मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दो दशक से बिहार की सत्ता के धुरी बने हुए हैं, लेकिन लगातार 5वीं बार विधानसभा चुनाव की जीत दर्ज करने के लिए केजरीवाल के फ्री बीज मॉडल पर अपने कदम बढ़ा दिए हैं. एक के बाद एक लोकलुभाने वादों का ऐलान नीतीश कुमार ने शुरू कर दिया है. महिलाओं की पेंशन बढ़ाने और युवाओं को एक करोड़ नौकरियां देने के ऐलान के बाद अब नीतीश ने 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने की घोषणा कर दी है.
विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार के इस कदम को सियासी तौर पर एनडीए के लिए मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. ऐसे में अब देखना है कि सीएम नीतीश क्या 'फ्री बीज पॉलिटिक्स' के जरिए बिहार की सियासी जंग फतह कर पाएंगे?
बिहार में 125 यूनिट तक फ्री बिजली
नीतीश कुमार ने गुरुवार को ट्वीट करके कहा कि हम लोग शुरू से ही सस्ती दरों पर सभी को बिजली उपलब्ध करा रहे हैं. अब हमने तय कर दिया है कि 1 अगस्त, 2025 से यानी जुलाई माह के बिल से ही राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली का कोई पैसा नहीं देना पड़ेगा. इससे राज्य के कुल 1 करोड़ 67 लाख परिवारों को लाभ होगा. साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने ये तय किया है कि अगले तीन वर्षों में इन सभी घरेलू उपभोक्ताओं से सहमति लेकर उनके घर की छतों पर या नजदीकी सार्वजनिक स्थल पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर लाभ दिया जाएगा.
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि कुटीर ज्योति योजना के तहत जो अत्यंत निर्धन परिवार होंगे उनके लिए सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने हेतु पूरा खर्च राज्य सरकार करेगी. अन्य लोगों के लिए भी सरकार उचित सहयोग करेगी. इससे घरेलू उपभोक्ताओं को अब बिजली का 125 यूनिट तक कोई भी खर्च नहीं लगेगा, और साथ ही साथ राज्य में अगले तीन वर्षों में एक अनुमान के अनुसार 10 हजार मेगावाट तक सौर ऊर्जा उपलब्ध हो जाएगी.
आधी आबादी पर नीतीश का पूरा दांव
बिहार विधानसभा चुनाव की तपिश को देखते हुए नीतीश कुमार ने आधी आबादी यानि महिलाओं को साधने के लिए पूरा दांव चला है. सीएम नीतीश कुमार ने पिछले महीने पेंशन की राशि बढ़ाने की घोषणा की. अब तक वृद्धजनों, विकलांगजनों और विधवा महिलाओं को पेंशन के रूप में 400 रुपये प्रतिमाह मिलते थे. अब इस पेशन राशि को बढ़ाकर 1100 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है. इसके दायरे में 1.11 करोड़ लोग आते हैं. इस तरह नीतीश ने अपने पाले में करने के लिए जाल बिछा दिया है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये भी एलान किया है कि अब से हर महीने की 10 तारीख को पेंशन का पैसा भेज दिया जाएगा. सीएम ने पिछले हफ्ते 8 जुलाई को कैबिनेट ने एक और बड़ा फैसला लिया. राज्य की सरकारी नौकरी में अब सिर्फ बिहार की महिलाओं को ही 35 फीसदी आरक्षण मिलेगा. इस तरह नीतीश कुमार ने अपने कोर वोटबैंक महिलाओं को साधे रखने का लिए बड़ा सियासी दांव चला है, क्योंकि पिछले चार चुनाव से उनकी जीत में महिला वोटों की अहम भूमिका रही है.
बिहार में तकरीबन 8 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 3.72 करोड़ महिला मतदाता हैं. नीतीश कुमार की असल ताकत महिलाएं ही रही है. नीतीश कुमार के इस वोटबैंक पर तेजस्वी की नजर लगी थी, जिस देखते हुए पेंशन बढ़ाने और महिलाओं को सरकारी नौकरी में 35 फीसदी आरक्षण जैसे अहम फैसले किए हैं.
युवाओं को एक करोड़ नौकरी का वादा
बिहार की सत्ता में वापसी के लिए विपक्ष लगातार युवाओं को अपने सियासी पाला में करने के लिए रोजगार का एजेंडा सेट करने में जुटा है. विपक्ष के तेवर को देखते हुए सीएम नीतीश कुमार पूरी तरह से एक्टिव हो गए हैं. पिछले दिनों उन्होंने बारहवीं, आईटीआई और ग्रेजुएशन पास युवाओं को इंटर्नशिप के लिए हर महीने 4000 से 6000 रुपये तक की आर्थिक सहायता देने का एलान किया था. इसके अलावा नीतीश कुमार ने एक करोड़ रोजगार के वादे का ऐलान करके सियासी चाल चल दी है, जिससे विपक्ष दलों के होश भी उड़े हुए हैं.
नीतीश के अगुवाई वाले मंत्रिमंडल ने मंगलवार को श्रम विभाग के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसके तहत अगले पांच सालों (2025-2030) में राज्य के युवाओं को एक करोड़ नौकरियां और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे. नीतीश सरकार ने इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय समिति गठित करने का भी निर्णय लिया है. नीतीश सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह रोजगार सरकारी, अर्ध-सरकारी, निजी क्षेत्र और स्वरोजगार के माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे. कौशल विकास, स्टार्टअप्स, MSMEs और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स इस लक्ष्य में अहम भूमिका निभाएंगे. इस तरह नीतीश ने अगले 5 साल में रोजगार और नौकरी का लक्ष्य बताकर सियासी दांव चला है.
नीतीश के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित होगा
नीतीश कुमार ने जिस तरह से महिलाओं और बुजुर्गों की बड़ी जमात का साधने के साथ युवाओं के दिल जीतने का बड़ा दांव चला है. इसके लिए एक करोड़ नौकरी-रोजगार का उन्होंने वादा किया है. बिहार के 2020 विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की सीटें घट गई थी, जिसे इस बार नहीं दोहराना चाहते हैं. उन्हें पता है कि अगर इस बार सीटें घटी तो सत्ता का सिंहासन पर उनके हाथों से निकल जाएगा. इसीलिए एक के बाद एक बड़ा सियासी दांव चल रहे हैं और लोकलुभावनों वादों के ऐलान की झड़ी लगा दी है. इस तरह महिला, बुजुर्ग और युवाओं को अपने पाले में करके 2025 की चुनावी जंग फतह करना चाहते हैं, लेकिन देखना है कि तेजस्वी यादव के अगुवाई वाले एनडीए के सियासी चक्रव्यूह को तोड़ पाते हैं कि नहीं?