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बीजेपी-कांग्रेस को पूंजीपतियों की परवाह: मायावती

आजादी के बाद से केंद्र व अधिकांश राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की सरकार रही है. दोनों ही पार्टियों ने चुनाव लड़ने के लिए पूंजीपतियों का सहारा लिया और आज यही कारण है कि उनको आम जनता से अधिक पूंजीपतियों की परवाह है.

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मायावती
मायावती

आजादी के बाद से केंद्र व अधिकांश राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की सरकार रही है. दोनों ही पार्टियों ने चुनाव लड़ने के लिए पूंजीपतियों का सहारा लिया और आज यही कारण है कि उनको आम जनता से अधिक पूंजीपतियों की परवाह है.

यह बातें बसपा प्रमुख मायावती ने छत्तीसगढ़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कही. छत्तीसगढ़ के जांजगीर स्थित हाईस्कूल मैदान में मंगलवार को बसपा राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों ने दलितों और अल्पसंख्यकों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति में बदलाव लाने के लिए कोई पहल नहीं की. छत्तीसगढ़ से भी बहुत से गरीबों का रोजी-रोटी के लिए अन्य प्रदेशों में पलायन हो रहा है. नक्सलवाद को भी उन्होंने सरकार की गलत नीति का परिणाम बताया.

मायावती ने आरोप लगाया कि केंद्र व राज्य सरकार ने गरीबों की जमीन छीन ली और उनके रोजगार की भी कोई व्यवस्था नहीं की. ऐसे में लोग गलत रास्ते पर चले गए और कुछ नक्सली भी बन गए. मायावती ने कहा कि पहले यूपी के भी कुछ हिस्से में लोग नक्सली बन गए थे लेकिन रोजगार की व्यवस्था कर नक्सलियों की संख्या बढ़ने से रोक लिया गया.

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बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में गोधरा कांड हुआ था और अब प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं, न जाने क्या होगा? मायावती ने कहा कि छत्‍तीसगढ़ राज्य बनने के पहले एमपी का हिस्सा था. तब भी यहां के गरीब विकास के लिए तरस रहे थे और अब भी उनकी हालत में कोई खास सुधार नहीं हुआ है.

उन्होंने कहा कि लोगों ने विकास के लिए अलग राज्य की मांग की और इसके लिए संघर्ष किया. नया राज्य बनने के बाद भी छत्‍तीसगढ़ के दलितों और गरीबों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया. गरीबी, बेरोजगारी की समस्या बरकरार है.

मायावती ने कहा कि प्रशासन का भी बीजेपी, कांग्रेस और बसपा को लेकर व्यवहार अलग-अलग रहता है. उन्होंने कहा कि बाकी दोनों दल के कार्यक्रम के लिए प्रशासन पूरी व्यवस्था करता है लेकिन बसपा के साथ ऐसा नहीं होता. बसपा कार्यकर्ताओं की गाड़ियों को सभास्थल से 3 से 4 किमी दूर रोक दिया गया है.

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