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गुजरात के चुनावी दंगल में आमने-सामने बाप-बेटे, महेश वसावा के खिलाफ उतरे छोटू वसावा

गुजरात विधानसभा चुनाव में सियासी दल गठबंधन की गांठें दुरुस्त करने, संगठन के पेंच कसने में जुटे हैं वहीं बीटीपी में पिता-पुत्र की जोड़ी में दरार पड़ गई है. छोटू वसावा और महेश भरूच की झगड़िया सीट से आमने-सामने आ गए हैं.

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छोटू वसावा और महेश वसावा झगड़िया सीट पर आमने-सामने
छोटू वसावा और महेश वसावा झगड़िया सीट पर आमने-सामने

गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन चल रहा है. नामांकन के साथ ही चुनाव प्रचार भी सूबे में जोर पकड़ रहा है. वहीं, टिकटों के ऐलान के साथ ही बागी सुर भी सियासी दलों का सिरदर्द बढ़ा रहे हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कुछ नेता टिकट कटने के बाद बगावत पर उतर आए हैं तो वहीं अब भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) में भी दरार पड़ती नजर आ रही है.

आदिवासी बाहुल्य सीटों पर समीकरण बनाने-बिगाड़ने में सक्षम दिग्गज आदिवासी नेता छोटू वसावा और महेश वसावा के बीच मतभेद की खबर है. कहा जा रहा है कि बीटीपी के राष्ट्रीय संयोजक छोटू वसावा और पार्टी के अध्यक्ष उनके बेटे महेश वसावा के बीच टिकट बंटवारे को लेकर मतभेद बढ़ गए हैं. महेश वसावा ने छोटू वसावा का टिकट काट उनकी परंपरागत सीट से खुद चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.

बीटीपी के दो शीर्ष पदों पर बैठे पिता-पुत्र के बीच मतभेद की शुरुआत तब हुई जब छोटू भाई वसावा ने जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ गठबंधन का ऐलान कर दिया. छोटू वसावा ने बीटीपी से गठबंधन का ऐलान किया तो बाद में महेश भाई वसावा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन को अपने पिता की निजी राय बता दिया था. उन्होंने ये भी साफ किया था कि बीटीपी का किसी भी राजनीतिक दल से गठबंधन नहीं है. हम अकेले चुनाव लड़ रहे हैं. पिता-पुत्र के मतभेद तभी जगजाहिर हो गए थे.

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उम्मीदवारों की लिस्ट से छोटू वसावा का नाम गायब

बीटीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश वसावा ने गुजरात चुनाव के लिए जब अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की, पिता छोटू वसावा का टिकट काट दिया. बीटीपी ने भरूच जिले की झगड़िया विधानसभा सीट से छोटू वसावा की जगह महेश वसावा को उम्मीदवार बनाया. महेश वसावा की सीट डेडियापाड़ा से बीटीपी ने बहादुर वसावा को टिकट दिया है.

पांच बार के विधायक हैं छोटू वसावा

गौरतलब है कि झगड़िया विधानसभा सीट छोटू वसावा की परंपरागत सीट मानी जाती है. इस सीट से छोटू वसावा पिछले पांच बार से चुनाव जीतते आए थे. इस बार जब बीटीपी की लिस्ट में झगड़िया सीट से उम्मीदवार के रूप में छोटू की जगह महेश का नाम दर्ज दिखा तब अटकलों का बाजार गर्म हो गया. सब ये अनुमान लगा रहे थे कि शायद अधिक उम्र की वजह से छोटू वसावा चुनावी राजनीति से दूरी बना रहे हों.

छोटू वसावा ने किया नामांकन का ऐलान

दिग्गज आदिवासी नेता छोटू वसावा के चुनावी राजनीति से दूरी बनाने की अटकलों के बीच एक महेश के छोटे भाई दिलीप वसावा के पार्टी से इस्तीफे और छोटू वसावा के ट्वीट ने ये साफ कर दिया कि कहानी कुछ और है. दिलीप ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफे का ऐलान किया. छोटू वसावा भी ट्विटर पर सामने आए और ट्वीट कर ये ऐलान कर दिया कि समर्थकों के साथ पहुंचकर झगड़िया सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे.

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झगड़िया सीट पर आमने-सामने होंगे बाप-बेटे 

गुजरात विधानसभा चुनाव में भरूच जिले की झगड़िया विधानसभा सीट पर हालात ऐसे बन गए हैं कि पिता-पुत्र आमने सामने आ गए हैं. छोटू वसावा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि खुद ही पार्टी हूं. मुझे पार्टी की जरूरत नहीं है. उन्होंने पूरे दमखम के साथ झगड़िया सीट से नामांकन पत्र दाखिल करने का ऐलान किया है.

झगड़िया में नहीं खिला कमल

छोटू भाई वसावा ने झगड़िया सीट पर बीजेपी और कांग्रेस, दोनों के ही जीत के अरमान ध्वस्त किए हैं. 2017 के चुनाव में बीटीपी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था और आदिवासी क्षेत्र की सीटों पर अच्छी खासी सफलता इस गठबंधन को मिली थी. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के दोनों नेताओं के मतभेद, कनफ्यूजन खुलकर सामने आए.

पहले गठबंधन टूटा, अब टूटने की कगार पर पार्टी

बीटीपी ने गुजरात चुनाव से पहले दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन का ऐलान किया था. ये गठबंधन अधिक दिन तक नहीं चल सका और जल्द ही पार्टी ने गठबंधन तोड़ने का भी ऐलान कर दिया. इसके बाद छोटू वसावा ने जेडीयू के साथ गठबंधन का ऐलान किया तो उनके बेटे महेश वसावा ने अकेले चुनाव लड़ने का. गठबंधन होने, टूटने और बनते-बिगड़ते समीकरणों के बीच अब छोटू वसावा और उनके पुत्र महेश वसावा के समीकरण ही बिगड़ते नजर आ रहे हैं. बीटीपी ही टूट की कगार पर पहुंच गई है.

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