scorecardresearch
 

UP: जब एक साल में राजनीति से ऊब गए थे योगी आदित्यनाथ, नहीं लड़ना चाहते थे चुनाव

Panchayat AajTak Lucknow: गोरखपुर मठ की कहानी बताते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक साल में ही राजनीति से उनका मन उचट गया था, क्योंकि वहां लोग झूठ बहुत बोलते थे, मुद्दों पर बात नहीं होती थी, तभी उनके गुरु से हुई एक चर्चा ने उनकी समस्या दूर कर दी.

Advertisement
X
CM योगी आदित्यनाथ (फोटो- पीटीआई)
CM योगी आदित्यनाथ (फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कहानी CM योगी के गोरखपुर मठ में जिंदगी की
  • गौशाला, भंडारे और स्कूल का काम देखते थे योगी
  • 1998 में पहली बार लड़े सांसदी का चुनाव

UP Election: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आजतक के मंच 'पंचायत आजतक लखनऊ' में अपने उन दिनों की कहानी सुनाई जब वे गोरखपुर आश्रम में मठ का प्रबंधन देख रहे थे. सीएम योगी ने कहा कि वे 1998 में पहली बार गोरखपुर से सांसद बने थे, लेकिन एक ही साल में राजनीति का मिजाज देखकर उब गए थे. सीएम योगी ने कहा कि उन्होंने 1999 में अपने गुरु से कहा था कि वो चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. 

बता दें कि योगी आदित्यनाथ 1998, 99, 2004, 2009 और 2014 में  लगातार गोरखपुर से सांसद बने हैं. योगी आदित्यनाथ ने अपने आश्रम के दिनों को याद करते हुए कहा, "जब मैं संन्यास लेने जा रहा था तो मेरे गुरुजी ने कहा कि तुम सेवा के किस काम को चुनोगे, तो मैंने कहा था कि मैं गौसेवा चुनूंगा. मुझे गौसेवा से मंदिर में भंडारे की व्यवस्था का भी जिम्मा मिला और मेरे गुरु ने कहा कि भंडारे में लोगों को बिना भेदभाव के खाना मिले." 

गायों के चारे और भंडारे के लिए अनाज की व्यवस्था करते थे

सीएम आदित्यनाथ ने कहा कि उन्होंने दोनों जिम्मेदारियां ले ली. सीएम आदित्यनाथ ने कहा, "मैं गौसेवा में चारे की व्यवस्था देखता था, साफ सफाई की व्यस्था देखता था, हरा चारा, गुड़ इत्यादि की व्यवस्था की, भूसे की व्यवस्था कराई."

Advertisement

उन्होंने आगे कहा कि वहां 1200-1500 लोग नियमित रूप से भोजन करते थे. इसके लिए चावल, दाल, गेहूं, तिल की व्यवस्था करता था, उसके स्टोरेज की व्यवस्था करता था. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक दिन उन्होंने अपने गुरुजी से पूछा कि उन्हें इस काम के लिए क्यों लगाया गया है.  इस पर उसके गुरुजी ने उन्हें कहा, " इसके बाद तुम्हें जिधर जाना है उसके लिए ये रास्ता तैयार कर रहा हूं. मैं नहीं समझता था कि मुझे चुनाव लड़ना है, क्योंकि मैंने चुनाव के उद्देश्य से संन्यास लिया भी नहीं था. मैं अपने काम में रमा था. लेकिन जब 1998 में मुझे कहा गया कि तुम्हें चुनाव लड़ना है तो..."

जब गिरी अटल सरकार

राजनीति के अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए सीएम योगी ने कहा, "मैं सही बताऊं मैं एक साल के अंदर ऊब गया था, 99 में लोकसभा भंग हो गई, एक वोट से अटल जी की सरकार गिर गई तो मैंने अपने गुरु जी से प्रार्थना की, मैने कहा कि मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता हूं, उन्होंने कहा- क्यों? मैंने कहा कि मैं इसलिए नहीं लड़ना चाहता हूं क्योंकि मैं देखता हूं कि बहुत सारे इश्यूज पर मुझे अच्छा नहीं लगता है जब सही मुद्दों पर चर्चा नहीं होती है और बहुत सारे लोग झूठ बहुत ज्यादा बोलते हैं, मुझे इस झूठ से बहुत नफरत है और व्यक्ति जैसा जीता है उसे वैसा ही रहना चाहिए"

Advertisement

निर्लिप्त भाव से लग जाओ

इस पर योगी आदित्यनाथ के गुरु ने कहा कि इसके लिए रास्ता निकालना पड़ेगा. इस बीच योगी के पास तीन काम आ गए थे. वे अब गौशाला, भंडारे के अलावा शिक्षण संस्थान का भी काम देख रहे थे. तीन दर्जन संस्थाओं का काम मेरे ऊपर था. वो देखते थे कि हर जगह सुधार हो रहा है और कहीं भी बोलने की गुंजाइश नहीं है.  इसके बाद योगी के गुरु ने कहा, "अगर तुम लिप्त होने आए हो तो तुम्हारे लिए न राजनीति में जगह हैं न गोरक्ष पीठ में जगह है. अगर निर्लिप्त भाव से काम कर रहे हो तो जैसे गोरक्ष पीठ में काम कर रहे हो वैसे ही तुम्हें राजनीति में भी रहना चाहिए, बिना किसी हिचक और भेदभाव के. बिना डिगे, बिना झुके." योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इसके बाद वे 1999 में लोकसभा का चुनाव लड़े. 

सीएम योगी ने कहा कि जब अमित शाह और पीएम मोदी ने 2017 में उन्हें सीएम पद का दायित्व दिया तो वे तैयार हो गए. इससे पहले उनका नाम कहीं नहीं था और वे सामान्य प्रचार कर रहे थे.  

 

Advertisement
Advertisement