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विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार करने वाले हेमाराम को क्यों लोकसभा चुनाव में उतारना चाहती है कांग्रेस?

राजस्थान में कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाली आरएलपी में गठबंधन की चर्चा है. कांग्रेस के कुछ नेता बेनीवाल के पुराने बयान याद दिलाते हुए गठबंधन का विरोध कर रहे हैं. बेनीवाल दो सीटें मांग रहे हैं. कांग्रेस नेतृत्व इसे लेकर एक-दो दिन में फैसला ले सकता है.

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हेमाराम चौधरी (फाइल फोटो)
हेमाराम चौधरी (फाइल फोटो)

राजस्थान विधानसभा के कुछ ही महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता हेमाराम चौधरी ने चुनाव मैदान में उतरने से इनकार कर दिया था. समर्थकों की मान-मनौव्वल के बावजूद हेमाराम विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले पर अड़े रहे तो इसे लोकसभा चुनाव लड़ने की मंशा से भी जोड़ा जाने लगा था. लोकसभा चुनाव करीब आते ही हेमाराम का नाम बाड़मेर-जैसलमेर सीट से संभावित उम्मीदवार के रूप में चलने भी लगा लेकिन अब उन्होंने खुद इस तरह के कयासों को खारिज किया है.

हेमाराम ने लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा है कि मैंने आलाकमान को साफ बता दिया है कि अब कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे. उन्होंने साथ ही यह भी कहा है कि कांग्रेस जिसे भी टिकट देगी, हम उसका समर्थन करेंगे. चर्चा यह भी है कि राजस्थान कांग्रेस के कई बड़े नेता चाहते हैं कि हेमाराम लोकसभा चुनाव में बाड़मेर-जैसलमेर सीट से चुनाव मैदान में उतरें. अब सवाल यह भी है कि एक तरफ जहां राजनीतिक दलों में टिकट की रेस जीतने की होड़ लगी हुई है, कांग्रेस के नेता हेमाराम चौधरी की मान-मनौव्वल में क्यों जुटे हैं?

इसकी दो मुख्य वजहें बताई जा रही हैं. एक हेमाराम चौधरी की इमेज और दूसरी हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के साथ गठबंधन की चर्चाएं. कहा जा रहा है कि हनुमान बेनीवाल कांग्रेस से गठबंधन में नागौर समेत दी सीटें मांग रहे हैं. बेनीवाल जो दूसरी सीट मांग रहे हैं वह बाड़मेर-जैसलमेर सीट है. कांग्रेस के कई स्थानीय नेता इसके विरोध में हैं. हेमाराम की इमेज एक किसान नेता, ईमानदार नेता की है. वह समय-समय पर सचिन पायलट के पक्ष में खुलकर बोलते रहे हैं.

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सचिन पायलट के समर्थक चाहते हैं कि हेमाराम चुनावी राजनीति में सक्रिय रहें. ऐसा भी नहीं है कि इस सीट से कांग्रेस के पास कोई विकल्प न हो. कर्नल सोनाराम बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं. कर्नल सोनाराम भी इस सीट से टिकट के मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं.

आरएलपी से गठबंधन का विरोध कर रहे नेता

कांग्रेस के आरएलपी से गठबंधन की चर्चा के बीच विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने बेनीवाल की पार्टी से गठबंधन का विरोध किया. इस बैठक में राजस्थान कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे. हरीश के साथ ही कुछ और नेताओं ने भी कांग्रेस पार्टी और शीर्ष नेतृत्व को लेकर बेनीवाल के पुराने बयान याद दिलाए और गठबंधन की कवायद का विरोध किया. अगर कांग्रेस और आरएलपी साथ आते हैं तो नागौर सीट से बेनीवाल का लड़ना तय माना जा रहा है. बेनीवाल फिलहाल इसी सीट से सांसद हैं.

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सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस बेनीवाल की पार्टी से गठबंधन पर एक-दो दिन में अंतिम निर्णय ले सकती है. कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में 25 सीटों वाले राजस्थान की एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत सकी थी. तब बेनीवाल की पार्टी का बीजेपी के साथ गठबंधन था. कांग्रेस ने इस बार लेफ्ट पार्टियों के साथ गठबंधन किया है. अब कहा जा रहा है कि पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए आरएलपी से भी हाथ मिलाने का मन बना चुकी है.

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