हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा हाई है. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विपक्षी कांग्रेस, दोनों ही दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. कांग्रेस के नेता जहां सूबे में हर पांच साल बाद सरकार बदलने के ट्रेंड का हवाला दे रहे हैं तो वहीं सत्ताधारी बीजेपी हर चुनाव में सरकार बदलने का रिवाज बदलने का दावा कर रही है.
हिमाचल प्रदेश में पिछले करीब 32 साल के चुनावी अतीत पर नजर डालें तो सूबे में हर पांच साल बाद सरकार बदलने का ट्रेंड रहा है. सरकार कामकाज को लेकर चाहे कितनी भी लोकप्रिय क्यों न हो, हिमाचल प्रदेश के मतदाता उसे पांच साल चलाकर चलता कर देते रहे हैं. 1985 के चुनाव के बाद कोई भी सरकार दोबारा सत्ता में आकर सरकार बदलने का रिवाज नहीं बदल पाई.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से लेकर बीजेपी के तमाम मंत्री, विधायक और नेता 2022 के चुनाव में डबल इंजन की बात कर सरकार बदलने का रिवाज बदलने के दावे कर रहे हैं. साल 2007 के चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने का हवाला देकर वोट मांगे थे लेकिन रिवाज नहीं बदला. चुनाव नतीजे आए तो बीजेपी सरकार की विदाई हो गई और कांग्रेस सरकार की ताजपोशी. ऐसा ही 2012 और 2017 के चुनाव में भी हुआ.
बस एक बार रिपीट हुई सरकार
हिमाचल प्रदेश के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो अब तक बस एक बार ही ऐसा हुआ है जब सत्ताधारी दल सरकार बचाने में सफल रहा हो. साल 1985 में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने सूबे की सत्ता में दोबारा वापसी की थी. साल 1982 से लेकर 1990 तक हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी. इसके बाद कोई भी सरकार सत्ता में वापसी नहीं कर सकी.
बीजेपी कर रही रिवाज बदलने का दावा
बीजेपी ने साल 2007 और 2012 में विकास के नाम पर वोट मांगे थे लेकिन सरकार बदलने का रिवाज बरकरार रहा और पार्टी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी. बीजेपी इस बार सत्ता में वापसी और सरकार बदलने का रिवाज बदलने का दावा कर रही है. अबकी बार बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार अभियान को भी विजय संकल्प अभियान का नाम दिया है. पार्टी का चुनाव अभियान भी इस रिवाज पर केंद्रित होता नजर आ रहा है. पार्टी की ओर से जगह-जगह ‘नया रिवाज बनाएंगे, फिर भाजपा लाएंगे’ के नारे लिखे पोस्टर्स लगवाए गए हैं.
रिवाज पर केंद्रित होता प्रचार
बीजेपी का चुनाव प्रचार अभियान भी रिवाज पर केंद्रित होता नजर आ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के सभी स्टार प्रचारक भी इस बात का महत्व बखूबी समझते हैं. पीएम मोदी, अमित शाह समेत बीजेपी के सभी स्टार प्रचारक अपनी हर जनसभा में पुराना रिवाज बदलने और नया रिवाज बनाने का आह्वान करते नजर आ रहे हैं.
अमित शाह ने उत्तराखंड का उदाहरण
गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को अपनी चुनावी जनसभाओं में उत्तराखंड में सरकार बदलने का रिवाज बदलने का उदाहरण दिया और कहा कि अब हिमाचल प्रदेश भी ये रिवाज बदल देगा. बीजेपी का चुनाव प्रचार अभियान रिवाज के साथ ही राष्ट्रवाद, कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने, सेना में वन रैंक वन पेंशन लागू किए जाने, राम मंदिर निर्माण और विकास परियोजनाओं के इर्द-गिर्द नजर आ रहा है. पार्टी बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, पुरानी पेंशन की बहाली जैसे मुद्दों और भ्रष्टाचार के आरोप पर कुछ बोलने से बचती नजर आ रही है.
जिनसे बच रही बीजेपी, कांग्रेस उछाल रही वही मुद्दे
सत्ताधारी बीजेपी जिन मुद्दों से बच रही है, विपक्षी कांग्रेस वही मुद्दे उछाल रही है. कांग्रेस ने अपने प्रचार अभियान को परिवर्तन संकल्प नाम दिया है और पार्टी हर चुनाव में सरकार बदलने के रिवाज का बार-बार जिक्र कर रही है. कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी हर बार सरकार बदलने के ट्रेंड की बात की.
प्रियंका गांधी ने कहा कि जब भी चुनाव आते हैं, आपसे परंपराएं बदलने की बात की जाती है. हिमाचल सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं का प्रदेश है. प्रदेश में हर पांच साल बाद सरकार बदल दी जाती है. उन्होंने इसे अच्छी परंपरा बताया और मंडी की धरती से ये अपील भी किया कि इसे बदलिएगा मत नहीं तो नुकसान आपका ही होगा. प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार बदलने के रिवाज से नेताओं को सबक मिलता है. ये परंपरा नेताओं को याद दिलाती है कि अगर सही काम नहीं किया तो पांच साल बाद जनता सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा देगी.
AAP भी कर रही रिवाज बदलने की बात
हिमाचल प्रदेश की चुनावी राजनीति में नवप्रवेशी आम आदमी पार्टी भी रिवाज बदलने की बात कर रही है. आम आदमी पार्टी दिल्ली के विकास मॉडल के नाम पर वोट मांग रही है. आम आदमी पार्टी के नेता डोर-टू-डोर कैम्पेन कर लोगों से ये अपील करते नजर आ रहे हैं कि कांग्रेस और बीजेपी, दोनों दलों की सरकार को आजमा लिया. अब दो दलों की बारी-बारी सरकार बनाने का रिवाज बदलिए. बीजेपी और आम आदमी पार्टी की ओर से की जा रही रिवाज बदलने की अपील रंग लाएगी या ये रिवाज बरकरार रहेगा, हिमाचल प्रदेश के मतदाता 12 नवंबर को अपना फैसला ईवीएम में कैद कर देंगे.