लोकसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले आए हैं. NDA सरकार बना रही है, लेकिन नंबर पिछली बार से काफी कम हैं. इस आंकड़े के गिरने में सबसे बड़ा योगदान UP से है. नतीजों में जिस तरह से भाजपा उत्तर प्रदेश में गठबंधन से पिछड़ी, उससे साफ है कि उत्तर प्रदेश का वोटिंग पैटर्न 2024 में बदला है. नतीजों की बात करें तो बीजेपी को 30 से अधिक सीटों का नुकसान हुआ है.
तो क्या सच हो जाएगी केजरीवाल की भविष्यवाणी?
जबकि कांग्रेस को इस बार बढ़त मिली है. 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस फिर प्रदेश में बड़ी बढ़त बनाने में कामयाब हुई है. वहीं समाजवादी पार्टी ने अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है. आपको याद होगा कि लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान अरविंद केजरीवाल ने बड़ी भविष्यवाणी करते हुए योगी को हटाने की बात कही थी और अब यूपी में बदलते चुनावी परिणाम को उनकी भविष्यवाणी से जोड़कर देखा जा रहा है.
केजरीवाल ने किया था बड़ा दावा
केजरीवाल का दावा था कि लोकसभा चुनाव के बाद UP में सत्ता बदलेगी तो योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पद से हटाए जाएंगे. हालांकि केजरीवाल के इस दावे पर खुद योगी आदित्यनाथ ने करारा जवाब दिया था. लेकिन जैसे चुनावी नतीजे हैं उससे केजरीवाल के बयानों को फिर बल मिल गया है.
कई सीटों पर बैकफुट पर भाजपा
INDIA गठबंधन ने बड़ा झटका देते हुए उत्तर प्रदेश में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को झटका दिया. इस चुनाव में कई लोकसभा सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी दल पिछड़ गए. उदाहरण के लिए सुभासपा को घोसी लोकसभा सीट पर झटका लगा. इतना ही नहीं भाजपा भी कई सीटों पर चुनाव हार गई.
नतीजों पर नजर डालें तो इंडिया गठबंधन प्रदेश की 80 में से 43 सीटें जीतने में कामयाब रही, तो एनडीए सिर्फ 35 सीट ही जीत पाई है. यही वह वजह है जिसने फिर से अरविंद केजरीवाल के बयान को चर्चा में ला दिया है.
केजरीवाल ने क्या कहा था?
लखनऊ में इंडिया गठबंधन की पीसी में केजरीवाल ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर बड़ा दावा किया था और कहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली आए थे. उन्होंने मुझे गालियां दीं. योगी जी, मैं आपसे विनम्रता से कहना चाहता हूं कि आपके असली दुश्मन आपकी ही पार्टी में हैं. भाजपा में अपने दुश्मनों से लड़िए. आप केजरीवाल को गाली क्यों दे रहे हैं?
गौरतलब है कि भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के उन दावों का बेकार की बयानबाजी करार दिया था.
सपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
उल्लेखनीय है कि 1992 में समाजवादी पार्टी के गठन के बाद से अब तक का यह शानदार प्रदर्शन है. पार्टी ने 37 सीटें जीत ली हैं. इससे इंडिया गठबंधन की रणनीति बेहतर तरीके से जमीन पर उतरती दिखी. वहीं, भाजपा के पक्ष में माहौल बनता नहीं दिख पाया. ऐसे में भाजपा प्रदेश नेतृत्व में बदलाव की रणनीति पर काम कर सकता है. इस पर चर्चा शुरू हो गई है.