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पटना से रांची तक नेटवर्क... NEET सॉल्वर्स गैंग कैसे करता है काम, कैसे ट्रैप में आते हैं डॉक्टर?

सीबीआई ने सॉल्वर गैंग से जुड़े पटना एम्स के चार मेडिकल छात्रों को गुरुवार सुबह गिरफ्तार किया था. इसके बाद गैंग के अन्य सदस्यों के बारे में सुराग मिले. जांच का दायरा सात सूबों में फैल चुका है और अब तक 46 से ज्यादा आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.

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पेपर लीक मामले में सीबीआई लगातार कर रही है आरोपियों से पूछताछ
पेपर लीक मामले में सीबीआई लगातार कर रही है आरोपियों से पूछताछ

NEET पेपर लीक में पहली बार साफ हो गया है कि सॉल्वर्स गैंग ने एमबीबीएस के तेजतर्रार छात्रों का इस्तेमाल किया था. संजीव मुखिया के रिश्तेदार और खास गुर्गे रॉकी ने कुछ दूसरे लोगों के जरिये इन छात्रों तक पहुंच बनाई और पेपर सॉल्व कराया. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि पैसे के लिए पेपर सॉल्व करने वाले इन छात्रों ने क्या यही पेपर आगे भी लीक किया. क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो लीक बडे पैमाने पर होने का शक पैदा होता है.

बिहार में अब तक 5 मेडिकल छात्रों की पुलिस हिरासत से पेपर लीक की सारी कड़ियां जुड़ती जा रही हैं. जांच का दायरा सात सूबों में फैल चुका है और अब तक 46 से ज्यादा आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. सीबीआई यह पता लगाने में जुटी हुई है कि पेपर लीक में किसका क्या रोल था.

लालच की वजह से ट्रैप में आए डॉक्टर

जैसे-जैसे जांच मुकम्मल दिशा में बढी तो पांच मेडिकल स्टूडेंट गिरफ्त में आ गए और इनके तार पटना के एम्स और रांची के रिम्स से जुड़े हुए पाए गए. अब तक पटना एम्स के चार छात्र औऱ रांची रिम्स की एक मेडिकल छात्रा को सीबीआई ने हिरासत में ले लिया है और इनसे कड़ी पूछताछ की जा रही है. ये सारी गिरफ्तारियां पेपर लीक के सबसे बडे खिलाड़ी संजीव मुखिया के भांजे रॉकी की गिरफ्तारी के बाद हुई हैं.

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रॉकी ने ही पेपर सॉल्व कराया और इसके लिए उसने सुरेंद्र नाम के शख्स को मददगार बनाया. सुरेंद्र ने ऐसे मेडिकल छात्रों का जुगाड़ किया जो पेपर सॉल्व कर पाएं. गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए सभी छात्रों ने मान लिया है कि वो पेपर सॉल्व करने के मामले में शामिल थे और सुरेंद्र के संपर्क में थे. आशंका है कि इन डॉक्टर स्टूडेंट को बड़ी धनराशि का भुगतान किया था और लालच के कारण ही ये सॉल्वर्स गैंग का हिस्सा बन गए. पटना में भी गिरफ्तार चार छात्रों से लगातार सीबीआई पूछताछ कर रही है. 

रॉकी था सॉल्वर्स गैंग का सरगना! 

रॉकी ही सीबीआई के लिए पेपर लीक का सबसे बडा राजदार साबित हो रहा है. रॉकी ने पेपर सॉल्व करने वाले MBBS स्टूडेंट्स का राज CBI के सामने उगला जिसके बाद पटना AIIMS के 4 मेडिकल स्टूडेंट्स की गिरफ्तारी हुई और रांची रिम्स की छात्रा को हिरासत में लिया गया. 

CBI को आशंका है कि सॉल्वर बने मेडिकल स्टूडेंट्स ने अपने संपर्क के लोगों को भी सॉल्व्ड पेपर भेजा. पांचों मेडिकल स्टूडेंट्स के लैपटॉप और मोबाइल फोन से भी सीबीआई को अहम लीड मिलने की संभावना है. पटना एम्स से जो छात्र गिरफ्तार किए गए उनके नाम चंदन सिंह, कुमार शानू, राहुल आनंद और करण जैन हैं.

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कैसे काम करता है गैंग

अब आपको बताते हैं कि कहां से पेपर लीक हुआ और कैसे पैसा देने वाले छात्रों तक पहुंचा. दरअसल जांच एजेंसी ने तीन दिन पहले ही इस मामले के सबसे अहम किरदारों में से एक पंकज सिंह को पकड़ा था. पंकज ही वो आरोपी है, जिसने हजारीबाग के रास्ते में परीक्षा से पहले NEET एंट्रेंस के पेपर को ट्रंक से निकाला. पंकज के साथ उसकी मदद के लिए राजू था.

राजू हजारीबाग के ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल एहसान उल हक का बेहद करीबी है. राजू ने एहसान उल हक को ही लीक पेपर भेज दिए. स्कूल प्रिंसिपल एहसान उल हक को पेपर मिला और उसने पटना में संजीव मुखिया को पेपर भेजा. संजीव मुखिया ने अपने बेहद भरोसेमंद रॉकी को वो पेपर भेज देता है. रॉकी पर MBBS छात्रों से पेपर सॉल्व कराने की जिम्मेदारी थी. 

रॉकी ने अपना बखूबी निभाया और फिर चिंटू को भेज दिया. आगे का काम चिंटू ने पूरा किया.उसने प्रश्न पत्र और उत्तर जेरॉक्स कर पटना के खेमनीचक में उस सेफ हाउस तक पहुंचाए, जहां सेटिंग वाले अभ्यर्थी रूके हुए थे.अब सिर्फ सबसे बडे खिलाडी संजीव मुखिया की गिरफ्तारी बाकी है. 

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क्या था पूरा मामला?

चार जून को नीट यूजी परीक्षा का परिणाम सामने आने के बाद से ही अभ्यर्थ‍ियों में खलबली मची हुई है. रिजल्ट देखने के बाद 67 टॉपर्स और एक ही सेंटर से 8 टॉपर का नाम लिस्ट में देखने के बाद छात्रों को परीक्षा में धांधली का संदेह था. इसके बाद छात्रों ने सड़कों से लेकर सोशल मीडिया पर एनटीए के खिलाफ जांच की मांग उठाई. सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं और इस बीच कोर्ट के सामने एनटीए ने फैसला लिया कि वह ग्रेस मार्क्स वाले कैंडिडेट्स का दोबारा एग्जाम करवाएंगे. 23 जून को परीक्षा हुई और टॉपर 67 से घटकर 61 हो गए.

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