भाजपा नेता किरीट सोमैया ने महाराष्ट्र चुनाव के लिए पार्टी द्वारा कैम्पेन कमेटी के प्रमुख के रूप में अपनी नियुक्ति को अस्वीकार कर दिया है. उन्होंने इस संबंध में एक पत्र लिखा है, जिसने महाराष्ट्र की भाजपा इकाई में चल रही अंदरुनी कलह को सामने ला दिया है. दरअसल, राज्य में विपक्षी महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA) का मुकाबला करने के उद्देश्य से पार्टी के प्रयासों को सुव्यवस्थित करने के लिए, एक चुनाव प्रबंधन समिति की घोषणा की गई है, जिसने भाजपा में आंतरिक विवाद को जन्म दिया है.
किरीट सोमैया अपने भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने अपने पिछले साढ़े पांच वर्ष कई एमवीए नेताओं से जुड़े कथित भ्रष्टाचार को उजागर करने में बिताए हैं और उद्धव ठाकरे गुट के साथ मोर्चा ले लिया था. हालांकि, उन्हें उनकी पार्टी ने ही लोकसभा चुनाव लड़ाया और न राज्यसभा भेजा. वहीं, दूसरे दलों से आए मुन्ना महादिक और अशोक चव्हाण जैसे नेताओं को संसद के ऊपरी सदन में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया गया. इससे महाराष्ट्र बीजेपी में पार्टी के लिए वफादार नेताओं के अस्तित्व पर गंभीर सवाल खड़े हो गए थे.
मैं पार्टी का साधारण कार्यकर्ता, पद की लालच नहीं: सोमैया
बीजेपी की कैम्पेन कमेटी का अध्यक्ष बनने से इनकार करने के बारे में किरीट सोमैया ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, 'मैं किसी भी पद का लालच नहीं रखता हूं. बावनकुले और फडणवीस जानते हैं कि मैंने पार्टी के लिए कैसे काम किया है. मैंने एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में काम किया है. मैंने साबित किया है कि पार्टी में एक साधारण कार्यकर्ता का वजन फडणवीस और बावनकुले से ज्यादा होना चाहिए. अगर मैं अपनी पार्टी के लिए इतना काम कर रहा हूं, तो मुझे किसी समिति में पद जैसी अतिरिक्त चीजों की जरूरत नहीं है. मेरी पार्टी ने इसे मान लिया है.'
इससे पहले, माधव भंडारी के पुत्र चिन्मय भंडारी ने पार्टी के लिए पचास वर्षों की निस्वार्थ सेवा के बाद भी अपने पिता को उनका हक नहीं मिलने पर खेद और दर्द व्यक्त करते हुए एक भावनात्मक खुला पत्र लिखा था. बता दें कि माधव भंडारी महाराष्ट्र भाजपा इकाई के सबसे अनुभवी नेताओं में शामिल रहे हैं और पूर्व मुख्य राज्य प्रवक्ता की जिम्मेदारी निभाई है. चिन्मय भंडारी ने अपने पत्र में लिखा, 'मैंने अपने जीवन में 12 बार अपने पिता का नाम विधानसभा या उच्च सदन के लिए दावेदारों की सूची में देखा है. और हर बार उन्हें निराशा मिली है. मैं नेतृत्व पर सवाल उठाने या आलोचना करने की स्थिति में नहीं हूं. मैं ऐसा करना भी नहीं चाहता. क्योंकि, अपने पिता की तरह मैं भी उन पर विश्वास करता हूं. लेकिन बार-बार आशावान होना और फिर निराशा के दर्द को महसूस करना हमारी आदत बन गई है.'
This is a deeply personal post, and it is my personal thought process.
— Chinmay Bhandari (@iTsChinmay) February 15, 2024
Not many know that I am @Madhavbhandari_ (Madhav Bhandari, Vice President of BJP Maharashtra) son.
Today, I want to write about my father.
My father joined the Jansangh/Janata Party in 1975, a few years… pic.twitter.com/SHMzOtwFHn
इसके अलावा गत 3 अगस्त को एक सभा में, भाजपा नेता और पूर्व मंत्री प्रकाश मेहता ने पार्टी कैडर के दबाव का हवाला देते हुए घाटकोपर विधानसभा क्षेत्र से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी. हालांकि, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल के दौरान एक कथित भूमि घोटाले में उनका नाम फंसने के बाद उन्हें 2019 के विधानसभा चुनावों में टिकट देने से इनकार कर दिया गया था, जिससे स्थानीय कैडर में भारी हंगामा हुआ था. घाटकोपर से मौजूदा विधायक पराग शाह को 2019 में प्रकाश मेहता के स्थान पर मैदान में उतारा गया था.
पार्टी में उलझन यहीं थमने का नाम नहीं ले रही है क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य भर में संकटग्रस्त किसानों और मराठा आरक्षण आंदोलनकारियों के विरोध का हवाला देते हुए राज्य नेतृत्व की राज्यव्यापी जनसंवाद यात्रा शुरू करने की योजना पर आपत्ति जताई है. केंद्रीय नेतृत्व ने सुझाव दिया है कि ऐसे समय में यात्रा निकालने से जन भावनाएं पहले से कहीं ज्यादा आहत हो सकती हैं. पुणे में 21 जुलाई को एक दिवसीय सम्मेलन के बाद महाराष्ट्र बीजेपी 288 विधानसभा सीटों पर एक महीने तक चलने वाली जनसंवाद यात्रा की घोषणा करने वाली थी. 2019 के विधानसभा चुनावों से पहले तत्कालीन सीएम देवेंद्र फड़नवीस द्वारा की गई महाजनादेश यात्रा की तर्ज पर उन्नीस केंद्रीय और राज्य नेताओं के कम से कम दो से तीन लोकसभा क्षेत्रों का दौरा करने की योजना थी.
इसी तरह, अजित पवार के नेतृत्व वाले राकांपा के साथ गठबंधन का जमीनी स्तर पर गंभीर असर पड़ा. इससे बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए उन लोगों के साथ तालमेल बिठाकर काम करना मुश्किल हो गया, जिनके खिलाफ उन्होंने वर्षों तक खून-पसीना बहाया और संघर्ष किया है. कई पार्टी नेता और पदाधिकारी अपने पसंदीदा कार्यकर्ताओं और ठेकेदारों के बीच लोकल बॉडी फंड के असमान वितरण से भी नाराज हैं. एनसीपी (शरद पवार गुट) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने बीजेपी पर निशाना साधा. पाटिल ने कहा कि अमित शाह को नहीं पता कि देवेंद्र फडणवीस के मन में क्या चल रहा है. दोनों के बीच संवादहीनता है और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस अपने मन मुताबिक काम नहीं कर पा रहे. इसलिए परेशानी बढ़ गयी है. जनता ने शिवसेना, बीजेपी, एनसीपी की तिकड़ी को नकार दिया है.