हरियाणा की विधानसभा चुनाव में कई ऐसी सीटें हैं जिन्होंने लगातार रिकॉर्ड कायम किए हैं और अपने पुराने इतिहास के लिए जानी जाती हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर सब की नजर इस बात पर है कि क्या ये ऐतिहासिक विधानसभा सीटें अपने इतिहास को बदल पाएंगी या फिर पुरानी परंपरा कायम रहेगी.
हरियाणा के हिसार जिले की बरवाला विधानसभा सीट का इतिहास काफी रोचक है. इस सीट से एक बार बनने वाले विधायक दोबारा से कभी विधानसभा नहीं पहुंच सके हैं. इतना ही नहीं राजनीतिक दल भी किसी विजेता उम्मीदवार को दोबारा मैदान में उतारने से परहेज करते हैं. इसके बावजूद अगर वह टिकट पाने में किसी तरह से सफल रह जाते हैं तो जनता उन्हें नकार देती है. इसी का नतीजा है कि बरवाला से एक बार जीता हुआ विधायक दोबारा से विधानसभा का मुंह नहीं देख पाया. बरवाला विधानसभा सीट क्या इस बार भी अपने इतिहास को दोहराएगी?
विधायक वेद नारंग ने अपनी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल में हुए बिखराव और चौटाला परिवार की टूट से दुखी होकर इस बार चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. इसी वजह से इस बार तमाम नए चेहरे ही बरवाला विधानसभा सीट पर चुनाव मैदान में हैं.
इस बार के विधानसभा चुनाव में बरवाला सीट पर जबरदस्त मुकाबला है. बरवाला से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रामनिवास धडोला ने कहा कि कई बार चुनाव जीतने के बाद विधायक बनने पर उस नेता में घमंड आ जाता है और वो जनता से कोई सरोकार नहीं रखता. इसी वजह से जनता भी ऐसे विधायक को दोबारा वोट नहीं देती और यही बरवाला का इतिहास भी रहा है.
वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार भूपेंद्र गंगवा ने कहा कि इस सवाल का जवाब तो जनता ही देगी कि वो एक बार चुने गए विधायक को दोबारा क्यों नहीं चुनती. लेकिन अगर आप जनता के काम नहीं करेंगे तो उनसे वोट की उम्मीद भी कैसे कर सकते हैं.बीजेपी के उम्मीदवार सुरेंद्र पूनिया ने अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. हालांकि वो बरवाला की जनता के मिजाज को लेकर कुछ भी नहीं बोल रहे हैं.
बरवाला की जनता का कहना है कि जो विधायक एक बार चुनाव जीता उसने फिर लंबी गाड़ियों में घूमना शुरू कर दिया और जनता से कोई सरोकार नहीं रखा. इसी वजह से जनता हर चुनाव में किसी भी विधायक को दोबारा से नहीं चुनती है. जनता उसी उम्मीदवार पर भरोसा करती है जो सीधे तौर पर उनसे जुड़ा हो लेकिन विडंबना ये है कि एक बार विधायक बनने के बाद वो नेता जनता से सीधे तौर पर नहीं जुड़ पाता इसी वजह से जनता अगली बार चुनाव में उस नेता को नकार देती है.