दुनिया भर में उच्च शिक्षा का नक्शा लगातार बदल रहा है. लंबे समय से भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका सबसे लोकप्रिय डेस्टिनेशन रहा, लेकिन अब तस्वीर अलग है। बढ़ती फीस, शिक्षा ऋण का बोझ, वीजा प्रक्रिया की जटिलता और राजनीतिक ध्रुवीकरण जैसी चुनौतियों ने अमेरिका के आकर्षण को कम कर दिया है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट में श्रुति बंसल लिखती हैं कि इन हालातों ने कनाडा को एक बार फिर सबसे भरोसेमंद विकल्प बना दिया है. कनाडा न केवल सुरक्षित और स्वागतपूर्ण माहौल देता है, बल्कि कम खर्च और प्रवास-अनुकूल नीतियों की वजह से छात्रों के बीच शीर्ष पसंद के रूप में उभर रहा है.
आंकड़ों से बदलती तस्वीर
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 के अंत तक कनाडा में 4.27 लाख भारतीय छात्र पढ़ रहे थे, जबकि अमेरिका में यह संख्या 3.37 लाख रही. साल 2025 में हुए ApplyBoard के सर्वे में यह बात सामने आई कि 94 प्रतिशत छात्रों ने कनाडा को अपनी पहली पसंद बताया. उनकी सबसे बड़ी वजह रही किफायती पढ़ाई, सुरक्षित वातावरण और आसान इमिग्रेशन पॉलिसी.
विश्वविद्यालयों में बढ़ती रुचि
इंडिया टुडे की रिपोर्ट कहती है कि यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में 27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. वहीं, ह्यूरन यूनिवर्सिटी, ओंटारियो का कहना है कि भारतीय छात्रों के आवेदन पिछले दो वर्षों की तुलना में दो से तीन गुना तक बढ़ चुके हैं. यह वृद्धि हर विश्वविद्यालय में समान रूप से नहीं दिख रही, लेकिन जिन संस्थानों ने भारतीय छात्रों पर विशेष ध्यान दिया है, वहां यह रुझान साफ तौर पर नजर आ रहा है.
कोविड से लेकर कूटनीतिक विवाद तक
ह्यूरन यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट और वाइस-चांसलर डॉ. बैरी क्रेग बताते हैं कि पिछले पांच साल छात्रों की गतिशीलता के लिए किसी रोलर कोस्टर से कम नहीं रहे. कोविड महामारी ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आवागमन को लगभग रोक दिया था। इसके बाद जियोपॉलिटिक्स टेंशन और भारत-कनाडा के बीच राजनयिक विवादों ने दाखिलों पर असर डाला, लेकिन अब दिलचस्पी दोबारा लौट रही है और इसका सीधा संबंध अमेरिका की मौजूदा परिस्थितियों से है. डॉ. क्रेग के अनुसार इस साल हमें पिछले दो वर्षों की तुलना में तीन गुना अधिक आवेदन मिले हैं और मुख्य एडमिशन सीजन में यह संख्या और बढ़ने की संभावना है.
किफायती शिक्षा का असर
भारतीय परिवारों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण शिक्षा पर आने वाला खर्च है. एक अभिभावक ने बताया कि उनकी एक बेटी ने कनाडा में पढ़ाई की और दूसरी ने अमेरिका में. अमेरिका की तुलना में कनाडा की फीस केवल पच्चीस प्रतिशत रही. ह्यूरन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का खर्च अमेरिका की समान स्तर की यूनिवर्सिटी की तुलना में लगभग आधा है. कनाडाई विश्वविद्यालयों की खासियत यह है कि वे पैसे को सीधे पढ़ाई और शिक्षण की गुणवत्ता पर खर्च करते हैं, न कि प्रशासनिक खर्चों और खेल सुविधाओं पर.
पढ़ाई के बाद करियर की संभावनाएं
कनाडा छात्रों को पढ़ाई पूरी होने के बाद भी बेहतरीन अवसर प्रदान करता है. यहां छात्रों को तीन साल का पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट मिलता है. ह्यूरन यूनिवर्सिटी सभी छात्रों को पढ़ाई के दौरान पेड इंटर्नशिप देती है. रिपोर्ट के अनुसार, इस यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने वाले 92 प्रतिशत छात्र छह महीने के भीतर नौकरी पा लेते हैं और ज़्यादातर अपनी पसंद के क्षेत्र में काम शुरू कर देते हैं.