्युनल क्लब' बना है और हमें कम्युनल कहा जाता है. इस दौरान गडकरी ने अफजल गुरु की फांसी और बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद कांग्रेस नेताओं के आचरण को पक्षपातपूर्ण बताया.
जयराम रमेश ने गडकरी के इस टर्म 'मल्टी कम्युनल' की खिंचाई की. उन्होंने कहा कि मैं 'मल्टी कम्युनल' की परिभाषा सोच रहा हूं क्योंकि कोई मल्टी कम्युनल होगा तो वो तो सेक्युलर हो जाएगा. इस पर गडकरी बीच में ही शेर सुनाने लगे कि एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग.
आम सहमति और विपक्ष की सलाह की बात?
जयराम रमेश बोले कि मुझे ये कबूलने में ऐतराज नहीं कि गडकरी जी की रिपोर्ट के आधार पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना बनी 2002 में. मगर हर मुद्दे पर राजनीति नहीं की जा सकती. चुनाव में विरोध करो और फिर बाद में आम सहमति करने लगो. रमेश ने जीएसटी के मुद्दे पर बीजेपी को घेरा. उन्होंने कहा कि बीजेपी के य़शवंत सिन्हा इसका प्रस्ताव लाए थे, मगर अब वही पार्टी इसमें अड़ंगा लगा रही है.
कम्युनल बिल का मुद्दा आया तो रमेश बोले, इस पर भी 9 साल से बात हो रही है. उन्होंने कहा कि इस बिल पर अलग अलग विचार हैं. लेकिन जीएसटी पर तो हर राज्य सहमत है. इस पर गडकरी बोले कि जब प्रणव मुखर्जी वित्त मंत्री थे, तो सत्ता पक्ष हमसे डायलॉग करते थे. मसलन किंगफिशर के मसले पर मैंने कहा कि बचाइए साहब. मुखर्जी बोले कि आपका दोस्त है क्या? तो मैंने कहा बीजेपी को 20-25 लाख का नुकसान होता है. जिस दिन किंगफिशर की फ्लाइट कैंसल होती है, जेट वाले रेट बढ़ा देते हैं, तो मसला ये है कि सरकार की नीयत सही हो, तो सलाह दी जाए. उन्हें बताया जाए कि प्राइवेट सेक्टर में मुकाबले का माहौल बना रहना कितना जरूरी है.
गडकरी ने कहा कि कांग्रेस ने इंडस्ट्री का माहौल खत्म कर दिया है.इस पर जयराम रमेश बोले कि इस प्रक्रिया में मीडिया को बाहर रखना चाहिए. असली गुनहगार मीडिया है.
रमेश ने भूमि अधिग्रहण मुद्दे का उदाहरण देते हुए कहा कि हमने बस इतना ख्याल रखा कि हर मीटिंग में मीडिया को बाहर रखो. काम हो गया, आपके सामने है. इस पर गडकरी बोले कि अगर देश हित में होगा तो हम सत्ता पक्ष का साथ देंगे.
कैसी सियासत कर रहे हैं राहुल गांधी?
आज तक ने पूछा सवाल कि राहुल गांधी एक ऐसी राजनीति शुरू करना चाहते हैं, जिसे पार्टी का स्ट्रक्चर संभाल नहीं पाता. क्या दिक्कत कहां है. इस पर जयराम रमेश बोले कि मैं उनका प्रवक्ता तो नहीं, पर साथ काम कर चुका हूं, तो कुछ कह सकता हूं. रमेश ने कहा कि 125 साल पुरानी कांग्रेस में बदलाव लाना आसान नहीं है. राहुल गांधी चाहते हैं कि राजनीति में समाज के हर वर्ग की हिस्सेदार हो. कुछ ही परिवारों का कब्जा न रहे.रमेश ने कहा कि ये औरों का विचार भी हो सकता है. मगर राहुल गांधी ने बतौर नेता इसे सामने रखा. रमेश की बात काटते हुए गडकरी बोले कि इसीलिए तो हमने एक चायवाले को शीर्ष पद का दावेदार बनाया.
रमेश ने कहा कि राजनीति में सहमति बन गई है सिटिंग गेटिंग की, जो काबिज है उसका हक मान लिया जाता है. सिटिंग को गेट आउट भी कहना चाहिए कभी. इस सुझाव पर गडकरी ने हामी भरी.
रमेश बोले कि राहुल गांधी की सोच 'मैं' पर केंद्रित नहीं है. 'मैं ही हूं' के हिसाब से वह नहीं सोचते. इस पर पुण्य प्रसून वाजपेयी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि राहुल से ज्यादा 'मैं' कहां है. भाषण में मैं, मेरी मां, मेरे पिता, मैं रोया जैसे जुमले रहते हैं. मुझे गलत लगा तो विधेयक फाड़ दिया. इस पर रमेश बोले कि यह सही है कि वह इसी क्रम से ऊपर पहुंचे. मगर अब वह बदलाव ला रहे हैं. वह भले ही मंत्री न बने हों, मगर सार्वजनिक जीवन में हैं और काम करके दिखा रहे हैं.
रमेश ने राहुल से जुड़ा एक किस्सा भी सुनाया. उन्होंने बताया यूपी में कांग्रेस 24 साल से सत्ता में नहीं है. हमने वहां एक लाख महिला समूह बनाकर बैंकों से जोड़ा. इसमें राज्य सरकार से कोई प्रोत्साहन नहीं मिला. मगर राहुल गांधी ने इसके बिना यूपी में कुछ करने का सोचा और किया. आप चर्चा करते हैं कि क्या किया. ये किया. रमेश बोले कि बिना प्रशासन के सहयोग के दस लाख महिलाओं को एक लाख बचत समूह में इकट्ठा करना कमाल काम है.
युवाओं से कैसे जुड़ रहे हैं आप लोग?
गडकरी ने ये सवाल सुनते ही बोला कांग्रेस पर हमला. बोले ये मां-बेटे की पार्टी है. बोले कि कहने की बात है कि आम आदमी आए. तो राहुल गांधी खुद से ही शुरुआत करें. उनकी एकमात्र काबिलियत है कि वे राजीव गांधी के बेटे हैं.
गडकरी बोले कि हमारी पार्टी में कार्यकर्ता आकर मुझसे पूछते हैं कि उन्हें टिकट क्यों दिया. सब सुनकर मैं बस इतना पूछता हूं क्या कांग्रेस में आप सोनिया गांधी के यहां जाकर यह सवाल पूछ सकते हैं. भीतर घुस सकते हैं. गडकरी बोले कि ये कांग्रेस में ही होता है कि प्रधानमंत्री के पेट से प्रधानमंत्री पैदा हो.
इस बयान पर बिफरे रमेश बोले कि मैं टोकाटोकी नहीं चाहता, मगर गडकरी तो आरएसएस के बूते पार्टी अध्यक्ष बने. गडकरी ने कहा कि ये गलत है. मैं दिल्ली नहीं आना चाहता था. अध्यक्ष बनने में संघ का कोई रोल नहीं रहा.
गडकरी ने कहा कि मैं पोस्टर चिपकाता था. हार डालने या एयरपोर्ट पर जाने की राजनीति नहीं कर पाया. गडकरी ने बताया कि मैं कुर्ता पाजामा नहीं पहनता. कई लोगों ने कहा कि राजनीति नहीं कर पाओगे. वह गलत साबित हुए. मैं सबसे युवा नेता था, जो उस कुर्सी पर बैठा अध्यक्ष की, जिस पर अटल जी बैठे थे. नरेंद्र मोदी को देखिए. आज भी उनकी मां एक छोटे से घर में रहती है.
गडकरी ने तंज कसा कि कांग्रेस में ये मुमकिन नहीं है.जयराम रमेश हजार राहुल गांधी से ज्यादा होशियार हैं. मगर ये पार्टी के मुखिया नहीं बन सकते. इस पर रमेश हंसते हुए बोले, आप मुझे बेरोजगार करना चाहते हैं.
माहौल फिर गंभीर हुआ तो रमेश ने कहा कि देश के जरूरी मुद्दों पर दोनों दलों को साथ आना ही होगा. हमने आठ साल में ये मौके कई बार खोए हैं.इस पर गडकरी बोले कि राजनीति में बहुत कुछ कहा सुना जाता है.लेकिन हम इंडिया विजन 2020 पर काम कर रहे हैं. हम कई लोगों से मिले, ये जानने के लिए कि भविष्य का देश कैसा हो. मैं चाहता हूं कि जयराम रमेश जैसे जो अच्छे मंत्री हैं. वो कभी आएं और ऑफ द रेकॉर्ड हमसे चर्चा करें. तो इन्हें भी लागू करने में आसानी रहेगी. मगर दुख की बात है कि मैं विपक्ष की पार्टी का तीन साल अध्यक्ष रहा, मगर इन्होंने एक बार भी संवाद नहीं किया. ये बिल आने के पहले संसद में चर्चा करते हैं.
गडकरी ने कहा कि अगर संवाद नहीं होगा, तो विवाद होगा ही और उसका देश को नुकसान होगा.गडकरी बोले कि रमेश ने सही कहा कि मीडिया चाहती ही कि नहीं कि एकता हो. मगर ये आपका काम है. आप करिए. पर हम भी तो समझदारी दिखाएं.
क्या जयराम रमेश जैसे मंत्रियों के लिए गुंजाइश नहीं है इस सिस्टम में?
इस सवाल पर रमेश बोले कि कि नब्बे के दशक से कई बार देखा गया है कि अदालतों जैसी संस्थाओं ने लक्ष्मण रेखा पार की है. सीबीआई और सीवीसी और सीएजी रेखा पार कर रहे हैं. आज हमारी सरकार है, कल को इनकी हो सकती है.रमेश बोले कि ये सभी को दिक्कत देगा. अदालतों ने फैसला लिया कि हम निर्णय लेंगे, सरकारों को आदेश देंगे. तीन सी सीबीआई, सीवीसी और कोर्ट के चलते फैसला लेना खतरनाक हो गया है.
गडकरी बोले कि मैं रमेश की बात से सहमत हूं. मर्यादा पार नहीं होनी चाहिए.हमारी कैबिनेट और प्रधानमंत्री सुप्रीम हैं. चारों अंगों को मर्यादा में काम करना चाहिए. न्यायपालिका कानून की व्याख्या कर सकती है. मगर दिल्ली में पार्किंग जैसे मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कहां तक जायज है.
सीबीआई का कोड़ा कौन फटकार रहा?
गडकरी बोले कि खुद सरकार ने ये नौबत पैदा कर दी है. कभी लालू, कभी मुलायम को फटकार लगाई जाती है. इस पर रमश बोले कि छोड़ा तो प्रधानमंत्री को भी नहीं है.गडकरी बोले कि सभी को अधिकार क्षेत्र में रहना चाहिए.
आखिरी में सवाल आया ऑडियंस की तरफ से. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का सोचते ही सोनिया और राहुल गांधी का नाम आता है, जबकि बीजेपी में वाजपेयी जी, आडवाणी जी समेत कई नाम आते हैं. ऐसा क्यों.
इस पर रमेश बोले कि हां ये सच है कि दो ही नाम छाए हैं मीडिया में. मगर पार्टी में कई साधारण पृष्ठभूमि से आए नेता हैं, जो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं.हस्तक्षेप करते हुए गडकरी बोले कि इनकी पार्टी का उपाध्यक्ष इतना मजबूत है कि पीएम का बिल फाड़ देता है. सरकार वीक है, परिवार मजबूत है.गडकरी ने कहा कि बीजेपी में लोकतंत्र है, इसलिए 7-8 ता हैं. रमेश ने तंज कसा कि आप सब तो सब्सिडरी हैं, होल्डिंग पार्टी तो नागपुर में बैठी आरएसएस है.
गडकरी के उकसावे पर रमेश बोले कि मैंने कई बार राहुल और सोनिया गांधी का विरोध किया. रमेश ने पूछा कि अगर बीजेपी ये कहती है कि संघ का प्रभाव नहीं है तो ये हकीकत से हटने सा है.गडकरी बोले संघ हमारी राजनीति का नहीं जीवन का हिस्सा है.