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'जो लिखा वो पत्थर की लकीर नहीं', आदिपुरुष के डायलॉग बदलेंगे मनोज मुंतशिर, विवाद पर कही ये बात

प्रभास और कृति सेनन फिल्म 'आदिपुरुष' पर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस फिल्म के डायलॉग्स को लेकर सोशल मीडिया पर काफी आक्रोश देखने के बाद मेकर्स ने इन्हें बदलने का फैसला किया है. इस बारे में फिल्म के राइटर मनोज मुंतशिर ने आजतक से खास बातचीत की.

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प्रभास, मनोज मुंतशिर
प्रभास, मनोज मुंतशिर

प्रभास और कृति सेनन की फिल्म 'आदिपुरुष' पर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस फिल्म के डायलॉग्स को लेकर सोशल मीडिया पर काफी विरोध देखने के बाद मेकर्स ने इन्हें बदलने का फैसला किया है. इस बारे में फिल्म के राइटर मनोज मुंतशिर ने आजतक से खास बातचीत की. उन्होंने इस विवाद पर अपना पक्ष सभी के सामने रखा.

बच्चों के लिए बनाई है फिल्म

मनोज मुंतशिर कहते हैं, 'फिल्म का लक्ष्य सनातन की कथा को, भगवान श्रीराम की जो एपिक स्टोरी है, ये बच्चों तक पहुंचाना है. ये फिल्म वही कर रही है, जो इसे करना था. बच्चे अपने असली नायकों को जानें. हम ऐसे दौर में हैं जहां एक्सपोजर बहुत ज्यादा है. बच्चों के दिलों-दिमाग पर हॉलीवुड के कैरेटर रूल करते रहते हैं. बच्चे हल्क और सुपरमैन को जानते हैं लेकिन हनुमान और अंगद को नहीं जानते. हमारी कोशिश थी कि जो हमारे किरदार हैं, वो बच्चों तक भी पहुंचें. जो युवा वर्ग है वो भी इस फिल्म को देखें.'

उनसे पूछा गया कि बहुत से लोग हैं जो अपने टिकट कैंसिल कर रहे हैं. बहुत से लोगों का कहना है कि ये बच्चों को दिखाने लायक फिल्म नहीं है. कुछ सीन्स पर दर्शकों को आपत्ति है. कुछ डायलॉग पर आपत्ति है. इसपर आपकी राय क्या है? मनोज मुंतशिर ने जवाब दिया, 'बहुत ही कम लोग हैं. मैं पूरा आंकड़ा नहीं दे सकता. लेकिन अगर आप अभी भी जाकर बुक माय शो पर देखें तो पूरा भारत आपको भगवा में मिलेगा. बहुत तेजी से टिकट बुक हो रहे हैं. दो दिन का हमारा जो कलेक्शन हुआ है. इतने लोगों ने आकर फिल्म देखी, वरना दो दिन में पिक्चर 200 करोड़ की कमाई कैसे करती.'

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वो आगे कहते हैं, 'सवाल जहां तक सोशल मीडिया पर जो चीजें फैली हुई हैं उनका है तो जो लोग टिकट कैंसिल कर रहे हैं, वो यही गलती कर रहे हैं कि बिना खुद देखे राय बना रहे हैं. आप एक बार देख तो लें. आप जब देखेंगे तो आपको कोई शिकायत नहीं होगी. आप जब देखेंगे तो समझेंगे कि हनुमान जी का चरित्र बहुत मासूमियत से भरा हुआ है. हमने जिस तरह से हनुमान जी के चरित्र को अप्रोच किया है वो बहुत बाल सुलभ तरीके किया है. हां हनुमान जी के अंदर बल था, विद्या थी, लेकिन वो दार्शनिक तरीके से बात नहीं करते थे. उनका सारा दर्शन उनके आचरण में था. जब वो बात करते थे तो बच्चों जैसी बात करते थे. बस इतनी सी बात थी. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि जो मैंने लिख दिया है वो पत्थर की लकीर नहीं है.'

डायलॉग्स में बदलाव को लेकर कही ये बात 

मनोज मुंतशिर का कहना है कि उन्होंने फिल्म के डायलॉग को इस अंदाज में इसलिए लिखा था ताकि बच्चे इससे कनेक्ट कर पाएं, समझ पाएं. ऐसे में उनसे पूछा गया कि इससे पहले कि ये फिल्म बच्चों तक पहुंचती इसके डायलॉग बदल दिए जाएंगे. तो वो कोशिश थी इसे बच्चों से कनेक्ट करने की वो कहीं ना कहीं फेल होती दिख रही है. अगर आप डायलॉग बदल रहे हैं तो क्या आपको लगता है कि अब यंग जनता इस फिल्म से कनेक्ट नहीं कर पाएंगी?

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जवाब में मनोज ने कहा, 'फिल्म में सिर्फ 5 डायलॉग हैं. एक फिल्म 4000 हजार डायलॉग से मिलकर बनती है. अगर 5 डायलॉग को पसंद नहीं किया गया तो 3995 डायलॉग को पसंद भी किया गया है. 4000 में से 5 बदलने से कुछ नहीं होगा. जो आपत्तिजनक शब्द हैं, जिनसे जनता को दिक्कत है हम बस उन्हें बदल देंगे. 3995 डायलॉग्स को जनता से अपना प्यार दिया है. देखिए मैं एक बात आपको बताऊं कितने लोग और फिल्ममेकर्स इस देश में हैं जिनके अंदर इतनी हिम्मत हो कि एक थिएटर में पहुंची हुई फिल्म को सिर्फ इसलिए कि जनता के कुछ ऑब्जेक्शन आ गए कि उनकी बात सुनी जाए. 10 हजार के आसपास स्क्रीन्स पर हमारी फिल्म रिलीज हुई है. इसे दोबारा सेंसर कर रिलीज करना आसान बात नहीं है लेकिन हम ये मुश्किल इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि हमें हमारे देश की जनता का सम्मान है. उनकी हर बात हमारे लिए बहुत महत्वपूर्व है. हमारी लिए एक आवाज भी कीमती है. हमारे लिए एक भी सनातनी, एक भी हिंदू, एक भी राम भक्त, अगर कहता है कि नहीं पसंद आया. तो हम उसकी सुनेंगे. अगर वो कहता है कि डायलॉग बदलो तो बदलेंगे. जो करना हो हम करेंगे.'

विवादों पर मनोज मुंतशिर अपना लगातार पक्ष रख रहे हैं. उन्होंने एक ट्वीट में भी बयान जारी किया है. इसमें उन्होंने लिखा है कि मेरे मस्तक पर सनातन द्रोही लिखने में जल्दबाजी क्यों? आजतक से बातचीत में मनोज मुंतशिर ने बताया कि उन्हें ऐसा क्यों लगता है और कौन होंगे जो उनपर ये आरोप लगा रहे हैं. जवाब में मनोज ने कहा, 'मैं तो सिर्फ सनातन प्रेमी हूं. सनातन प्रेमी से सनातन की आवाज मैं कब बन गया मुझे पता नहीं चला. जो मुझे सनातन के बारे अच्छा लगा मैंने बोलना शुरू किया. बोलते-बोलते लोगों ने मुझे सुनना शुरू किया और इस पैमाने पर सुनना शुरू किया कि मैं कहीं ना कहीं उसकी प्रतिध्वनि बन गया. तो जब मैं आवाज अब गया, तो अब इस आवाज को दबाना भी तो जरूरी है. अगर ये आवाज गूंजती रही और ऐसी ही गूंजती रही कि दिन दोगुनी, रात चौगुनी रफ्तार से दूर-दूर तक पहुंच रही है. मैं पूरी दुनिया में घूम रहा हूं. मैं इंटरनेशनल पैमाने पर जाकर राम-कृष्णा की कहानी सुना रहा हूं. मैं राधा-कृष्ण की प्रेम कथाएं सुना रहा हूं. मैं ये कह रहा हूं कि जो हम अब तक सुनते आए हैं, वो चाहे सलीम-अनरकाली हो, चाहे जोधा अकबर हो, ये सही कहानियां नहीं हैं, आपको प्रेम सीखना है तो मां सीता और प्रभु श्री राम से सीखें. प्रेम सीखना है तो राधा और कृष्ण से सीखें. तो जब मैं ऐसी बातें कर रहा हूं, तो आपको लगता है कि कुछ लोग आतंकित नहीं होंगे. कुछ लोगों को डर नहीं लगेगा.'

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मनोज ने आगे कहा, 'इस देश में जो नैरेटिव चलता आ रहा है पिछले इतने दशकों से, जब वो बदलेंगे तो कुछ लोगों का घबराना स्वाभाविक है. मुझे दुख सिर्फ तब होता है जब मेरे अपने लोग, जो कि मेरे जैसा ही लक्ष्य आगे बढ़ रहे हैं, वो बहकावे में आ जाते हैं. जब ये चार ट्वीट आते हैं, जो ये चार ट्वीट एक ही समय पर, एक ही शब्दों के साथ, प्रॉपगेट करने के लिए, टारगेट करने के लिए एजेंडा के लिए फैलाए जा रहे हैं, मैं इन भाइयों से कहता हूं कि मैं तो आपका ही हूं. आप जो भी मुझे बोलोगे मैं कभी भागकर बचकर जाऊंगा ही नहीं. मैं फिल्मी नहीं हूं. मैं बॉलीवुड नहीं हूं. मैं मनोज मुंतशिर हूं, वही अमेठी का गौरीगंज का लड़का, जो यहां काम ढूंढने आया था, आज काम कर रहा है आपकी आवाज बन गया है. इतनी ही मेरी भूमिका है. आप जो चाहे मुझे कह सकते हैं, लेकिन अपनी ही बात कहिए. जो आपके दिल पर लगा, जिससे आप आहत हुए, उसका जवाब देने के लिए मैं वचनबद्ध हूं. लेकिन आप दूसरों के फैलाए हुए प्रॉपगेंडा से जुड़कर मुझसे बात पूछेंगे तो मुझे लगेगा कि ये भाई पड़ोस के घर की बात क्यों कर रहा है. मेरा भाई मुझसे बात करे ना सीधा.'

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मनोज मुंतशिर से पूछा गया कि 'आदिपुरुष' के डायलॉग बदलने का फैसला क्या उन्होंने विवाद की वजह से लिया है? इसपर उन्होंने कहा, 'एक घर में जब कोई विवाद होता है तो कैसा होता है. विवाद में सब अपना-अपना पक्ष रखते हैं. समझदारी इसी में है कि पक्ष को सुनकर, जिसका पक्ष सशक्त लगे उसकी बात मान ली जाए और दूसरे लोग पीछे हटकर पूरी विनम्रता के साथ स्वीकार कर लें कि मैं कुछ और सोच रहा था, लेकिन आप ऐसा कहते हैं तो आपकी बात में ज्यादा दम है. आपकी बात मान लेता हूं. ऐसे ही समाज में बातचीत होती है. पहले आप अपनी बात कहते हैं और फिर दूसरे की सुनते हैं. और देखें जब कोई किसी तर्क से ज्यादा किसी रिश्ते को महत्व देता है, वो तर्क हार जाता है. मेरे लिए तर्क मायने नहीं रखते हैं. मेरे लिए बड़ी चीज ये है कि आपको पीड़ा नहीं होनी चाहिए. मैं अपने तर्कों को शांत करता हूं. मेरे लिए आपको भावनाओं का सम्मान है.'

मनोज को किया जा रहा टारगेट?

राइटर मनोज मुंतशिर का कहना है कि उन्हें टारगेट किया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'अगर एक भी सनातनी को बुरा लगा है तो मैं उसे बदल दूंगा. हां कुछ लोग हैं जो मुझे टारगेट कर रहे हैं. मैं उन्हें समझाना चाहता हूं कि मेरी आवाज तो दबाई जाएगी. मैंने क्या किया है.   आजतक मैं साधारण जिंदगी जीता हूं. मैं फिल्मी दुनिया से दूर हूं. हुआ ये है कि एक फिल्म आ गई है, मनोज मुंतशिर ने कुछ बड़ा लिख दिया है, तो लोगों ने सोचा अब उसकी निंदा की जा सकती है. इसे बड़ा करके दिखाया जा सकता है. ऐसा क्यों है कि कुछ पार्टियां मेरे बारे में बोल रही हैं. ये मामला राजनैतिक हो चुका है. ये मैं अपने सनातनी भाइयों को बताना चाहता हूं. मैं तो वही इंसान हूं. आप मुझे सनातन का विरोधी कहेंगे तो कौन साथ देगा आपका. मैं ही हूं आपका.'

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ट्रोल्स को लेकर मनोज मुंतशिर ने कहा, 'जहां तक सवाल ट्रोल्स का है मैं उसे तवज्जो नहीं देता. मेरी जिम्मेदारी सनातनी भाइयों के लिए है. राम भक्तों के लिए है. किसी पार्टी, किसी शहर के मुख्यमंत्री के लिए नहीं है. मेरे लिए ये बहुत दुख की बात है कि मेरे बोलने और लिखने से आप आहत हुए हैं.'

 

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