'अरे जा रे हट नटखट, ना छू रे मेरा घूंघट...', ये गाना नाजाने आपने अपने बचपन से लेकर अब तक कितनी ही बार सुना होगा. बहुत तो ऐसे होंगे जिन्हें ये गाना मुहं जुबानी याद होगा. है ही इतना तरंगो भरा तो याद रहना तो बनता भी है. वहीं अगर होली का त्योहार हो तो इस गाने के बिना तो मजा ही अधूरा रहेगा. लेकिन इस गाने को सुनते हुए कभी आपने सोचा होगा कि जब ये गाना बना होगा तो कितने मजेदार किस्से इससे जुड़े होंगे.
साल 1959 में आई वी शांताराम की फिल्म नवरंग में संध्या शांताराम ने अपने अभिनय से रंग जमा दिया था. अरे जा रे हट नटखट गाना अपने अंदर इसको फिल्माने से लेकर कलाकारों के बीच पनपे रिश्ते की अजब कहानी समाए हुए है. चलिए पहले आपको बताते हैं इसकी शूट स्टोरी.
असली हाथी-घोड़े के साथ नाची एक्ट्रेस
संध्या शांताराम, जिनका असली नाम विजया देशमुख है. ये गाना जैसे उन्हीं के लिए बना था. बताया जाता है कि संध्या ने खासतौर से इस गाने के लिए क्लासिकल डांस सीखा था. तब के दौर में कोरियोग्राफर नहीं हुआ करते थे. जो भी एक्ट आप गाने में देखते हैं उसे खुद संध्या ने किया है, या डायरेक्टर वी. शांताराम ने करवाया है. डायरेक्टर गाने को बेहद खास बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने असली हाथी और घोड़े का इंतजाम करवाया था. सेट पर मौजूद असली के जानवरों के बीच संध्या निडर होकर, पूरे एक्सप्रेशन के साथ नाची थीं.
एक्ट्रेस संध्या जानती थीं कि ये आसान नहीं होगा. क्योंकि आवाज और लोगों को देख जानवर कभी भी भड़क सकते हैं. लेकिन संध्या घबराई नहीं, उन्होंने अपनी तरफ से पूरी तैयारी की. संध्या ने किसी बॉडी डबल का इस्तेमाल नहीं किया. उन्होंने गाने के शूट से पहले हाथी और घोड़े के साथ दोस्ती की. उन्हें अपने हाथ से केला और नारियल खिलाती थीं. उन्हें पानी पिलाती थीं. संध्या की डेडिकेशन और हिम्मती स्वभाव को देखकर डायरेक्टर भी इम्प्रेस हो गए थे.
शांताराम को हुआ संध्या से प्यार
हालांकि वी शांताराम शादीशुदा थे. लेकिन संध्या की डेडिकेशन और चेहरे की चमक उनसे छुपी नहीं रह पाई. डायरेक्टर ने उन्हें करीब से जान लिया था. संध्या के डेयरिंग नेचर को देख वो इम्प्रेस हुए बिना नहीं रह पाए. संध्या ने ज्यादातर शांताराम की ही फिल्मों में काम किया था. इन फिल्मों में झनक झनक पायल बाजे, दो आंखें बारह हाथ, नवरंग, पिंजरा, अमर भोपाली जैसी हिट फिल्में शामिल हैं.
पुराने इंटरव्यूज को देखें तो, शांताराम ने हमेशा कहा कि संध्या के चेहरे में ऐसे कोई फीचर्स नहीं थे कि लगे कि ये किसी और में नहीं. लेकिन संध्या की आवाज बहुत प्यारी है. उसका स्वभाव बेहद अलग है. शांताराम को संध्या के अंदाज को देख उनसे प्यार हो गया था. शांताराम की दो शादियां हुई थी. दूसरी पत्नी के छोड़कर चले जाने के बाद, उन्होंने संध्या से शादी कर ली थी और फिर जीवनभर उन्हीं के साथ रहे.
वी. शांताराम की फिल्म नवरंग को बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट साउंड और बेस्ट एडिटिंग के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था. फिल्म के सभी गाने, खासकर अरे जा रे हट नटखट...रिलीज के 64 साल बाद भी सुपरहिट हैं. ये आपको कहीं भी होली के दिन बजता हुआ सुनाई पड़ जाएगा. गाना एवरग्रीन है.