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UP Exit Poll: किसान आंदोलन का क्यों नहीं दिखा पश्चिमी यूपी में चुनावी असर?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के शुरुआती दो चरणों की वोटिंग जाटलैंड कहे जाने वाले पश्चिमी यूपी की सीटों पर थी. किसान आंदोलन का असर भी इन सीटों पर था. ऐसे में जाट वोटों की नाराजगी बीजेपी के लिए चिंता का सबब माना जा रहा था. क्योंकि 2017 में बीजेपी ने इन दो चरणों की 113 सीटों में से 91 पर जीत हासिल की थी.

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कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन एक साल से ज्यादा समय तक चला.
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन एक साल से ज्यादा समय तक चला.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पश्चिमी यूपी में चुनाव में किसान आंदोलन था बड़ा मुद्दा
  • एग्जिट पोल में पश्चिमी यूपी में बीजेपी को बड़ी बढ़त मिली

यूपी में Exit Poll फिर से बीजेपी की सरकार बनने की ओर इशारा कर रहे हैं. खास बात ये है एग्जिट पोल के अनुसार इस चुनाव में किसान आंदोलन, बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों पर बीजेपी को घेरने की कोशिश करने वाली सपा 71-101 सीटों पर सिमटती दिख रही है. पश्चिमी यूपी में चुनाव के दौरान किसान आंदोलन बड़ा मुद्दा था. यहां तक कि बीजेपी को करीब 1 साल चले किसान आंदोलन के बाद कृषि कानून वापस लेने पड़े. विपक्ष ने आरोप लगाया था कि चुनाव के चलते केंद्र ने कृषि कानून वापस लिए. आइए जानते हैं कि एग्जिट पोल में पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन का क्या असर दिखा?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के शुरुआती दो चरणों की वोटिंग जाटलैंड कहे जाने वाले पश्चिमी यूपी की सीटों पर थी. किसान आंदोलन का असर भी इन सीटों पर था. ऐसे में जाट वोटों की नाराजगी बीजेपी के लिए चिंता का सबब माना जा रहा था. क्योंकि 2017 में बीजेपी ने इन दो चरणों की 113 सीटों में से 91 पर जीत हासिल की थी. 

एग्जिट पोल में किसान आंदोलन का असर नहीं दिखा

पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन और गन्ना की कीमतें बड़ा मुद्दा था. लेकिन माना जा रहा था कि राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर 1 साल चले किसान आंदोलन का असर पश्चिमी यूपी में सबसे ज्यादा दिखाई पड़ सकता है. लेकिन एग्जिट पोल में इसके उलट नतीजे देखने को मिले. 

पहले दो चरणों में बीजेपी का पलड़ा भारी

एग्जिट पोल के मुताबिक, बीजेपी को इन दो चरणों यानी 113 सीटों में से 81 सीटें मिलती दिख रही हैं. वहीं, सपा गठबंधन को 30 सीटें मिलने का अनुमान जताया जा रहा है. वोट प्रतिशत की बात करें तो पहले चरण में बीजेपी को 49 फीसदी और दूसरे चरण में 42 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है. जबकि सपा को पहले चरण में 34 फीसदी और दूसरे चरण में 43 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है. वहीं, 2017 चुनाव नतीजों की बात करें, तो बीजेपी को 113 में से 91 सीटों पर जीत मिली थी.

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जाट वोटरों ने किसे बनाया 'अपना'?

सपा ने इस बार रालोद से गठबंधन किया था. माना जा रहा था कि जयंत चौधरी के साथ आने के बाद सपा को जाट वोटरों का साथ मिलेगा. क्योंकि किसान आंदोलन के चलते ये वोटर बीजेपी से नाराज बताए जा रहे थे. लेकिन एग्जिट पोल के नतीजों में ऐसा होता नहीं दिख रहा है. एग्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक, बीजेपी को जाटों का 46.5 फीसदी वोट मिला तो 21 फीसदी जाटव और 52 फीसदी गैर-जाटव दलितों का साथ मिला है. वहीं, सपा के खाते में 44% जाट वोटर गया. 

क्या अमित शाह की रणनीति आई काम? 

माना जा रहा था कि पश्चिमी यूपी में बीजेपी पिछड़ सकती है. यही वजह है कि चुनाव से ठीक पहले गृह मंत्री अमित शाह ने खुद पश्चिमी यूपी की रणनीति तय की थी. पश्चिमी दिल्ली के बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के आवास पर जाट समाज के नेताओं की पंचायत हुई थी, इसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुए थे. अमित शाह जाट समुदाय के तमाम नेताओं के जरिए पश्चिमी यूपी में जाटों को भाजपा के पाले में लाने की कोशिश करते नजर आए थे. ताकि सूबे में जीत की राह आसान हो सके. एग्जिट पोल में अमित शाह की रणनीति सफल होती दिख रही है. 

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