आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बिहार में चल रहे 'वोटर अधिकार यात्रा' के तीसरे दिन आज कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को 2029 में प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा कर दी. तेजस्वी यादव ने कहा कि 2025 में बिहार में महागठबंधन की सरकार बनेगी और 2029 में महागठबंधन राहुल गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनाएगी.
तेजस्वी यादव के इस घोषणा के बाद अब सवाल खड़ा हो रहा है कि जहां पर उन्होंने राहुल गांधी को 2029 में प्रधानमंत्री बनाने का समर्थन किया है तो आखिर क्या वजह है कि राहुल गांधी या कांग्रेस बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तेजस्वी यादव का नाम मुख्यमंत्री चेहरे के तौर पर घोषणा करने से बच रहे हैं या फिर ऐसा कहे कि अब तक घोषणा नहीं की गई है?
बिहार में वोटर लिस्ट के गहन समीक्षा के मुद्दे पर राहुल गांधी लीड रोल में दिख रहे हैं और उन्हें तेजस्वी यादव का भी भरपूर साथ मिल रहा है और 17 अगस्त से दोनों नेताओं ने महागठबंधन के अन्य दलों के साथ मिलकर बिहार में वोटर अधिकार यात्रा की शुरुआत की है जिसका समापन 1 सितंबर को पटना में होगा.
बिहार में कथित रूप से वोट चोरी के मुद्दे को लेकर दोनों नेताओं ने बीजेपी और चुनाव आयोग के खिलाफ हल्ला बोल किया हुआ है लेकिन इस मुद्दे से इधर एक सवाल यह हमेशा खड़ा हो रहा है कि आखिर तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने में महागठबंधन की तरफ से देरी क्यों हो रही है?
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सवाल उठता है कि क्या तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने को लेकर कहीं कोई पेंच फंसा हुआ है या फिर क्या कांग्रेस सीट शेयरिंग के मुद्दे पर आरेजेडी से मन मुताबिक सीट नहीं मिलने की स्थिति में तेजस्वी का समर्थन करने से परहेज कर रही है.
बता दें कि, महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा चल ही रही है. अभी तक महागठबंधन के नेताओं की पांच राउंड की बैठक हो चुकी है लेकिन किसी भी बैठक में कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है खासकर सीट शेयरिंग को लेकर.
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हालांकि, तेजस्वी यादव ने कई मौके पर स्पष्ट कर दिया है कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर कोई कंफ्यूजन नहीं है और वही मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे. 17 अगस्त को जब सासाराम से वोटर अधिकार यात्रा की शुरुआत भी हुई थी तो तेजस्वी यादव और राहुल गांधी एक खुले जीप में यात्रा की शुरुआत करते दिखे थे और उसे दौरान तेजस्वी यादव ही जीप की स्टीयरिंग व्हील पर दिखे थे.
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की जीप वाली तस्वीर भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी जिसको लेकर एक संदेश भी यह दिया जा रहा था कि भले ही राहुल गांधी राष्ट्रीय नेता है लेकिन बिहार में कमान तो तेजस्वी यादव और आरजेडी ही के हाथ में है.
इस वायरल फोटो से यह भी संदेश देने की कोशिश की गई कि कांग्रेस से राष्ट्रीय पार्टी हो सकती है लेकिन बिहार में उसे वही करना होगा जो आरजेडी चाहती है क्योंकि पिछले तीन दशक से दोनों पार्टियों के गठबंधन में हमेशा आरजेडी ही बड़े भाई की भूमिका में रही है और कांग्रेस केवल आरजेडी की पिछलग्गू बनकर काम करते आई है.
2020 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी मगर केवल 19 सीट पर उसकी जीत हुई थी. तकरीबन 27 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ कांग्रेस का या प्रदर्शन बेहद खराब रहा था जिसके वजह से तेजस्वी यादव सरकार बनने से चूक गए थे.
ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार आरजेडी कांग्रेस को इतनी सीट देने के मूड में नहीं है जितना की 2020 में उसको दिया गया था. अगर 2025 लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के बीच सीट बंटवारा को ही आधार बनाया जाए तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से 40 में से 9 सीट पर चुनाव लड़ी थी और उसे आधार पर देखें तो विधानसभा चुनाव में कम से कम 54 सीटों पर उसकी दावेदारी बनती है और शायद आरजेडी भी कांग्रेस को उतनी ही सीट देना चाह रही है.
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लेकिन सूत्रों की माने तो कांग्रेस से चाहती है कि 2020 में जितनी सीट विधानसभा चुनाव में उसको लड़ने के लिए मिला था कम से कम उतना ही सीट एक बार फिर से 2025 चुनाव में भी मिलना चाहिए.
शायद यही कारण है कि कांग्रेस अभी वेट एंड वॉच के एजेंडा पर चल रही है और सीट शेयरिंग के मसले का निपटारे का इंतजार में है. माना जा रहा है कि जब तक कांग्रेस को संतोषजनक सीट नहीं मिलता है तब तक वह तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर घोषणा से परहेज करेंगे.