कोरोना जैसी महमारी के दौर में जब इस साल मई महीने में पूरा देश सख्त लॉकडाउन से गुजर रहा था उस वक्त भी बिहार की राजनीति में उबाल था. इस सरगर्मी की वजह जेडीयू के बाहुबली विधायक अमरेंद्र उर्फ पप्पू पांडे थे. दरअसल, जेडीयू विधायक पप्पू पांडे पर ट्रिपल मर्डर का आरोप था और यही वजह है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) उनके गिरफ्तारी की मांग कर रही थी.
राजद की तमाम कोशिशों के बाद भी पप्पू पांडे पुलिस की गिरफ्त से बच गए. हालांकि, पप्पू पांडे के बाहुबली भाई सतीश पांडे और भतीजा मुकेश पांडे की इसी मामले में गिरफ्तारी हो गई. ये दोनों फिलहाल जेल में हैं.
हत्या, अपहरण, रंगदारी समेत तीन दर्जन से ज्यादा मामलों में घिरे पप्पू पांडे गोपालगंज के कुचायकोट विधानसभा से विधायक हैं. गोपालगंज से लेकर पटना के शास्त्रीनगर थाने तक में पप्पू पांडे के खिलाफ केस है लेकिन दबंगई ऐसी की कोई भी अबतक कुछ नहीं कर पाया है.
आपको बता दें कि पप्पू पांडे बिहार के सवर्ण बाहुबलियों में शीर्ष पर रह चुके सतीश पांडे के भाई भी हैं. सतीश पांडे पूर्व मंत्री बृज बिहारी हत्याकांड में जेल के अंदर बाहर आते-जाते रहते हैं.
पप्पू पांडे के 5 चर्चित मामले
साल 2012 में गोपालगंज के हथुवा प्रखंड मुख्यालय में शराब दुकान चलाने वाले अनिल साह की हत्या हुई थी. इस मामले में पप्पू पांडे के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था. अनिल साह के परिजनों के मुताबिक पप्पू पांडे ने 50 लाख रुपये रंगदारी मांगी थी, लेकिन नहीं देने पर हत्या कर दी गई.
एक अन्य आरोप के मुताबिक पप्पू पांडे के इशारे पर सरकारी पदाधिकारी के पति का अपहरण किया गया फिर रिहाई के एवज में 55 लाख रुपये लिए गए. एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के अधिकारी ने आरोप लगाया था कि पप्पू पांडे ने उनसे 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी.
साल 2018 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता शिव कुमार उपाध्याय ने आरोप लगाया था कि जेडीयू विधायक पप्पू पांडे उन्हें गोलियों से छलनी करना चाहते हैं. इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.मई 2020 में गोपालगंज के एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या हो गई. इस हत्याकांड में पप्पू पांडे, उनके भाई और भतीजा पर आरोप लगे.
मसीहा बनने की कोशिश
तमाम अपराध और आरोपों के दाग को छुपाने के लिए पप्पू पांडे जनता के बीच मिस्टर क्लीन की छवि बनाने की कोशिश में रहते हैं. वह हर साल सम्मान समारोह आयोजित कर गरीबों के लिए मसीहा बनने की कोशिश करते हैं. लोगों के बुलाने पर तुरंत पहुंच जाने की आदत की वजह से क्षेत्र में लोग पप्पू पांडे के अपराधिक इतिहास को नजरअंदाज करते हैं.
पार्टी से कोई नहीं फर्क
पार्टी कोई भी हो अमरेंद्र उर्फ पप्पू पांडे को फर्क नहीं पड़ता है. वह पहली बार 2010 में बसपा के टिकट पर विधायक बने. 2015 में पार्टी बदल ली और जेडीयू से चुनाव लड़ा. इस बार भी उन्हें विधायक बनने से कोई नहीं रोक पाया. अब एक बार फिर पप्पू पांडे कुचायकोट के प्रबल दावेदार हैं.
कितनी है संपत्ति
साल 2015 के विधानसभा चुनाव में पप्पू पांडे ने चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में अपनी संपत्ति 1 करोड़ 63 लाख रुपये के करीब बताई थी जबकि 42 लाख रुपये की देनदारियां हैं. आपको बता दें कि पप्पू पांडे ने 12वीं तक की पढ़ाई की है.
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