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'तारे जमीं पर' में ये बड़ी गलती कर रहे थे आमिर खान, 'लगान' के एक्टर ने दी छोटी सी सलाह, यादगार बन गई फिल्म

'तारे जमीं पर' का मैसेज ये कहना था कि अगर हम प्यार और सेंसिटिविटी से डील करना सीखें तो शायद स्पेशल नीड्स वाले बच्चों के लिए अलग से स्पेशल स्कूल बनाने की जरूरत ही ना पड़े. बल्कि आम स्कूलों में ही ऐसे बच्चे, बिना दूसरे बच्चों से अलग हुए अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें.

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'तारे जमीं पर' में बड़ी गलती कर रहे थे आमिर खान
'तारे जमीं पर' में बड़ी गलती कर रहे थे आमिर खान

बॉलीवुड सुपरस्टार आमिर खान एक लंबे ब्रेक के बाद फाइनली बड़े पर्दे पर कमबैक की तैयारी में हैं. हाल ही में ये खबर सामने आई कि आमिर ने अपनी अगली फिल्म 'सितारे जमीं पर' को जून में रिलीज करने के मूड बना लिया है. 

'सितारे जमीं पर' को आमिर कई इंटरव्यूज में अपनी आइकॉनिक फिल्म 'तारे जमीं पर' (2007) का सीक्वल है. हालांकि, ये सीधे तौर पर एक सीक्वल नहीं होगा, बल्कि आमिर बताते आ रहे हैं कि ये एक स्पिरिचुअल-सीक्वल होगा. मतलब ये कि थीम के लेवल पर 'सितारे जमीं पर' का मैसेज कुछ वैसा ही होगा जैसा 'तारे जमीं पर' का था. 18 साल पहले आई अपनी यादगार फिल्म से आमिर ने बतौर डायरेक्टर डेब्यू किया था और एक डिस्लेक्सिक बच्चे की कहानी दिखाई थी. फिल्म में ये किरदार दर्शील सफारी ने निभाया था.

'तारे जमीं पर' का मैसेज ये कहना था कि अगर हम प्यार और सेंसिटिविटी से डील करना सीखें तो शायद स्पेशल नीड्स वाले बच्चों के लिए अलग से स्पेशल स्कूल बनाने की जरूरत ही ना पड़े. बल्कि आम स्कूलों में ही ऐसे बच्चे, बिना दूसरे बच्चों से अलग हुए अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें. लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया था जब आमिर, 'तारे जमीं पर' में ही अपना मैसेज डिलीवर करने में बुरी तरह चूक रहे थे. 

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टेस्ट के तौर पर फिल्म देख रही ऑडियंस को फिल्म का मैसेज ही गलत समझ आ रहा था. फिर आमिर के एक दोस्त ने बताया कि उनसे चूक कहां हो रही है और इसे ठीक करने के बाद 'तारे जमीं पर' वो आइकॉनिक फिल्म बनी जो हमने पर्दे पर देखी. आइए बताते हैं इसका किस्सा. 

पूरी तरह चूक रहा था आमिर का मैसेज
'तारे जमीं पर' का पूरा आईडिया ही ये है कि शिक्षा में सबको शामिल करने वाला माहौल होना चाहिए. कई साल बाद अपनी फिल्म पर बात करते हुए आमिर ने मिड डे से कहा, 'अगर किसी बच्चे को कोई समस्या है, और हर बच्चे को कोई ना कोई समस्या होती है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि उसे बाकी बच्चों से अलग कर दिया जाए. उसे भी बाकी बच्चों के साथ शामिल होने का हक है. तो हम सबको शामिल करने की बात कर रहे थे. यानी हमारा मैसेज ये था कि स्पेशल स्कूल्स की जरूरत ही नहीं होनी चाहिए. सारे बच्चे एक ही क्लास में पढ़ सकें. 

आमिर ने बताया कि जब उन्होंने टेस्ट ऑडियंस को फिल्म दिखाई तो उन्हें लगा कि ईशान एक स्पेशल चाइल्ड है इसलिए उसे स्पेशल स्कूल में होना चाहिए. आमिर का मैसेज जनता में बिल्कुल उल्टा जा रहा था, जनता फिल्म को अलग तरीके से रीड कर रही थी. इससे आमिर और टीम को एहसास हुआ कि दर्शकों के साथ कुछ मिसकम्युनिकेशन हो रहा है. मगर आमिर ये नहीं समझ पा रहे थे कि ऐसा हो क्यों रहा है. आमिर ने बोले, 'मुझे बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा हो क्यों रहा है. सारी लाइनों में हमने सबकुछ साफ बताया है, बार-बार बता रहे हैं.'

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'लगान' के इस एक्टर ने की आमिर की मदद
फाइनली 'लगान' में बाघा का किरदार निभाने वाले एक्टर, आमिर के दोस्त अमीन हाजी ने असली समस्या नोटिस की. उन्होंने कहा कि शायद समस्या फिल्म के टाइटल ट्रैक 'तारे जमीं पर' में है. दरअसल, इस गाने में आमिर का किरदार एक स्पेशल स्कूल में नजर आता है. 

'तारे जमीं पर' से एक सीन (क्रेडिट: यूट्यूब)

वो स्पेशली एबल्ड बच्चों के स्कूल में एनुअल डे मना रहा है, डांस कर रहा है, बच्चों को खुश देखकर खुद भी हंस रहा है. लेकिन गाने के सीन्स में एक शॉट आमिर के चेहरे से ट्रांजिशन होकर सीधा अपने बोर्डिंग स्कूल की बालकनी में उदास खड़े ईशान पर जाता है. उसकी आंखों में आंसू हैं क्योंकि उसके पेरेंट्स इस वीकेंड उससे मिलने नहीं आए. अगले शॉट में नजर आता है कि पेरेंट्स ईशान के बड़े भाई का टेनिस मैच देख रहे हैं. ईशान का भाई अच्छा नहीं खेल रहा है और उसके पापा गुस्सा हो रहे हैं. 

हाजी ने आमिर से कहा, 'मुझे लगा कि आप ऐसा सोच रहे हैं कि स्पेशल स्कूल में इन बच्चों को अपने पेरेंट्स से इतना प्यार मिल रहा है. और आप ईशान के बारे में सोच रहे हैं कि शायद उसे यहां होना चाहिए. वो गलत जगह पर है, उसे रेगुलर स्कूल में नहीं होना चाहिए, यहां स्पेशल स्कूल में होना चाहिए.' तब आमिर को लगा कि उनका मैसेज ये तो है ही नहीं. पहले वो हाजी की बात से सहमत नहीं हुए लेकिन फिर उन्होंने कुछ ट्राई किया. 

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क्रेडिट: यूट्यूब

आमिर ने अपने एडिटर के साथ इस पोर्शन पर दोबारा काम किया. अब गाने के सीक्वेंस में आमिर के चेहरे से शॉट कट हो कर, पहले उसके भाई के टेनिस मैच पर गया और उसके बाद ईशान के उदास चेहरे पर आया. यानी एडिटिंग में केवल दो शॉट्स को आगे-पीछे किया गया. 

आमिर ने बताया, 'वो समस्या हल हो गई. उसके बाद किसी ने फिल्म का मैसेज गलत रीड नहीं किया.' आमिर ने ये भी बताया कि उन्होंने पहले अपने चेहरे के शॉट के बाद ईशान का शॉट क्यों रखा था. इस शॉट से वो असल में ये दिखाना चाह रहे थे कि उनका किरदार ईशान में खुद को देखता है. क्योंकि वो भी बचपन में डिस्लेक्सिया से परेशान था और इसलिए उससे कनेक्शन महसूस कर रहा तथा. आमिर ने माना कि यहां वो बतौर डायरेक्टर फेल हो रहे थे. 

हालांकि, आमिर के लिए कई मायनों में आइकॉनिक 'लगान' से उनके एक दोस्त की सलाह उनके काम आई. आखिरकार 'तारे जमीं पर' का मैसेज सीधा होकर जनता तक पहुंचा और लोगों के दिल में हमेशा के लिए दर्ज हो गया. अब देखना ये है कि 'तारे जमीं पर' का स्पिरिचुअल-सीक्वल 'सितारे जमीं पर' लेकर आ रहे आमिर, इस बार जनता के लिए फिल्म में क्या मैसेज लेकर आ रहे हैं. 

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