
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सितंबर का महीना सूबे की सियासी तपिश को बढ़ाने वाला है. एक तरफ सियासी दल अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए यात्राएं निकाल रहे हैं तो दूसरी तरफ अब छात्र और किसान भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने को तैयार हैं. सूबे में यह दोनों आंदोलन इसी सप्ताह में होने जा रहे हैं. वहीं, सपा और कांग्रेस इन्हीं मुद्दों को लेकर योगी सरकार को घेरने में जुटी है.
पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में भीड़ जुटाकर मोदी-योगी सरकार को अपनी ताकत का एहसास कराएंगे तो राजधानी लखनऊ में 6 सितंबर को शिक्षक भर्ती को लेकर चल रहे आंदोलन को धार देने के लिए देश-प्रदेश के छात्रों की जुटने की मुहिम चलाई जा रही है.
किसान आंदोलन का भविष्य महापंचायत
संयुक्त किसान मोर्चा मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में पांच सितंबर को किसान महापंचायत करने जा रहा है, जिसकी जिम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन को सौंपी गई है. यह महापंचायत किसान आंदोलन का भविष्य तय करने वाली है. यही वजह है कि किसान संगठन के लोग गांव-गांव जाकर पंचायत कर लोगों से महापंचायत में आने की अपील कर रहे हैं. साफ जाहिर है कि लाखों की भीड़ न सिर्फ मुजफ्फरनगर बल्कि पश्चिमी प्रदेश के दूसरे इलाकों में भी महापंचायत में पहुंचेगी.

भारतीय किसान यूनियन के महासचिव धर्मेंद्र मलिक के मुताबिक मुजफ्फरनगर की महापंचायत इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी किसान महापंचायत होगी. इसमें यूपी ही नहीं, दूसरे राज्यों के किसान शामिल होंगे. यह महापंचायत कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन व संयुक्त किसान मोर्चा के मिशन यूपी की दिशा तय करेगी. सरकार ने अगर कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया और एमएसपी पर गारंटी का कानून नहीं बनाया तो मोर्चा यूपी समेत अन्य राज्यों में भी महापंचायत के माध्यम से आंदोलन तेज करेगा.
किसान चुनाव को लेकर रुख तय करेगा
यूपी में होने वाले चुनाव से पहले किसानों की यह महापंचायत सियासी तौर पर काफी अहम मानी जा रही है. राष्ट्रीय लोकदल से लेकर सपा और कांग्रेस के नेता भी किसान महापंचायत के समर्थन में खड़े हैं, क्योंकि पश्चिमी यूपी में किसान सियासी तौर पर काफी निर्णायक भूमिका में हैं. तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 9 महीने से दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन ने पश्चिम यूपी का सियासी पारा गर्म कर रखा है.
माना जा रहा है कि मुजफ्फरनगर में होने वाली किसान महापंचायत बीजेपी के लिए 2022 के चुनाव में कहीं बड़ी चुनौती न खड़ी कर दे, क्योंकि किसान नेता राकेश टिकैत से लेकर भारतीय किसान यूनियन और तमाम किसान नेता लगातार बीजेपी को चुनाव में सबक सिखाने का बयान दे रहे हैं. महापंचायत में चार राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर भी रूप रेखा तय की जाएगी.
छात्रों का शिक्षक भर्ती आंदोलन
यूपी में 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण सीटों को लेकर लखनऊ के ईको गार्डन पार्क में छात्र-छात्राएं एक महीने से ज्यादा समय से धरने पर बैठे हैं, लेकिन वह अब इसे आंदोलन का रूप देने जा रहे हैं. छात्रों का आरोप है कि शिक्षक भर्ती में राज्य सरकार ने ओबीसी और एससी-एसटी समुदाय को उनके कोटे के बराबर सीटें नहीं दी हैं. पिछले एक महीने में छात्र मुख्यमंत्री से लेकर डिप्टी सीएम के आवास और बीजेपी दफ्तर पर धरना दे चुके हैं, लेकिन अभी तक उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं.

शिक्षक भर्ती में अपने कोटे के आरक्षण की मांग को लेकर धरने पर दलित और ओबीसी समुदाय के अभ्यर्थी बैठे हैं, जिसके चलते यह सियासी रूप भी लेता जा रहा है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से लेकर भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के चीफ चंद्रशेखर भी समर्थन में खुलकर आ गए हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर धरने पर बैठे छात्रों की मांग का समर्थन किया है.
अजय कुमार लल्लू और अलग-अलग समय पर चंद्रशेखर ईको गार्डन में आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं के साथ खुद जाकर धरने पर बैठे थे. चंद्रशेखर ने प्रदेश के सभी छात्र और छात्राओं को 6 सितंबर को लखनऊ पहुंचने के लिए अपील की है. साथ ही उनकी पार्टी से जुड़े हुए लोग सोशल मीडिया के माध्यम से 6 सितंबर को लखनऊ पहुंचने की अपील कर रहे हैं और साथ ही गांव-गांव में भी इस आंदोलन के लिए समर्थन मांग रहे हैं. इससे साफ जाहिर है कि चुनाव से पहले यह आंदोलन एक बड़ा रूप ले रहा है, जो बीजेपी और योगी सरकार के लिए चिंता बढ़ा सकता है.
दिलचस्प बात है कि सपा किसान-युवा-महिलाओं को लेकर 2022 के चुनावी एजेंडा सेट करने में जुटी है. किसान और युवाओं के मुद्दों को अपने घोषणा पत्र में शामिल करने की दिशा में लोगों की राय लेने के लिए सपा ने यात्रा भी शुरू की है. वहीं, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद भी इन्हीं मुद्दों पर घेरने के लिए इन दिनों यूपी में घूम-घूमकर लोगों से राय और मशविरा कर रहे हैं, जिसके जरिए घोषणा पत्र बनाने का काम करेंगे.