
साल 2000 में वो जुलाई का ही महीना था जब स्मृति ईरानी ने हिंदी टीवी दर्शकों को पहली बार अपने आइकॉनिक अंदाज में 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' के वीरानी परिवार से मिलवाया था. इस परिवार में रूप बदलते, नए-नए सांचों में ढलते रिश्तों की कहानी ने दर्शकों के दिल में ऐसी जगह बनाई कि उनका शो एक ही साल में अमिताभ बच्चन के गेम शो 'कौन बनेगा करोड़पति' को पीछे छोड़कर, देश का सबसे पॉपुलर टीवी शो बन गया. 2008 में जब ये शो खत्म हुआ तो टीवी दर्शकों के लिए एक पूरा दौर खत्म हो गया.
अब अपने डेब्यू के 25 साल बाद 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' टीवी पर दूसरी पारी शुरू करने जा रहा है. स्मृति ईरानी फिर से तुलसी वीरानी बनकर स्क्रीन पर आने वाली हैं. 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी 2' का पहला प्रोमो आ चुका है और सोशल मीडिया पर फैन्स में इस शो की वापसी के लिए जबरदस्त उत्साह नजर आ रहा है. मगर इस उत्साह के साथ ही एक सवाल भी उठ रहा है- क्या नई शुरुआत करने जा रहा ये शो फिर से जनता को पहले की तरह इम्प्रेस कर पाएगा?
इस सवाल का जवाब तो पॉजिटिव है. 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी 2' एक बार फिर से जनता पर जादू कर सकता है और ऐसा मानने की कई बड़ी वजहें भी हैं, चलिए बताते हैं...
नॉस्टैल्जिया को फिर से जीने का मौका
'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' ने 25 साल पहले जिस तरह टीवी पर राज किया, उसके सबूत लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हैं. ये भारतीय टीवी पर पहला शो था जिसने 1000 एपिसोड्स का लैंडमार्क पार किया था. लगातार सात सालों तक इस शो की टीआरपी डबल डिजिट्स में रही थी. इस शो की पीक टीआरपी 22.4 थी जबकि आजकल 2.5 टीआरपी वाले शोज नंबर वन कहलाते हैं.

टीवी पर व्यूअरशिप के रिकॉर्ड से इतर, हर घर में 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' की पैठ ही अलग थी. बड़े बजट में बने ग्रैंड सेट्स, एक ही हवेलीनुमा घर में घटती कहानी, अचानक मरते और मरकर जिंदा हो जाते किरदारों के ट्विस्ट और पारिवारिक मूल्यों के साथ अपने आत्मसम्मान को बैलेंस करती फीमेल लीड... ये टेम्पलेट भारतीय टीवी को 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' ने ही दिया था. आज की तारीख में 'अनुपमा' जैसे शोज इसी टेम्पलेट को फॉलो करते हैं.
इस शो के किरदार, खासकर स्मृति ईरानी के लीडिंग किरदार, तुलसी वीरानी की पॉपुलैरिटी इतनी जबरदस्त थी कि वो एक समय किसी भी फिल्म स्टार की पॉपुलैरिटी को टक्कर देती थीं. अब जब 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' फिर से लौट रहा है तो बहुत से लोगों के लिए ये उस बीते दौर को एक बार फिर से जीने का मौका लेकर आ रहा है.
स्मृति ईरानी की वापसी
तुलसी वीरानी के किरदार ने स्मृति ईरानी को घर-घर में वो पहचान दिलाई थी जो उनके राजनीतिक करियर में भी काम आई. अपने राजनीतिक करियर को पूरा वक्त देने के लिए जब उन्होंने एक्टिंग से किनारा किया था तब भी लोग उन्हें टीवी पर फिर से देखने की इच्छा जताते रहते थे. अब स्मृति 16 साल बाद टीवी पर वापिस लौट रही हैं. उनका आखिरी टीवी शो 2009 में आया शो 'मणिबेन डॉट कॉम' था.
इन 16 सालों में जनता स्मृति का एक बिल्कुल अलग अवतार देख चुकी है. मगर उन्हें पहले टीवी पर देख चुके दर्शक एक बार फिर से देखना चाहेंगे कि अब उनकी एक्टिंग में कितनी धार बची है. ऊपर से एकता कपूर के साथ स्मृति का कॉम्बिनेशन पहले भी आइकॉनिक रहा है. अब एकता के ही 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी 2' के साथ स्मृति की वापसी भी शो देखने की एक बड़ी वजह बनेगी.
एकता कपूर फैक्टर
बालाजी टेलेफिल्म्स के जरिए एकता कपूर ने हिंदी टीवी को बार-बार बदला है और हर बार एक नया ट्रेंड सेट किया है. पिछले कुछ सालों में 'जमाई राजा' और 'पवित्र रिश्ता' जैसे कई पॉपुलर टीवी शोज, टीवी छोड़कर ओटीटी पर पहुंच चुके हैं. मगर 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' को एकता टीवी पर ही लेकर आ रही हैं.
इस बात में खुद ये मैसेज छुपा है कि वो फिर से दर्शकों की टीवी देखने की आदत को वापस लाना चाहती हैं. एक प्रोड्यूसर के तौर पर एकता जब भी कुछ नया लेकर आती हैं तो कभी नए एक्सपरिमेंट करने और जनता को सरप्राइज करने से नहीं चूकतीं. ऐसे में 'क्योंकि भी कभी बहू थी 2' अपने आप में एक एक्साइटिंग शो बन जाता है.

टीवी के फैमिली ड्रामा शोज की जबरदस्त ऑडियंस
बार्क इंडिया की 2018 की एक रिपोर्ट में सामने आया था कि 98% भारतीय घरों में एक ही टीवी है. यानी अधिकतर घरों में टीवी साथ बैठकर देखा जाता है, इसे को-व्यूअरशिप कहा जाता है. इसी रिपोर्ट में एक डाटा यह भी था कि को-व्यूअरशिप में 52% हिस्सा जनरल एंटरटेनमेंट चैनलों का था. टीवी देखने वाले दर्शकों में अधिकतर 31 से 50 साल की उम्र वाले लोग हैं.
आज की तारीख में इस उम्र के लोगों में अभी भी 'क्योंकि सास भी कभी बहू' थी की यादें पाई जाती हैं. आज के मीम कल्चर में इस शो से जुड़े मीम इस्तेमाल होने की वजह भी यही है कि इसके किरदार, कहानी के ट्विस्ट और कई बड़े मोमेंट आज भी लोगों की याद्दाश्त में जिंदा हैं. ये पूरा दर्शक वर्ग 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' की वापसी को पहले एपिसोड से ही देखने के लिए तैयार बैठा मिलेगा.
बीते 5 सालों में ओटीटी ने जबरदस्त पॉपुलैरिटी के साथ ही व्यूअरशिप की कमी भी देख ली है. अब वो दौर आ गया है कि अमेजन प्राइम जैसे प्लेटफॉर्म महंगे सब्सक्रिप्शन के बावजूद दर्शकों को ऐड दिखाने लगे हैं. ऊपर से ओटीटी पर केवल गिने चुने शोज ही ऐसे हैं जो परिवार के साथ बैठकर सुकून से देखे जा सकते हैं. जबकि टीवी अभी भी कम खर्च में पूरे परिवार को मनोरंजन देने वाला साधन है.
पिछले कुछ सालों में टीवी पर ऐसे फैमिली शोज की कमी हुई है जो पूरे परिवार को एक साथ बिठा सकें. 'अनुपमा', 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' और 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' जैसे कुछ शोज ही फैमिली टीवी व्यूअरशिप बचाए हुए हैं. ये कमी 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' पूरी कर सकता है. एकता कपूर का शो पहले भी ये कमाल करके दिखा चुका है और अगर इस बार भी ये अच्छी पैकेजिंग के साथ आता है तो एक बार फिर से हर घर से इस शो का टाइटल ट्रैक सुनाई देने लगेगा.
नया कलेवर, नए तेवर
'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' का वीरानी परिवार दर्शकों का फेवरेट परिवार रहा है. 2008 में इस परिवार का टीवी से गायब हो जाना दर्शकों के लिए एक शॉक की तरह था. शो की वापसी के साथ अब जनता में सबसे पहली जिज्ञासा ये होगी कि अब इस परिवार में क्या होगा?
25 साल बाद शो की वापसी हो रही है तो ये भी उम्मीद की जा सकती है कि शो में एक लीप आ सकता है. अबतक वीरानी परिवार में एक नई पीढ़ी बड़ी हो गई होगी. पारंपरिक पारिवारिक सेटअप में उनकी आधुनिकता का एडजस्टमेंट इस बार 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी 2' देखने का एक दिलचस्प एंगल हो सकता है. यहां देखिए शो का प्रोमो:
इस शो के वेलकम का माहौल भी बन चुका है और शो का पिछला रिकॉर्ड भी बहुत दमदार रहा है. अब बस ये देखना है कि 29 जुलाई रात 10 बजकर 30 मिनट पर जब 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी 2' का पहला एपिसोड आएगा तो जनता का रिएक्शन इसपर कैसा होगा.