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'लोग कहते थे डाउनमार्केट लगता है सरनेम', इसलिए रवि शुक्ला से बने रवि किशन

बिग बॉस ओटीटी से एविक्ट हुईं अक्षरा सिंह ने यह बयान दिया है कि भोजपुरी इंडस्ट्री का होने की वजह से उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है. इस बयान ने वाकई में एक बहस छेड़ दी है कि बॉलीवुड इंडस्ट्री में क्षेत्रवाद अब भी बरकरार है. ऐसे में हमने भोजपुरी स्टार रवि किशन से बातचीत कर उनकी राय जानने की कोशिश की है. 

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रवि किशन
रवि किशन
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रवि किशन को अपना सरनेम क्यों हटाना पड़ा
  • लोग कहते थे डाउनमार्केट
  • बिग बॉस के अबतक के सबसे एंटरटेनिंग कंटेस्टेंट में से एक

भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह बिग बॉस ओटीटी से एविक्ट कर दी गई हैं. शो से बाहर आते ही अक्षरा ने शो को लेकर कई विवादित बयान दे डाले हैं. आजतक डॉट इन से बातचीत के दौरान उनके पिता ने नेपोटिज्म का मुद्दा छेड़ते हुए कहा है कि शो में साफ-साफ दिख रहा है, करण जौहर शमिता शेट्टी और नेहा भसीन को सपोर्ट कर रहे हैं. 

विपिन आगे कहते हैं, आने वाले समय में अगर ऐसा ही रवैया रहा, तो कोई भी भोजपुरी एक्टर बिग बॉस में आने से कतराएगा. अक्षरा और उनके पिता विपिन इंद्रजीत सिंह का आरोप है कि भोजपुरी इंडस्ट्री से होने की वजह से उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है.

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पहले ज्यादा फेस करना पड़ता था

बिग बॉस हाउस के पहले भोजपुरी कंटेस्टेंट रहे रवि किशन ने हमसे एक्सक्लूसिव बातचीत पर कहते हैं, 'कुछ-कुछ लोग ऐसा सोचते होंगे. यह गुटबाजी है. पहले ऐसी भ्रांतियां बहुत थी, जो अब टूट चुकी है. अब ऐसा नहीं है. मनोज बाजपेयी, पंकज त्रिपाठी जैसे कई नाम है. अब ऐसी कोई शिकायत मुझे नहीं लगती है. हम सभी एक्टर्स को बड़ा प्लेटफॉर् मिल रहा है.' रवि कहते हैं, बिग बॉस के दौरान मैं लोगों के बीच ज्यादा पॉपुलर हुआ. यहां से मुझे कई हिंदी बड़ी फिल्में मिलने लगीं. हां, लेकिन इस बात से इंकार नहीं कि 90 के दशक में इसे ज्यादा फेस करना पड़ता था. 

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मुझपर सरनेम हटाने का दबाव बनाया गया

जब मैं करियर बनाने यहां आया, तो मुझ पर दबाव डाला गया कि सरनेम हटा लें. कहा जाता था कि सरनेम बहुत डाउन मार्केट सा लगता है. यही वजह से मुझे रवि शुक्ला से रवि किशन करना पड़ा था. डायरेक्ट फेस पर भी कहा गया है कि आप थोड़ा डाउन मार्केट हैं. पर आदमी जब मजबूर होता है, तो उसकी बुद्धी भी चलती नहीं है. पहले हमारे यहां के लोग भी हमें तवज्जो नहीं देते थे. 

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बिग बॉस में बोले डायलॉग एंथम बन गए

मैं जब बिग बॉस आया था, तो मैंने यही सोचा था कि कोई दिखावटीपन नहीं रखूंगा. मैंने अपनी पहचान को छिपाया नहीं. हर-हर महादेव, जिंदगी झंड बा जैसे मेरे कई डायलॉग्स पॉपुलर हो गए. मैंने अपने भाषा पर हमेशा गर्व किया है, मुझे कोई हिचक या गिल्ट महसूस नहीं होता है. वहीं से देसीपन कूल बनता चला गया. रही बिग बॉस में भेदभाव की, तो मैं कभी उस पर ध्यान ही नहीं दिया. मैं खुद ही इतना तांडव मचाया करता था और आतंक फैला रखा था कि लोगों का ध्यान मुझसे जाता ही नहीं था.

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ग्रुपिज्म तो होता है, लेकिन उसे तोड़ने की जरूरत 

मैं मानता हूं कि आपमें काबिलियत है, तो आपको कोई रोक नहीं सकता है. थोड़ी बहुत पॉलिटिक्स व ग्रुपिज्म तो होता रहता है. लेकिन उसे ब्रेक करने की जरूरत है. यह लड़ाई आपको हमेशा लड़ते रहनी होगी. नहीं तो मैं 6 फीट का हूं, डांसर हूं, मेरी आवाज अच्छी है, एक्शन से एक्टिंग सबमें ट्रेंड हूं, तो मैं ये सोच सकता हूं कि मुझे किसी ने लॉन्च ही नहीं किया. इसलिए मैंने खुद को ही लॉन्च कर लिया. लोग आपको नीचा दिखाएंगे, मजाक उड़ाएंगे, पर आप इन्हें कैसे लेते हो, यह आप पर निर्भर करता है. 

आरोप लगाने से बेहतर, काम पर हो फोकस

अक्षरा के विवाद पर रवि किशन का कहना है, अगर आपको ऐसा लगता है, तो आपको एक लंबी लकीर खींचनी चाहिए. आपको मेहनत कर रास्ता बनाने की जरूरत है और यह बिलकुल संभव है. आपको छोटी लकीर के सामने बड़ी लकीर खींचनी ही पड़ेगी. मैं इसी पर यकीन करता हूं. मुझे किसी पर इल्जाम लगाने के बजाए खुद पर काम और मेहनत करनी चाहिए. 

 

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