उन्होंने कहा, प्रशासन दोहरा मानदंड अपना रहा है. एक तरफ यह ईसाई मिशनरीज को बैठक की इजाजत दे रहा है, जबकि हिंदू नेता पर प्रतिबंध लगा रहा है, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.
वर्ष 2008 में कंधमाल में हुए दंगे में 38 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोगों को अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था. यह दंगा विहिप नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के बाद भड़का था. तोगड़िया 28 फरवरी को कंधमाल के फुलबनी में विहिप समर्थकों की सभा को संबोधित करने वाले थे. लेकिन प्रशासन ने गुरुवार को इलाके में शांति भंग होने की आशंका के बीच जिले में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. इससे पहले ईसाई संगठनों ने उन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इससे इलाके में शांति भंग हो सकती है.
- इनपुट IANS