राजस्थान एक ऐसा प्रदेश जहां आपने प्रतियोगी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक के कई मामले देखे होंगे. यहां यदि कोई पेपर ठीकठाक तरीके से हो भी जाता हैं तो या तो उसके परिणाम अटक जाते हैं. फिर यदि परिणाम जारी हो जाते हैं तो उसमें धांधली का खेल हो जाता हैं.
कुछ ऐसा ही खेल बेसिक कंप्यूटर अनुदेशक भर्ती परीक्षा के परिणाम में भी सामने आया है. इस परीक्षा के एक सवाल के जवाब के फेर में राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ऐसे फंसा हुआ हैं कि ये गलती उनके खुद के गले से भी नहीं उतर रही. मामले के अनुसार पहले बोर्ड ने एक प्रश्न के उत्तर को सही बताया और फिर उसे गलत ठहरा दिया. उसके सही जवाब पर कई अभ्यर्थियों के नंबर कटे. इसकी वजह से तमाम अभ्यर्थी कंप्यूटर अनुदेशक नौकरी से वंचित रह गए हैं.
अभ्यर्थी उमाकांत तिवाड़ी ने बताया कि बेसिक कंप्यूटर अनुदेशक भर्ती परीक्षा रिजल्ट आने के बाद वो मात्र 0.07 प्रतिशत अंक कम आने के कारण चयन से वंचित रह गया. अंक कम आने का कारण एक सवाल का जवाब बना जिसे पहले बोर्ड ने प्रारंभिक आंसर शीट में D को सही माना लेकिन फाइनल आंसर-की में बदलकर A कर दिया. बोर्ड द्वारा आंसर बदलते ही उमाकांत जैसे कई अभ्यर्थीयों का एक अंक काट दिया गया. यह एक नंबर कटने के साथ ही माईनस मार्किंग के कारण एक तिहाई और कट गए फिर नौकरी से हाथ धोना पड़ा.
8 आईआईटी जाकर खोजा जवाब
इसके बावजूद अभ्यर्थी उमाकांत ने हार नहीं मानी. उन्हें अपने प्रश्न के दिए उत्तर पर पूरा भरोसा था. अब अपने उत्तर की पड़ताल में उमाकांट देश की 8 IIT तक सवाल का सही जवाब ढूंढने पहुंच गए. यहां सभी आईआईटी ने भी उसके ऑप्शन D को सही बताया. यहीं नहीं इससे संबंधित जो भी किताब थी जिसमें यह प्रश्न था उन तक भी अभ्यर्थी पहुंच गए और उन्होंने भी D को ही सही माना. इसके बाद सभी दस्तावेज को लेकर अभ्यर्थी उमाकांत तिवाड़ी राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड पहुंचा और उन्हें सौंप दिया ताकि उसका जवाब सही माना जाए. इसके बावजूद बोर्ड ने एक ना सुनी.
सीएमओ को भी बोर्ड ने किया गुमराह
वहां सुनवाई न होने पर पीड़ित अभ्यर्थी शिकायत लेकर CMO पहुंचे तो सीएमओ ने बोर्ड से जवाब मांगा लेकिन उन्हें भी गुमराह किया गया. जिसके बाद अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन हैं. जिसमें बोर्ड ने एक्सपर्ट कमेटी के आधार पर अपना A जवाब को सही माना है.
बता दे कि बेसिक कंप्यूटर अनुदेशक भर्ती परीक्षा में 2 पेपर हुए थे. अभ्यर्थी को चयन के लिए दोनों प्रश्न पत्रों में अलग-अलग 40-40% अंक लाना अनिवार्य था. इसमें उमाकांत तिवाड़ी के पहले पेपर में 45% और दूसरे पेपर में 39.93% अंक प्राप्त हुए. अभ्यर्थी उमाकांत का आरोप हैं कि प्रारंभिक आंसर शीट का जवाब फाइनल आंसर शीट में बदलने के कारण उसके अंक कट गए और नौकरी से हाथ धो बैठे. इसके पीछे राजस्थान चयन बोर्ड की एक्सपर्ट कमेटी दोषी है.