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एक्टर खफा, डायरेक्टर भी नाराज... AI से बदल दी गई 'रांझणा', क्या हॉलीवुड का ये सिस्टम है विवाद का इलाज?

'रांझणा' की एंडिंग बदलने का फैसला फैन्स ही नहीं, फिल्म के एक्टर धनुष और डायरेक्टर आनंद एल राय को भी पसंद नहीं आया. इस मामले ने फिल्मों में AI के इस्तेमाल की क्रिएटिव लिबर्टी को लेकर एक पूरी नई बहस छेड़ दी. लेकिन डायरेक्टर्स के पास ऐसा विवादों का इलाज पहले से मौजूद है. चलिए बताते हैं...

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'रांझणा' की एंडिंग बदले जाने से छिड़ा विवाद, हॉलीवुड के पास है ये इलाज (Photo: IMDB)
'रांझणा' की एंडिंग बदले जाने से छिड़ा विवाद, हॉलीवुड के पास है ये इलाज (Photo: IMDB)

दुनिया भर की फिल्म इंडस्ट्रीज AI के इस्तेमाल को लेकर इन दिनों कन्फ्यूजन में हैं. मगर इस बीच भारत में कुछ ऐसा हुआ कि दुनिया भर के सिनेमा प्रोफेशनल्स AI के दौर में फिल्ममेकिंग के सामने खड़े एक क्रिएटिव चैलेंज के बारे में चर्चा करने लगे. धनुष स्टारर आइकॉनिक फिल्म 'रांझणा' एकबार फिर से तमिलनाडु के थिएटर्स में रिलीज हुई. 

धनुष के बर्थडे सेलेब्रेशन को खास बनाने के लिए फिल्म के प्रोड्यूसर्स ने फिल्म री-रिलीज की थी मगर इसमें एक ऐसा बदलाव कर दिया गया कि खुद धनुष ही नाराज हो गए. 'रांझणा' की ऑरिजिनल एंडिंग की जगह री-रिलीज वर्जन में AI के जरिए एक नई 'हैप्पी' एंडिंग जोड़ दी गई. 

फिल्म प्रोड्यूसर्स का ये फैसला 'रांझणा' के फैन्स ही नहीं, धनुष और डायरेक्टर आनंद एल राय को भी पसंद नहीं आया. इस मामले ने फिल्मों में AI के इस्तेमाल की क्रिएटिव लिबर्टी को लेकर एक पूरी नई बहस छेड़ दी. चलिए बताते हैं कि हुआ क्या और कैसे भारतीय फिल्ममेकर्स चाहें तो हॉलीवुड के एक वर्किंग सिस्टम से इस विवाद की काट खोज सकते हैं. 

कैसे बदला गया 'रांझणा' का अंत?
धनुष, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर और जीशान अयूब स्टारर 'रांझणा' की ऑरिजिनल एंडिंग थोड़ी उदास करने वाली थी. कहानी के अंत में दर्शकों ने फिल्म के हीरो कुंदन (धनुष) को स्क्रीन पर मरते देखा था. इस सीन में धनुष का डायलॉग- 'पर साला अब उठे कौन...' आज भी फैन्स के बीच बहुत पॉपुलर है. 

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लेकिन फिल्म के प्रोड्यूसर्स एरोस इंटरनेशनल ने हाल ही में जब तमिलनाडु में 'रांझणा' दोबारा रिलीज की तो इसमें एक नई एंडिंग थी. जेनरेटिव AI की मदद से फिल्म का अंत थोड़ा सा बदल दिया गया. नई एंडिंग में दर्शक देखते हैं कि हॉस्पिटल में कुंदन का किरदार मरता नहीं है. मौत के बहुत करीब पहुंचने के बाद उसे हॉस्पिटल में फिर से होश आ जाता है और वो आंखें खोल देता है. कुंदन जब आंखें खोलता है तो मुरारी (जीशान) और बिंदिया (स्वरा) रोते हुए उसे देख रहे हैं. 

नए बदलाव पर कैसा है डायरेक्टर का रिएक्शन?
फिल्म की नई एंडिंग को लेकर 'रांझणा' के डायरेक्टर आनंद एल राय बहुत खफा नजर आए. अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में उन्होंने एक लंबा नोट लिखते हुए कहा कि अपनी सहमति और जानकारी के बिना अपनी फिल्म को बदलकर री-रिलीज होते देखना उनके लिए 'दिल तोड़ देने' वाला रहा. 

आनंद ने लिखा, 'ये विचार कि एक मशीन हमारा काम उठाकर उसे बदल सकती है और इसे 'इनोवेशन' का नाम दिया जा सकता है, बहुत असम्मानजनक है. एक फिल्म की इमोशनल विरासत को बिना इजाजत सिंथेटिक लबादे में लपेट देना, एक क्रिएटिव एक्ट नहीं है. हमने जो कुछ बनाया था, ये उसके साथ सीधा विश्वासघात है.' उन्होंने अपनी पोस्ट में खुद को 'रांझणा' की इस री-रिलीज से अलग करते हुए लिखा कि वो इस AI से बदले वर्जन को सपोर्ट नहीं करते.

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फिल्म की नई एंडिंग पर क्या बोले धनुष?
'रांझणा' में कुंदन का लीड किरदार निभाने वाले एक्टर धनुष ने भी नई एंडिंग के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक नोट शेयर करते हुए धनुष ने लिखा कि इस AI-आल्टर्ड एंडिंग ने उन्हें 'डिस्टर्ब' कर दिया है और इसने 'फिल्म की आत्मा ही छीन ली है.' 

धनुष ने लिखा कि AI के इस्तेमाल से फिल्मों या कंटेंट का बदला जाना आर्ट और आर्टिस्ट्स के लिए एक चिंताजनक उदाहरण पेश करता है. इससे स्टोरीटेलिंग की ईमानदारी और सिनेमा की विरासत पर खतरा पैदा होता है.

क्या कानूनी रूप से वैध है फिल्म में बदलाव?
'रांझणा' की नई एंडिंग से भले डायरेक्टर आनंद एल राय बहुत खफा हों मगर कानून भी उनकी मदद नहीं कर सकता. दरअसल, भारतीय कॉपीराइट कानून के अनुसार, सिनेमेटोग्राफ फिल्म पर मालिकाना हक प्रोड्यूसर का है. 

यदि प्रोड्यूसर ने किसी विशेष कॉन्ट्रैक्ट के जरिए डायरेक्टर को फिल्म पर कोई मालिकाना अधिकार या आर्थिक अधिकार नहीं दिया है तो कॉपीराइट एक्ट के सेक्शन 14 अनुसार, एक सिनेमेटोग्राफ फिल्म का 'ऑथर' प्रोड्यूसर ही है. यानी अगर आनंद को एरोस इंटरनेशनल ने कॉन्ट्रैक्ट के जरिए फिल्म के राइट्स में कोई हिस्सा नहीं दिया है, तो वे फिल्म में कोई भी बदलाव करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं. उन्हें आनंद से इन बदलावों के लिए इजाजत लेने की कोई आवश्यकता नहीं है. 

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कानूनी रूप से सही, तो नई एंडिंग पर क्यों है विवाद?
'रांझणा' की कहानी में उदास एंडिंग असल में अधूरे प्यार के उस इमोशन का हिस्सा थी जो डायरेक्टर आनंद एल राय ने अपनी कहानी में दिखाने की कोशिश की थी. लेकिन नई एंडिंग उनके आईडिया को पूरी तरह बदल देती है. इसलिए एंडिंग बदले जाने से उनकी नाराजगी भी समझी जा सकती है. 

फिल्म इंडस्ट्री में डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स के बीच विवाद तो होते रहते हैं. मगर डायरेक्टर आनंद एल राय और एरोस इंटरनेशनल के बीच ये विवाद फीस या एक्टर की कास्टिंग का नहीं है. इस मामले से एक क्रिएटिव काम के कलात्मक अधिकार और कमर्शियल अधिकारों को लेकर एक बड़ी बहस शुरू हो गई है. 

सीधा विवाद ये है कि अगर एक फिल्म को डायरेक्टर का विजन माना जाए तो क्या उसे कमर्शियल सपोर्ट देने वाले प्रोड्यूसर जब चाहे आसानी से उसे बदल सकते हैं? आखिर एक क्रिएटिव प्रोडक्ट का क्रिएटिव कंट्रोल किसके पास होना चाहिए? 

हॉलीवुड के पास क्या है इस विवाद का हल?
क्रिएटिव नजर से देखें तो एक फिल्म डायरेक्टर का विजन होती है. इस विजन को सुरक्षित रखने के लिए कई बार डायरेक्टर्स अपने प्रोड्यूसर और फिल्म पर पैसा लगा रहे बड़े-बड़े स्टूडियोज तक से भिड़ जाते हैं. 

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मगर फिल्म स्टूडियोज के काम करने का अपना एक तरीका होता है और इसमें उनकी फिल्म लाइब्रेरी का बहुत महत्चपूर्ण रोल होता है. इसलिए प्रोड्यूसर्स का पूरा इरादा ये रहता है कि फिल्म के राइट्स पर पूरा कंट्रोल उन्हीं का रहे जिससे भविष्य में उस फिल्म के, या फिल्म से जुड़ी हर चीज (गाने, डायलॉग, सीन्स वगैरह) के इस्तेमाल पर राइट्स से कमाई की जा सके. 

हालांकि, दुनिया भर में चुनिंदा डायरेक्टर्स ऐसे भी हैं जो फिल्म के फाइनल कट राइट्स अपने पास रखते हैं. जिन डायरेक्टर्स के पास फाइनल कट राईट होता है, वो डिस्ट्रीब्यूशन और प्रदर्शन के लिए फिल्म का फाइनल वर्जन खुद तय करते हैं. ऐसे डायरेक्टर्स की फिल्मों में स्टूडियोज अपनी मर्जी से कोई बदलाव नहीं कर सकते, उन्हें डायरेक्टर की रजामंदी लेनी होती है. 

लेकिन हॉलीवुड में भी स्टूडियोज गिने-चुने, बड़े और भरोसेमंद नामों को ही फाइनल कट राइट्स देते हैं. इसे एक अधिकार की बजाय एक प्रिविलेज की तरह इस्तेमाल किया जाता है. हॉलीवुड के टॉप डायरेक्टर्स में शामिल स्टीवन स्पीलबर्ग, जेम्स कैमरून, मार्टिन स्कोर्सिसी, क्वेंटिन टेरंटीनो वगैरह कुछ ऐसे नाम हैं जिन्हें स्टूडियोज आसानी से फाइनल कट राइट्स देते हैं. 

इसी साल रिलीज हुई हॉलीवुड फिल्म 'द सिनर्स' के डायरेक्टर रायन कूगलर को अपनी फिल्म के लिए प्रोड्यूसर खोजने में शुरुआत में थोड़ी परेशानी हुई थी क्योंकि वो फिल्म के फाइनल कट राइट्स अपने पास रखना चाहते थे. लेकिन फाइनल कट राइट्स एक ऐसा टूल है जो डायरेक्टर्स को अपनी फिल्म पर क्रिएटिव अधिकार देता है. 

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जिस तरह फिल्ममेकिंग में AI का इस्तेमाल बढ़ रहा है, पूरी संभावना है कि अब ज्यादा से ज्यादा डायरेक्टर्स धीरे-धीरे अपनी फिल्मों के फाइनल कट राइट्स के लिए लड़ने लगें. क्योंकि यही एक ऐसा जरिया है जिसे उनका वो विजन सुरक्षित रह सकेगा, जिसके आधार पर उन्होंने फिल्म बनाई है. भारत में 'रांझणा' के मामले में जो हुआ, उसे देखते हुए भी शायद अब डायरेक्टर्स (खासकर बड़े नाम) फिल्मों के फाइनल कट राइट्स मांगने लगें या कॉन्ट्रैक्ट्स में क्रिएटिव ओनरशिप अपने पास रखने के लिए प्रोड्यूसर्स से लड़ते नजर आएं. 

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