scorecardresearch
 

शाह के टारगेट के लिए एनडीए को पहले ही फेज में जीतनी होंगी दो-तिहाई सीटें, कैसे होगा ये संभव

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों पर गुरुवार को मतदान होना है, उससे पहले अमित शाह ने एनडीए की 160 से ज्यादा सीटें जीतने की भविष्यवाणी की है. अमित शाह के इस टारगेट को पूरा करने के लिए एनडीए को पहले ही चरण में दो-तिहाई सीटें जीतनी होगी, क्या ये संभव है?

Advertisement
X
बिहार में अमित शाह का टारगेट क्या एनडीए हासिल कर पाएगा (Photo-BJP)
बिहार में अमित शाह का टारगेट क्या एनडीए हासिल कर पाएगा (Photo-BJP)

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से ठीक पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि एनडीए दो-तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाएगी. आजतक से बातचीत करते हुए अमित शाह ने कहा कि बिहार में एनडीए 160 सीट से ज्यादा सीटें हासिल करेगी. उन्होंने कहा कि इस बार के चुनाव में एनडीए गठबंधन के सभी पार्टियों का स्ट्राइक रेट अच्छा रहेगा.

अमित शाह के 160 सीट के टारगेट को हासिल करने के लिए एनडीए को पहले चरण की दो-तिहाई सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी, इसके बाद ही बिहार में एनडीए अपना लक्ष्य पूरा कर सकेगा, लेकिन क्या यह संभव है? 

बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें पहले चरण में 121 सीट पर 6 नवंबर को मतदान है तो दूसरे चरण में 122 सीटों पर 11 नवंबर को वोटिंग है. अमित शाह ने बिहार की 243 सीटों में से 160 से ज्यादा सीटें जीतने की भविष्यवाणी की है, जिसके लिए पहले ही फेज में एनडीए के घटक दलों को बेहतर प्रदर्शन करना होगा.

2020 में 121 सीट पर कैसा रहा प्रदर्शन

बिहार चुनाव की विस्तृत कवरेज के लिए यहां क्लिक करें

बिहार विधानसभा की हर सीट का हर पहलू, हर विवरण यहां पढ़ें

पहले चरण की जिन 121 विधानसभा सीटों पर चुनाव है, वहां पिछली बार महागठबंधन और एनडीए में कांटे की फाइट रही थी. महागठबंधन ने 61 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि एनडीए को 59 सीटें मिली थीं. एलजेपी एक सीट जीतने में सफल रही थी.

Advertisement

पहले फेज की 121 सीटों में से आरजेडी ने 42 सीटें जीती थीं जबकि बीजेपी 32 सीटें जीती थीं. जेडीयू के सिर्फ 23 विधायक जीतकर आए थे और कांग्रेस के 8 विधायक थे. इसके अलावा माले के 7, वीआईपी के चार, सीपीआई और सीपीएम के दो-दो विधायक जीते थे. 

160 के टारगेट के लिए कितनी सीटें चाहिए

बिहार का चुनाव इस बार दो चरण में करीब-करीब बराबर सीटों पर हो रहा है. 121 सीटें पहले चरण में तो दूसरे चरण में 122 सीटों पर मतदान है. अमित शाह के 160 सीटें जीतने वाले टारगेट के लिए एनडीए को सिर्फ महागठबंधन को मात ही नहीं देना बल्कि दो-तिहाई सीटें भी जीतनी होंगी. इस लिहाज से पहले चरण की 121 सीटों में से कम से कम 80 सीटें एनडीए को हर हाल में जीतनी होंगी, यानि पिछली बार के चुनाव से 20 सीटें ज्यादा जीतने की जरूरत पड़ेगी.

पहले फेज की जिन सीटों पर चुनाव है, उसमें एनडीए की तरफ से जेडीयू 57 सीट पर लड़ रही है तो बीजेपी ने 48 सीट पर किस्मत आजमा रही है. चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) ने 13 सीटों पर चुनावी मैदान में हैं जबकि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएम के दो उम्मीदवार मैदान में हैं और जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के एक प्रत्याशी हैं. इस लिहाज से देखें तो अमित शाह के टारगेट को हासिल करने का जिम्मा जेडीयू के ऊपर ज्यादा है, क्योंकि वह एनडीए के बाकी घटक दलों से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है.

Advertisement

शाह के लक्ष्य को नीतीश क्या करेंगे पूरा?

अमित शाह के 160 से ज्यादा सीटों के टारगेट को पूरा करने के लिए बीजेपी को ही नहीं बल्कि नीतीश कुमार सहित बाकी एनडीए के घटक दलों को दम दिखाना होगा. पहले चरण में एनडीए की तरफ से सबसे ज्यादा सीटें जेडीयू लड़ रही है तो उसका जिम्मा भी ज्यादा है. जेडीयू को पहले चरण में अपने कोटे की 57 सीटों में से 36 सीट पर आरजेडी से सीधी लड़ाई लड़नी होगी तो 13 सीट पर कांग्रेस से मुकाबला है. इसके अलावा सात सीट पर जेडीयू की लड़ाई सीपीआई माले से है और दो सीटों पर मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के साथ फाइट है.

वहीं, बीजेपी को पहले चरण में अपने कोटे की 48 सीटों में से 23 सीट पर आरजेडी से मुकाबला करना पड़ रहा है तो 13 सीट पर कांग्रेस से लड़ाई है. इसके अलावा बीजेपी की माले से 5 सीट पर सीधा मुकाबला है तो चार सीट पर मुकेश सहनी की वीआईपी के उम्मीदवारों से है. चिराग की पार्टी एलजेपी (आर) को 10 सीटों पर आरजेडी से सीधा मुकाबला करना पड़ रहा है. उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम के दोनों उम्मीदवारों का मुकाबला आरजेडी प्रत्याशी से है.

कुशवाहा-पासवान फैक्टर पर NDA की उम्मीद

पहले चरण की जिन सीटों पर चुनाव है, वहां 2020 में मुकाबला बराबरी का रहा हो, लेकिन इस बार सीन बदल गया है. पिछली बार अकेले मैदान में उतरकर एनडीए का गेम बिगाड़ने वाले चिराग पासवान इस बार एनडीए खेमे में हैं तो उपेंद्र कुशवाहा की एनडीए में वापसी होने से भी हौसले बुलंद हैं. चिराग और कुशवाहा का आना एनडीए के लिए खासकर दक्षिण और मध्य बिहार में एनडीए के लिए 'एक्स फैक्टर' का काम कर सकता है.

Advertisement

चिराग पासवान के चलते पिछली बार 25 सीटें जेडीयू हारी थी, जिसमें ज्यादातर सीटें पहले चरण की हैं. इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा के चलते भी कई सीटों पर नुकसान एनडीए को उठाना पड़ा था. हालांकि, इस बार मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा दिखता है, लेकिन जनसुराज, एआईएमआईएम और बसपा जैसे दल मजबूती से चुनाव लड़कर कई सीटों पर मुकाबले को रोचक बना दिया है.

20 साल से सत्ता में रहने के चलते नीतीश कुमार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की संभावना मानी जा रही है, ऐसे में पहले चरण की 121 सीटों में से एनडीए 80 सीटों से ज्यादा जीतकर ही अमित शाह के लक्ष्य को हासिल कर सकती है, जिसके लिए बीजेपी ही नहीं बल्कि जेडीयू से लेकर चिराग पासवान और कुशवाहा तक को अपना प्रदर्शन करके दिखाना होगा? 

बीजेपी की दिग्गजों की साख दांव पर लगी

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में नीतीश सरकार के दोनों डिप्टी सीएम और बीजेपी के सिपहसलार का इम्तिहान है. बीजेपी नेता सम्राट चौधरी तारापुर सीट से मैदान में हैं तो विजय कुमार सिन्हा लखीसराय सीट से किस्मत आजमा रहे हैं, जिनकी सीट पर पहले चरण में चुनाव होना है. 

बीजेपी कोटे से 11 मंत्री हैं, जिनमें स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे सीवान सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. बांकीपुर सीट पर नितिन नवीन दरभंगा के जाले से नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्र, दरभंगा से राजस्व मंत्री संजय सरावगी, कुढ़नी से पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता, साहेबगंज से पर्यटन मंत्री राजू कुमार, अमनौर से सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री कृष्ण कुमार मंटू, बिहारशरीफ से पर्यावरण मंत्री सुनील कुमार और बछवाड़ा से खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता मैदान में हैं.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement