उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी हर वर्ग को अपने साथ जोड़ने की कवायद में जुटी है. इसके लिए बीजेपी कई तरह के कार्यक्रम और सम्मेलनों का आयोजन कर रही है और योगी सरकार भी उन्हें लुभाने में जुट गई है. अल्पसंख्यक विरोधी होने का आरोप झेलने वाली बीजेपी और योगी सरकार मुस्लिम समुदाय को रिझाने के लिए संगठन से लेकर सरकार तक में उन्हें तवज्जो दे रही है.
बीजेपी 2022 के चुनाव में हर विधानसभा क्षेत्र में 5 हजार अल्पसंख्यकों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने में लगा हुआ है ताकि पार्टी के साथ उन्हें जोड़ा जा सके. वहीं, योगी सरकार मुस्लिमों की राजनीतिक नियुक्तियां भी ताबड़तोड़ शुरू कर दी है, जिसके जरिए पार्टी अल्पसंख्यक समुदाय को बड़ा संदेश देने की कवायद की है.
मुस्लिमों की राजनीतिक नियुक्तियां
योगी सरकार गुरुवार को यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड, फकरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी से लेकर उर्दू अकादमी का गठन किया है. साथ ही राज्य सरकार ने राज्य हज कमेटी और शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के गठन के लिए सदस्य नामित किए हैं. यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड की कमान पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के रहने वाले इफ्तेखार अहमद जावेद सौंपी गई है तो यूपी उर्दू अकादमी का अध्यक्ष सीएम योगी के गृह जनपद गोरखपुर के चौधरी कैफुल वरा को बनाया गया है.
बीजेपी ने यूपी के तमाम बोर्ड और आयोगों में करीब पांच दर्जन मुस्लिम कों राजनीतिक नियुक्ति की है. उर्दू अकादमी में अध्यक्ष सहित 13 मुस्लिमों को शामिल किया गया है तो फखररुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी में अध्यक्ष सहित पांच मुस्लिम को जगह दी गई है. ऐसे ही हज कमेटी में 14 सदस्य बनाए गए हैं जबकि बाकी बोर्ड में पांच-पांच मुस्लिम शामिलों को शामिल किया है.
सरकार बोर्ड और अयोग के सदस्यों को राज्यमंत्री के बराबर दर्जा होता है, जिसमें उन्हें तमाम सविधाओं के साथ-साथ भत्ते के तौर मोटी रकम हर महीने मिलती है. इसके अलावा राजनीतिक रुतबा भी होता है. ऐसे में बीजेपी ने चुनाव से पहले मुस्लिमों को साधने का दांव चला है, जिसमें क्षेत्रीय और जातीय समीकरण का भी खास ध्यान रखा गया है. बीजेपी ने पश्चिम यूपी से लेकर पूर्वांचल और सेंट्रल यूपी के बड़ी संख्या में मुस्लिम को एडजस्ट करने की कोशिश की है.
मुसलमानों को जोड़ेगा अल्पसंख्यक मोर्चा
वहीं, बीजेपी आलाकमान ने पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा को अहम जिम्मेदारी दी है. अब पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा यूपी में अल्पसंख्यक वर्ग के बीच जाएगा और उसको बीजेपी के साथ जोड़ने का काम करेगा. इसके लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जाएंगे उसके लिए रूपरेखा तैयार की जा रही है. केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से इस कार्यक्रम के लिए दो प्रभारी भी नियुक्त किए जायेंगे.
यूपी बीजेपी ने इस कार्यक्रम के तहत 1 करोड़ से अधिक अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों से संपर्क साधने का लक्ष्य रखा है. यदि इस मिशन में बीजेपी सफल रहती है तो 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के परंपरागत वोटबैंक का अच्छा खासा हिस्सा पार्टी के साथ होगा. योगी सरकार पिछले साढ़े चार सालों में सरकारी योजनाओं में मुस्लिम को कितना लाभ मिला है, इसका ब्योरा भी तैयार कर रही है.
हर सीट पर 5000 मुस्लिम वोट का लक्ष्य
बीजेपी ने यूपी की एक विधानसभा सीटों पर 50 कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी. वह अपने क्षेत्र में जाकर अल्पसंख्यक समाज के लोगों से चर्चा करेंगे. एक कार्यकर्ता को 100 अल्पसंख्यक वोटरों तक पहुंचने की जिम्मेदारी दी गई है. इस तरह से 50 कार्यकर्ता 5000 मतदाताओं का विश्वास जीतने की कोशिश करेंगे. यूपी के दो दर्जन ऐसे जिले हैं जहां 20 से 60 फीसदी तक मुस्लिम आबादी है. करीब 44 हजार कार्यकर्ता अल्पसंख्यक समुदाय के बीच जाकर केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी देंगे.
बीजेपी मुस्लिमों को जोड़ने के मिशन को लेकर सितंबर के आखिर में लखनऊ में बड़ी बैठक करेगी. बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की कार्यसमिति की बैठक होगी. 2014 से लेकर अब तक केंद्र सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों व 2017 से यूपी सरकार द्वारा किये कार्यो के बारे में अल्पसंख्यकों को बताया जाएगा. जिसमे किस तरह से सरकार की योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यक वर्ग को हुआ है उस पर विशेष जोर रहेगा. ऐसे में देखना है कि बीजेपी मुस्लिम समुदाय को साधने में कितना सफल रहती है?