हरियाणा विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने स्तर पर तैयारियों में जुट गई हैं. इसी सिलसिले में जननायक जनता पार्टी (JJP) और आजाद समाज पार्टी (ASP) ने दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की. दोनों नेताओं ने विधानसभा चुनाव में एक साथ लड़ने का ऐलान किया. दुष्यंत चौटाला ने कहा, 'जेजेपी और एएसपी मिलकर हरियाणा चुनाव लड़ेंगे. हम कांशीराम और चौधरी देवीलाल के पदचिन्हों पर चलेंगे.'
उन्होंने आगे कहा कि हम दोनों 36 साल के हैं, यह गठबंधन राज्य के विकास के लिए मजबूत आधार प्रदान करेगा. दोनों संगठनों ने मिलकर किसानों और मजदूरों के लिए लड़ने का फैसला किया है.
इन मुद्दों पर किए गए ऐलान
क्या है गठबंधन का मकसद?
एएसपी और जेजेपी गठबंधन का अहम मकसद हरियाणा के राजनीतिक सिनेरियो में एक नया आयाम जोड़ने और दलित-जाट वोटरों को अपने पक्ष में करने का है. यह गठबंधन बहुत मायने रखता है, क्योंकि इससे पहले ही इंडियन नेशनल लोकदल (INL) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के बीच भी गठबंधन हो चुका है. हरियाणा में दलित और जाट वोट बेहद अहम हैं और यही वजह है कि राजनीतिक इन समुदायों के वोट बैंक को लेकर बहुत सतर्क हैं.
आजाद समाज पार्टी के द्वारा अपने घोषणा पत्र में दलित हितों को प्राथमिकता देने की बातें की जा रही हैं, जो दलित वोटरों के लिए आकर्षण का केंद्र हो सकती हैं. हरियाणा में 1 अक्टूबर से विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इससे पहले पार्टियों के बीच गठबंधन की ये खबरें राजनीतिक सरगर्मी को और बढ़ा रही हैं. आगामी चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन गठबंधन का कितना असर पड़ता है और किस पार्टी को फायदा मिलता है.
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कैसा था पिछला चुनाव परिणाम?
हरियाणा में इस नए राजनीतिक समीकरण का असर कितना व्यापक होगा, यह चुनाव नतीजे ही बताएंगे. बता दें कि 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 है. बीजेपी ने 40 सीटें जीती थीं. वहीं, कांग्रेस को 31, जेजेपी को 10, अन्य को 7 सीटें मिली थीं. अभय चौटाला की इनेलो और गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी को 1-1 सीट मिली थी. चुनाव के बाद बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. हालांकि, कुछ महीने पहले यह गठबंधन टूट गया था.
दुष्यंत चौटाला ने बीजेपी से किया था किनारा
दुष्यंत चौटाला, ने 2019 में बीजेपी के साथ गठबंधन किया था और लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए से बाहर हो गए. ऐसी खबरें थीं कि वह 2 लोकसभा सीटें मांग रहे थे, लेकिन बीजेपी अधिकतम एक सीट देने को तैयार थी. जेजेपी नेता ने कहा कि उन्होंने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के साथ दो बैठकें कीं.
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