उड़ान
निर्देशकः विक्रमादित्य मोटवानी
कलाकारः रजत बारमेचा, अयन बोर्दिया, रोनित रॉय, राम कपूर
उड़ान सही मायनों में एक उम्र विशेष की परिभाषा है, बल्कि यूं कहें कि उस उम्र की मनस्थितियों, उसके अंतर्द्वंद्व की परिभाषा. वयस्क होते एक किशोर रोहन (रजत) को शिमला के एक स्कूल से निकाल दिया जाता है, दोस्तों के साथ हॉस्टल से भागकर कांति शाह के अंगूर नाम की एडल्ट फिल्म देखने के इल्जाम में. वापस जमशेदपुर. पिता भैरव (रोनित) फैक्टरी मालिक, नाक कटवाने पर गला काट देने वाला; उलटा जवाब, ऊंची बात नापसंद; पापा की बजाए सर कहलाने का शौक; तीसरी शादी की तैयारी में. राइटर बनने का ख्वाब देखते बेटे के ऐसे माहौल में साथी हैं उदार दिल चाचा, सौतेला भाई अर्जुन (6) और कुछ भटके दारूबाज युवा, जिनकी राय है कि ''सब छोटे सहर का बाप एक जइसा होता है''. आखिरकार रोहन बाप को झपड़ रसीद कर अर्जुन को साथ ले भाग निकलता है. पूरे किस्से में छेड़छाड़ बहुत कम है. न्यूनतम संगीत, वजनदार संवाद, ठहराव भरे शॉट्स वाले सादे दृश्य. दादी/मां के खालिस किस्से-सी निथरी हुई फिल्म.