उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के 5वें चरण का प्रचार शुक्रवार शाम पांच बजे थम जाएगा. इस चरण में अवध और पूर्वांचल के 12 जिलों की 61 सीटों पर 692 उम्मीदवार मैदान में हैं. इसी फेज में उन धार्मिक शहरों में भी चुनाव है, जिसके जरिए बीजेपी पूरे देश में चुनावी एजेंडा सेट करती आई है. भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या से लेकर प्रयागराज और चित्रकूट में सियासी संग्राम होने हैं. बीजेपी ने पिछली बार इन तीनों ही जिले में क्लीन स्वीप किया था, लेकिन इस बार पुराने प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है?
अयोध्या, प्रयागराज और चित्रकूट वो शहर है, जिन्हें बीजेपी ने ना सिर्फ धर्म नगरी का दर्जा दिया है बल्कि राजनीतिक लिहाज से भी पार्टी चुनावी एजेंडे को भी धार देती रही है. इसलिए इन शहरों में बीजेपी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरी है और जीत के लिए किसी तरह का कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही. इन तीनों ही शहरों में बीजेपी का भले ही अभी कब्जा हो, पर इसी इलाके में सपा और बसपा का भी परचम लहराता था. इसलिए विपक्षी दलों को भी अपनी वापसी की बहुत उम्मीदें दिख रही हैं.
बता दें कि 2017 के चुनाव में तीन धार्मिक नगरी में कुल 19 विधानसभा सीटें है, जिनमें से बीजेपी ने 15 और अपना दल (एस) ने सीट पर कब्जा जमाया था जबकि बसपा को 2 और सपा को एक सीट से संतोष करना पड़ा था. अयोध्या की सभी पांचों विधानसभा सीटें बीजेपी ने जीती थी. चित्रकूट जिले की दोनों सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं. वहीं, प्रयागराज की 12 विधानसभा सीटों में से 8 सीटें बीजेपी ने जीती थी जबकि एक सीट उसके सहयोगी अपना दल (एस) को मिली थी. इसके अलावा दो सीटों पर बीएसपी और एक सीट पर सपा ने जीत दर्ज की थी.
प्रयागराज का सियासी मिजाज
देश को सात प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश दो मुख्यमंत्री देने वाला प्रयागराज सूबे में सबसे ज्यादा 12 विधानसभा सीटों वाला जिला है. पिछले तीन चुनावों के नतीजे गवाह हैं कि प्रयागराज में जिस दल को सर्वाधिक सीटें मिली, सूबे में उसी की सरकार बनी. यही वजह है कि राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाला प्रयागराज में सभी सियासी दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है. इस बार सियासी मोहरे भले ही बदल गए हों, पर चुनावी बिसात कमोवेश पिछले चुनावी ही जैसी ही है. ऐसे में कई सीटों पर सीधी टक्कर है तो कुछ पर सीधी लड़ाई ने त्रिकोणीय मोड़ ले लिया है. प्रयागराज में जातीय समीकरण पर ही चुनाव लड़ा जा रहा है.
प्रयागराज में किस सीट पर किससे लड़ाई
प्रयागराज उत्तर सीट पर भाजपा से फिर विधायक हर्षवर्धन बाजपेई मैदान में है. कांग्रेस से पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह, सपा से संदीप यादव तो बसपा ने संजय गोस्वामी किस्मत आजमा रहे हैं. प्रयागराज दक्षिण सीट पर भाजपा से कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता (नंदी) तीसरी बार मैदान में हैं. सपा से रईस चंद्र शुक्ला, बसपा से देवेंद्र मिश्र तो कांग्रेस से अल्पना निषाद ताल ठोंक रहे हैं. प्रयागराज पश्चिम सीट पर कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह फिर मैदान में हैं, जिनके सामने सपा से ऋचा सिंह, कांग्रेस से तसलीमुद्दीन औप बसपा से गुलाम कादिर किस्मत आजमा रहे हैं.
मेजा सीट पर बीजेपी विधायक नीलम करवरिया फिर से मैदान में है तो सपा से संदीप पटेल, बसपा से सर्वेश चंद्रन तिवारी और कांग्रेस से शालिनी द्विवेदी चुनाव लड़ रही हैं. बारा सीट बीजेपी ने अपना दल (एस) को सौंपी है, जहां से वाचस्पति मैदान में है. 2017 में बीजेपी से जीते डॉ. अजय कुमार ने बसपा का दामन थामकर ताल ठोक दी है. सपा से अजय भारती (मुन्ना) तो कांग्रेस नें मंजू संत चुनाव लड़ रहे हैं. कोरांव सीट पर बीजेपी से विधायक राजमणि कोल, सपा से रामदेव निडर, बसपा से राजबली जैसल और कांग्रेस से रामकृपाल कोल मैदान में है. करछना सीट पर सपा से विधायक उज्ज्वल रमण सिंह, बीजेपी से पीयूष रंजन निषाद, बसपा से अरविंद कुमार (भामे शुक्ला) और कांग्रेस से रिंकी सुनील पटेल हैं.
हंडिया सीट पर 2017 में बसपा से जीते हाकिम लाल बिंद सपा से चुनावी मैदान में उतरे हैं. बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी से प्रशांत सिंह, बसपा से नरेंद्र कुमार त्रिपाठी (मुन्ना) और कांग्रेस से रीना देवी बिंद हैं. प्रतापपुर सीट पर बसपा ने घनश्याम पांडेय को उतारा है तो सपा से पूर्व विधायक विजमा यादव हैं. अपना दल (एस) से पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी और कांग्रेस से संजय तिवारी चुनाव में उतरे हैं. फूलपुर सीट पर बीजेपी ने विधायक प्रवीण पटेल को उतारा है तो सपा ने बसपा से आए प्रतापपुर के विधायक मुज्तबा सिद्दीकी पर दांव लगाया है. बसपा से रामतौलन यादव तो कांग्रेस से सिद्धार्थनाथ मौर्य मैदान में हैं.
सोरांव (सुरक्षित) सीट पर अपना दल (एस) ने विधायक डॉ. जमुना प्रसाद सरोज को उतारा है तो सपा से गीता पासी, बसपा से आनंद भारती और कांग्रेस से मनोज पासी हैं. फाफामऊ सीट पर भाजपा ने विधायक विक्रमजीत मौर्य का टिकट काटकर पूर्व विधायक गुरु प्रसाद मौर्य को प्रत्याशी बनाया है. सपा से पूर्व विधायक अंसार अहमद, बसपा से ओम प्रकाश पटेल और कांग्रेस से दुर्गेश पांडेय मैदान में हैं. ऐसे में देखना है कि प्रयागराज में क्या सियासी नतीजे रहते हैं?
अयोध्या में दिलचस्प हुआ सियासी संग्राम
भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या और बन रहे राम मंदिर को लेकर बीजेपी सूबे में ही नहीं बल्कि पूरे देश में प्रचार-प्रसार कर रही है. इस लिहाज से अयोध्या की चुनाव पर देश भर की निगाहें है. 2017 में बीजेपी ने सभी पांचों सीट पर जीत दर्ज की थी. अयोध्या में बीजेपी ने सभी पुराने प्रत्याशियों को उतारकर अपने गढ़ में अपनी विजय के पत्ते खोल दिए हैं. दो विधानसभा क्षेत्रों गोसाईगंज और बीकापुर में बस नाम ही बदले हैं, यहां भी चुनाव पार्टी के पुराने चेहरों पर ही लड़ रही है. ऐसे में दो सीटों पर सीधी मुकाबला है तो तीन सीटों पर लड़ाई त्रिकोणीय होती नजर आ रही है.
अयोध्या की सीटों पर कांटे की फाइट
अयोध्या सदर सीट पर बीजेपी से मौजूदा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता है तो सपा ने पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन को उतारा है. कांग्रेस से रीता मौर्या और बसपा से रवि मौर्या किस्मत आजमा रहे हैं. अयोध्या के सियासी इतिहास को देखें तो तीन दशकों में अयोध्या सीट पर बीजेपी को केवल दो बार ही हार का सामना करना पड़ा है. अयोध्या की गोसाईगंज सीट पर दो बाहुबली तीसरी बार मैदान में हैं. सपा के बाहुबली अभय सिंह हैं तो बीजेपी से पूर्व विधायक इंद्रप्रताप तिवारी खब्बू की पत्नी आरती तिवारी मैदान में हैं. बसपा से राम सागर वर्मा और कांग्रेस से शारदा देवी प्रत्याशी हैं. यहां पर बीजेपी और सपा के बीच सीधी लड़ाई मानी जा रही है.
बीकापुर विधानसभा सीट से सपा से फिरोज खां उर्फ गब्बर मैदान में हैं. भाजपा ने शोभा सिंह चौहान के बेटे डॉ. अमित सिंह चौहान को टिकट दिया है. बीकापुर में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार दिख रहे हैं. बसपा ने सुनील पाठक को टिकट देकर सपा और भाजपा से टक्कर लेने का फैसला लिया है. रूदौली सीट पर भाजपा से मौजूदा विधायक रामचंद्र यादव मैदान में है तो बसपा से सपा के बागी अब्बास अली उर्फ रूश्दी मियां है. वहीं, सपा ने आनंदसेन को प्रत्याशी बनाकर सियासी लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. रूदौली को यादव और मुस्लिम मतदाताओं का गढ़ माना जाता है. इस तरह त्रिकोणीय लड़ाई होती दिख रही. मिल्कीपुर सीट भाजपा से गोरखनाथ बाबा मैदान में है, सपा से पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद, कांग्रेस से बृजेश रावत और बसपा से मीरा किस्मत आजमा रही हैं.
चित्रकूट की दोनों सीटों पर कांटे की लड़ाई
आध्यात्मिक नगरी चित्रकूट पर सभी की निगाहें है. जिले में चित्रकूट सदर और मानिकपुर विधानसभा पर मुकाबला कांटे का है. पिछले चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी दोनों ही सीटें जीतने में कामयाब रही थी, लेकिन इस बार उसे दोनों ही सीटों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. चित्रकूट सदर विधानसभा सीट से बीजेपी ने मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को अपना उम्मीदवार उतारा है तो सपा से अनिल प्रधान पटेल और बसपा से पुष्पेंद्र सिंह किस्मत आजमा रहे हैं. इस सीट पर सियासी समीकरण के चलते ब्राह्मण या कुर्मी समुदाय का ही विधायक होता है.
ददुआ के बेटे और अनुप्रिया पटेल की परीक्षा
चित्रकूट जिले की मानिकपुर विधानसभा सीट पर दस्यु सरगना ददुआ के बेटे वीर सिंह की साख दांव पर है तो केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की प्रतिष्ठा भी लगी है. अपना दल (एस) ने अविनाश चंद्र द्विवेदी को मैदान में उतारा है तो सपा से ददुआ के बेटे वीर सिंह पटेल हैं. इस सीट पर पटेल वोटर निर्णायक हैं, लेकिन ब्राह्मण और कोल आदिवासी जीत हार में अहम भूमिका निभाते हैं. हालांकि, बीजेपी यहां अपने कोर वोटर के साथ जीत की उम्मीद लगा रही है. वहीं सपा को यहां स्थानीय विधायक के खिलाफ नाराजगी से फायदे की आस है. ऐसे में चित्रकूट की दोनों सीटों पर कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है.