| Gender | M |
| Age | 60 |
| State | BIHAR |
| Constituency | GOVINDGANJ |
शशि भूषण राय बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. उनकी उम्र 60 साल है और उनकी शैक्षिक योग्यता Graduate Professional है. उन पर दर्ज केसों की संख्या (2) है. उनकी कुल संपत्ति 24.7Crore रुपये है, जबकि उन पर 4.5Crore रुपये की देनदारी है.
Serious IPC Counts
Education
Cases
self profession
| Property details | 2025 |
|---|---|
| Total Assets | 24.7Crore |
| Movable Assets | 5Crore |
| Immovable Assets | 19.7Crore |
| Liabilities | 4.5Crore |
| Self Income | 21Lac |
| Total Income | 61.8Lac |
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार में पहले चरण की वोटिंग के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गोविंदगंज में रैली को संबोधित किया और एनडीए सरकार पर हमला बोला. प्रियंका ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए. रैली में प्रियंका ने इतिहास की बात करते हुए महात्मा गांधी और स्थानीय परंपरा का जिक्र भी किया.
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद भी दोनों प्रमुख गठबंधन, एनडीए और इंडिया, में सीटों के बंटवारे को लेकर गतिरोध बना हुआ है. छोटे दल दोनों गठबंधनों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. एनडीए में जीतन राम माझी 15 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि उन्हें 7 सीटें ऑफर की जा रही हैं. चिराग पासवान कम से कम 35 सीटों की मांग पर अड़े हैं और ब्रह्मपुर व गोविंदगंज जैसी विशिष्ट सीटें चाहते हैं. वहीं, महागठबंधन में तेजस्वी यादव अपनी पार्टी के लिए 130 सीटों से कम पर तैयार नहीं हैं.