समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने शुक्रवार को लखनऊ में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की. यह मुलाकात करीब 45 मिनट तक चली, जिसमें आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम भी मौजूद रहे. मुलाकात के बाद आजम खान ने मीडिया से बात करते हुए बिहार चुनाव पर भी टिप्पणी की. उन्होंने चुनाव में प्रचार को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि 'मैं जंगलराज में नहीं जाना चाहता.'
उन्होंने कहा, 'आज मेरे आने का मकसद बस यही था कि लोगों को बता सकूं कि आज भी इस धरती पर कुछ लोग जिंदा हैं, जिनकी कुव्वत-ए-बर्दाश्त किसी भी पत्थर और पहाड़ से ज्यादा है.' उन्होंने आगे कहा कि 'मेरे घर में कल भी जनरेटर नहीं था, आज भी नहीं है. और मेरा वादा है कि जब तक मेरे समाज के हर व्यक्ति के घर में जनरेटर नहीं हो जाएगा, मैं जनरेटर नहीं रखूंगा.'
'मैं जंगलराज में नहीं जाना चाहता'
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए जाएंगे, तो आजम खान ने कहा, 'जाना चाहता हूं, पर असुरक्षित नहीं जाना चाहता. जंगल राज में नहीं जाना चाहता.' उन्होंने कहा, 'बिहार में बादशाह से लेकर वजीर तक यही कह रहे हैं कि यहां जंगल राज है. जंगल में इंसान नहीं रहते हैं. अगर उस जंगल राज में अकेला चला जाऊंगा, तो आपने देखा है आखिरी हत्या किस तरह से हुई है. मैं जबरदस्ती रेल की पटरी पर अपना सिर नहीं रखूंगा.'
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'लोग कहते हैं तो ठीक ही कहते होंगे'
उन्होंने कहा कि, 'लोग कह रहे हैं कि बिहार में बदलाव आने वाला है, और जब लोग कहते हैं, तो ठीक ही कहते हैं.' उन्होंने कहा, 'अगर तनखइया कहने पर मेरी सदस्यता जा सकती है, मुझे 3 बरस की सजा हो सकती है, अगर मुर्गी चुराने के आरोप में 21 बरस की सजा और 30 लाख रुपये जुर्माना हो सकता है, तो फिर दूसरे लोग क्यों अपना माहौल खराब कर रहे हैं?'
'अब दिल ही कहां रह गया है'
आजम खान ने कहा कि 'आज कई लोग हजारों किलोमीटर दूर से मुझसे मिलने आते हैं, गले लगते हैं- जो मेरे धर्म के भी नहीं हैं. यह बदलाव है और बदलाव महसूस भी हो रहा है.' अखिलेश यादव से दूरी को लेकर पूछे गए सवाल पर आजम खान ने कहा, 'अब दिल ही कहां रह गया है. कई लोग मुझसे मिलने के बाद रोए हैं. बगैर दिल के काम कर रहे हैं.' जेल के अनुभव पर पूछे गए सवाल के जवाब में आजम खान ने कहा, 'अगर कभी मुझे इतना वक्त मिला कि मैं कुछ लिख सकूं, तो मैं दावे से कहता हूं कि आप पढ़ नहीं सकेंगे.'