NEET UG Re-Exam Alternative Option: नीट यूजी री-एग्जाम से बेहतर तरीका 'डिफेंडर (Defender) एग्जाम' है. नीट यूजी री-एग्जाम किसी खेल के फाइनल के विजेता से मैच को फिर से खेलने के लिए कहने जैसा है, यह मानते हुए कि वे हमेशा जीतेंगे. अगर स्टूडेंट किन्हीं वजहों से दोबारा अच्छा स्कोर हासिल नहीं कर सका तो उसे लीगल एक्शन का भी सामना करना पड़ सकता है, इससे मामला और भी खराब हो सकता है. यह कहना है एम्स नई दिल्ली के डॉ. पीयुष रंजन का, जो मेडिसिन डिपार्टमेंट में प्रोफेसर भी हैं.
दरअसल, NEET UG पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट आज अहम सुनवाई कर रही है. चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच नीट पेपर लीक, परीक्षा रद्द और री-एग्जाम को लेकर बड़ा फैसला दे सकती है. केंद्र और नेशलनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने नीट विवाद पर अपना हलफनामा और केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने अपनी रिपोर्ट सबमिट कर दी है. तमाम सबूतों और बयानों को ध्यान में रखते हुए कई याचिकाओं पर चर्चा होगी. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में परीक्षा रद्द करने और नहीं करने की मांग वाली अलग-अलग याचिकाएं भी हैं.
अब सवाल यह उठता है कि क्या नीट री-एग्जाम से सबकुछ ठीक हो जाएगा? एम्स नई दिल्ली के डॉ. पीयुष रंजन ने इस पर 'डिफेंडर एग्जाम' का विकल्प सुझाया है. यह धोखाधड़ी और लॉजेस्टिक परेशानी की चिंताओं को समझते हुए निष्पक्षता बनाए रखने पर फोकस करेगा.
प्रस्तावित नीट स्कोर डिफेंडर परीक्षा की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं-
1. सीमित दायरा
यह परीक्षा सभी श्रेणियों के शीर्ष 100,000 छात्रों के लिए होगा, जो सरकारी मेडिकल कॉलेज सीटों की संख्या से लगभग दोगुना है. यह संख्या कम संसाधनों के साथ परीक्षा आयोजित करने की अनुमति देती है. यह विशेष रूप से उस ग्रुप को फोकस करेगा जिसने टॉप रैंक और सरकारी सीटें हासिल करने के लिए अनुचित साधनों का इस्तेमाल करने की सबसे अधिक संभावना है.
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2. स्कोर का नॉर्मलाइजेशन
मुख्य नीट 2024 परीक्षा की तुलना में प्रश्नों के कठिनाई स्तर में किसी भी अंतर को संतुलित करने के लिए नीट स्कोर डिफेंडर परीक्षा के अंकों को सामान्यीकृत (normalized) किया जाएगा. यह स्कोर को एक समान मानक पर लाने में मदद करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि केवल वेलिड परफॉर्मेंस को ही माना जाए.
3. स्कोर रिटेंशन थ्रेशोल्ड (स्कोर सीमा)
जो छात्र अपने मुख्य नीट 2024 अंकों से कम से कम 5% कम स्कोर करते हैं, वे अपना ऑरिजनल स्कोर बरकरार रखेंगे. यह 5% बफर या परीक्षा के दिन के तनाव जैसे कारकों को ध्यान में रखता है जो उनके री-एग्डाम स्कोर को थोड़ा कम कर सकते हैं. अगर कोई छात्र अपने ओरिजनल अंकों से 5% से अधिक नीचे स्कोर करता है, तो नया कम स्कोर दर्ज किया जाएगा. यह सुनिश्चित करता है कि वास्तविक छात्रों को अनुचित रूप से दंडित न किया जाए और उन्हें थोड़े से बदलाव के लिए कुछ छूट दी जाए.
नीट स्कोर डिफेंडर परीक्षा के फायदे
1. अनफेयर मीन्स का इस्तेमाल करने वाले छात्रों की पहचान करके उन्हें छांटकर बाहर कर देगा
2. यह मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया में शुचिता बनाए रखने में मदद कर सकता है.
3. जो छात्र वाकई में टॉप स्कोर के हकदार हैं, उन्हें सेफ कर सकता है.
4. इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कड़ी मेहनत करने वाले छात्रों को अनुचित रूप से दंडित न किया जाए.
5. लॉजिस्टिक के तौर पर भी फायदा होगा, क्योंकि छात्रों की संख्या ज्यादा नहीं होगी, जिससे दोबारा लॉजिस्टिक चुनौतियों और संसाधनों की जरूरत भी कम होगी.
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नीट परीक्षा दोबारा कराने बनाम नीट स्कोर डिफेंडर परीक्षा: तुलनात्मक विश्लेषण
निम्न तालिका में नीट री-एग्जाम और नीट स्कोर डिफेंडर परीक्षा के अलग-अलग पहलुओं में तुलना की गई है:
| पहलू | नीट री-एग्जाम | नीट स्कोर डिफेंडर परीक्षा |
| उद्देश्य | अनुचित साधनों से पास हुए छात्रों को बाहर निकालना. | अनुचित साधनों का इस्तेमाल करने वालों को बाहर निकालते हुए वास्तविक छात्रों की रक्षा करना. |
| निष्ठा | प्रणाली और चयन प्रक्रिया की ईमानदारी बहाल करना. | टॉप रैंक वालों पर फोकस करके और निष्पक्ष तरीक से परीक्षा प्रणाली में विश्वास बनाए रखना. |
| वास्तविक छात्रों पर प्रभाव | पहले से ही अच्छे अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को परीक्षा दोबारा देने के लिए मजबूर करके उन्हें अनुचित रूप से दंडित करना. | उचित बफर के साथ उनके स्कोर बनाए रखने की अनुमति देकर वास्तविक छात्रों के हितों की रक्षा करना. |
| लॉजिस्टिक चुनौतियां | 23 लाख से अधिक छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित करना एक बहुत बड़ा काम है, जिसके लिए महत्वपूर्ण संसाधनों, समय और पर्याप्त लॉजिस्टिक कठिनाइयां होंगी. | लक्षित छात्रों की संख्या (टॉप 50,000 या 1 लाख) को कम रखना, परीक्षा को अधिक नियंत्रणीय और कुशल बनाना. |
| अनिश्चितता और तनाव | पहले ही अपनी योग्यता साबित कर चुके छात्रों के लिए अत्यधिक दबाव और तनाव पैदा करना. | 5% बफ़र के साथ स्कोर बनाए रखने की अनुमति देकर तनाव कम करने वाला एक निष्पक्ष वातावरण प्रदान करना. |
| कार्यान्वयन | सभी छात्रों की परीक्षा दोबारा कराने की आवश्यकता होती है, जो सीधी लेकिन लॉजिस्टिक रूप से जटिल है. | सीधी परीक्षा दोबारा कराने की तुलना में अतिरिक्त योजना और क्रियान्वयन की आवश्यकता होती है, लेकिन अधिक केंद्रित और निष्पक्ष है. |
| प्रभाव | धोखा करने वाले छात्रों की पहचान सुनिश्चित करता है, लेकिन वास्तविक छात्रों को प्रभावित करने की कीमत पर. | वास्तविक छात्रों की परेशानी को कम करते हुए धोखा देने वालों को प्रभावी ढंग से समाप्त करता है. |
बता दें कि नीट री-एग्जाम को लेकर केंद्र सरकार भी तैयार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र की ओर से कहा गया है कि सरकार उन छात्रों की चिंताओं को दूर करने के लिए बाध्य है जिन्होंने नीट परीक्षा 2024 दी है. हलफनामे में कहा गया, सरकार समाधान खोजने के लिए चौतरफा प्रयास कर रही है, साथ ही यह सुनिश्चित कर रही है कि किसी भी दोषी उम्मीदवार को कोई लाभ न मिले. यह भी सुनिश्चित किया जाए कि 23 लाख छात्रों पर सिर्फ आशंकाओं के चलते एक नई परीक्षा का बोझ न डाला जाए.