ओडिशा के नक्सल प्रभावित इलाके कंधमाल में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में गुरुवार को मतदान संपन्न हो गया है. कंधमाल में नक्सल गतिविधियों की खबरें आती रहती हैं, हालांकि चुनाव शांतिपूर्ण माहौल में हुआ. लैंड माइन और IED के खतरे को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने खास सावधानी बरती. ओडिशा में 72.88 फीसदी मतदान हुआ. 2014 में यहां 74 फीसदी वोटिंग हुई थी. लोकसभा चुनाव के नतीजे 23 मई को आएंगे.
UPDATES...
ओडिशा में शाम 5 बजे तक 63.64 फीसदी मतदान
ओडिशा में 3 बजे तक 53% मतदान
कंधमाल सीट पर दोपहर 1 बजे तक 24% मतदान
ओडिशा में दोपहर 1 बजे तक 33 फीसदी मतदान
कंधमाल सीट पर सुबह 11 बजे तक 16 फीसदी मतदान
ओडिशा में सुबह 11 बजे तक 18 फीसदी वोटिंग
कंधमाल लोकसभा सीट पर चौतरफा टक्कर है. इस सीट से बीजेपी, बीजेडी, कांग्रेस, सीपीआईएमल और बहुजन समाज पार्टी के 5 उम्मीदवार मैदान में हैं. उग्रवाद प्रभावित होने के बावजूद यहां पर 2014 में लगभग 74 फीसदी मतदान हुआ था.
ओडिशा के कंधमाल लोकसभा सीट से बीजेडी ने इस बार सीटिंग एमपी का टिकट काट दिया है. कंधमाल लोकसभा सीट पर लोकसभा चुनाव के मात्र 4 महीनों के अंदर इस सीट पर फिर से चुनाव कराने की ज़रुरत आ पड़ी क्योंकि 5 सितम्बर 2014 को सांसद हेमेंद्र चरण सिंह की मौत हो गई थी. उपचुनाव में बीजद ने उनकी पत्नी प्रत्यूषा राजेश्वरी सिंह को टिकट दिया. सहानुभति लहर में वह लगभग तीन लाख वोट से जीतीं.
हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेडी ने इस सीट पर अच्युतानंद सामंता को अपना उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस के मनोज कुमार आचार्य इस सीट से उम्मीदवार हैं. जबकि बीजेपी ने आयरा खारबेला स्वैन को मैदान में उतारा है. इस सीट से बहुजन समाज पार्टी के आमिर नायक भी मैदान में हैं. टुना मल्लिक इस सीट से कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (एमएल) के कैंडिडेट हैं. खास बात ये हैं कि इस सीट से कोई भी निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में नहीं है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
2008 में वजूद में आने के बाद 2009 में कंधमाल लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव हुए. इस चुनाव में बीजद के टिकट पर रूद्र माधव रे चुनाव जीते. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया. 2014 में ही इस सीट पर हुए उपचुनाव में वह बीजेपी के टिकट पर लड़े, लेकिन हार गए. 31 मई 2016 को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया.
2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजद के हेमेंद्र चरण सिंह ने जीत हासिल की. उन्हें 4 लाख 21 हजार 458 वोट मिले. दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के हरिहर कर्ण, जिन्हें 2 लाख 40 हज़ार 411 वोट मिले. एक लाख 8 हजार 744 वोट लाकर बीजेपी के सुकान्त कुमार पाणिग्रही ने तीसरा पोजिशन हासिल किया. 2014 में यहां मतदान का प्रतिशत 73.43 रहा.
2014 का उपचुनाव
लोकसभा चुनाव के मात्र 4 महीनों के अंदर इस सीट पर फिर से चुनाव कराने की ज़रुरत आ पड़ी क्योंकि 5 सितम्बर 2014 को सांसद हेमेंद्र चरण सिंह की मौत हो गई थी. उपचुनाव में बीजद ने उनकी पत्नी प्रत्यूषा राजेश्वरी सिंह को टिकट दिया. सहानुभति लहर में वह लगभग तीन लाख वोट से जीतीं. उन्हें 4 लाख 77 हजार 529 वोट मिले. इस उपचुनाव में बीजेपी तीसरे से दूसरे नंबर पर आ गई, जबकि कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई. उपचुनाव में बीजेपी के रूद्र माधव रे को 1 लाख 78 हजार 661 वोट मिले. कांग्रेस उम्मीदवार अभिमन्यु बहेरा को 90 हजार 536 वोट मिले.
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