अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन के नेतृत्व वाले प्रशासन द्वारा हाल में शुरू ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार रोधी चैम्पियंस अवॉर्ड’ के लिए घोषित 12 ‘साहसी’ लोगों में भारत की सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज का नाम भी शामिल है. आइए जानते हैं कि कौन हैं अंजलि भारद्वाज.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार 48 वर्षीय भारद्वाज ने दो दशक से ज्यादा समय से भारत में सूचना के अधिकार आंदोलन में एक सक्रिय सदस्य के रूप में भूमिका निभाई है.
भारद्वाज ने एक ट्वीट में कहा कि यह सम्मान देश में सत्ता को जिम्मेदार बनाने के लिए काम करने वाले लोगों और समूहों के सामूहिक प्रयास को मान्यता प्रदान करता है. भारद्वाज के अतिरिक्त अवॉर्ड पाने वालों मेंं अल्बानिया के अर्दियन डोरवानी, इक्वाडोर की डियाना सालजार समेत अन्य कई देशों के कार्यकर्ता शामिल हैं.
Thank you 🙏 This is a recognition of the collective effort of people and groups across the country who hold power to account ✊🏽 https://t.co/ZXIbLy8fGT
— Anjali Bhardwaj (@AnjaliB_) February 23, 2021
क्या कहा अमेरिकी विदेश मंत्री ने
इस अवॉर्ड की घोषणा करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, 'मैं ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार रोधी चैम्पियंस अवॉर्ड’ की घोषणा करता हूं. इसके जरिए उन लोगों की पहचान की जाएगी जो विपरीत परिस्थितियों में लगातार संघर्ष करते हुए भ्रष्टाचार से लड़ने और अपने देशों में पारदर्शिता, जवाबदेही को सुनिश्चित करने की लड़ाई लड़ते हैं.’
पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए काम
करीब 48 साल की अंजलि भारद्वाज एक सोशल एक्टिविस्ट हैं और पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए काम कर रही हैं. भारद्वाज सतर्क नागरिक संगठन (एसएनएस) की संस्थापक हैं. यह नागरिकों का एक ऐसा समूह है, जो सरकार में पारदर्शिता और जवाबदेही तथा नागरिकों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देता है.
वह ‘सूचना के जन अधिकार का राष्ट्रीय अभियान’ की संयोजक हैं. इस संगठन ने भ्रष्टाचार रोधी लोकपाल और ‘व्हिसल ब्लोअर्स’ संरक्षण अधिनियम की हिमायत की और इसके तहत उन लोगों को संरक्षण मिलना शुरू हुआ जो भ्रष्टाचार और शक्ति के दुरुपयोग का खुलासा करते हैं.
वह नेशनल कैम्पेन फॉर पीपल्स राइट टु इन्फॉर्मेशन (NCPRI) की सह-संयोजक और सतर्क नागरिक संगठन की संस्थापक सदस्य हैं. वह सूचना, लोकपाल, व्हिसिलब्लोअर्स की सुरक्षा, शिकायतों के समाधान, राइट टू फूड जैसे विषयों पर काम करती हैं.
ऑक्सफोर्ड और DSE से पढ़ाई
उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से बीए किया है. इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड और डेल्ही स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है.
वह साल 1999 से ही सूचना के अधिकार के लिए काम कर रही हैं. वह जवाबदेही और पारदर्शिता जैसे सवालों को लेकर काफी मुखर रही हैं और प्रमुख अखबारों में इन विषयों पर लेख भी लिखती हैं.
वह RTI एसेसमेंट ऐंड एडवोकेसी ग्रुप (RAAG) के लिए भी काम करती हैं, जो देश में आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन पर नजर रखता है. इसके पहले उन्हें साल 2009 में अशोका फेलोशिप फॉर सोशल आंत्रप्रेन्योर्स मिल चुका है.