बिहार की राजधानी पटना के ज्ञान भवन में भारतीय युवा कांग्रेस ने ‘मेगा रोजगार मेला 2025’ का भव्य आयोजन किया, जिसमें बिहार के हजारों युवाओं ने भाग लिया. इस मेले में देश की 190 से ज्यादा मशहूर प्राइवेट कंपनियों जैसे- टाटा अलायन्स, फ्लिपकार्ट, टेक महिंद्रा, पेटीएम, वोल्टास, हिटाची, अर्बन क्लैप और अन्य ने हिस्सा लिया.
मेले में 48 हजार युवाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया, 20 हजार से ज्यादा युवाओं के इंटरव्यू हुए और करीब 7,000 युवाओं को मौके पर ही जॉब लेटर सौंपे गए. इसके अलावा कई युवाओं को दूसरे राउंड के लिए भी शॉर्टलिस्ट किया गया है.
'हम युवाओं के लिए रोजगार...'
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इस मौके पर युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिब ने कहा, “यह सिर्फ़ एक रोजगार मेला नहीं, बल्कि राहुल गांधी के विज़न और प्रेरणा पर यक़ीन रखने वाली एक सशक्त मुहिम है. विपक्ष में रहते हुए भी हम बिहार के युवाओं के लिए रोज़गार के मौके पैदा कर रहे हैं, जो इस डबल इंजन सरकार से नहीं हो सका.”
उन्होंने BJP-JDU सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 20 साल के शासन और 11 साल के केंद्र में रहते हुए भी इन्होंने बिहार के बेरोजगारों के लिए कुछ नहीं किया. आज जब सरकार विफल हो चुकी है, तब युवा कांग्रेस उम्मीद की किरण बनकर सामने आई है.”
कार्यक्रम में कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह, NSUI प्रभारी कन्हैया कुमार, लोकसभा सांसद पप्पू यादव, कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास, पूर्व विधायक अमित कुमार टुन्ना और पूनम पासवान सहित कई सीनियर लीडर्स मौजूद रहे.
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युवा कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा, “पटना में उमड़ी ये भीड़ सिर्फ़ एक मेले की नहीं, बल्कि उस लंबे इंतजार की तस्वीर है, जो बिहार के युवाओं ने नौकरियों के लिए सहा है. डबल इंजन की सरकार ने दरवाज़े बंद किए, हमने वो दरवाज़ा खोला है.”
'भीड़ सिर्फ रोजगार की तलाश नहीं...'
बिहार युवा कांग्रेस अध्यक्ष गरीब दास ने इसे एक नई शुरुआत बताते हुए कहा, “यह भीड़ सिर्फ़ रोजगार की तलाश नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश है कि अब बिहार के युवा सिर्फ़ वादों में नहीं, अवसरों में विश्वास करते हैं. हमने उन्हें वही दिया है- वास्तविक अवसर.”
रोजगार मेले की सफलता को कांग्रेस नेताओं ने युवाओं की जीत बताया और आगामी चुनावों में बदलाव लाने की अपील की. इस प्रोग्राम में बिहार युवा कांग्रेस प्रभारी मो. शाहिद, राष्ट्रीय सचिव हरि कृष्णा, रोहित कुमार, शेष नारायण ओझा, पुनीत पार्य समेत सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे. इस प्रोग्राम से यह साबित होता है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, तो विपक्ष में रहकर भी बदलाव लाया जा सकता है.