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कोटा: अब हॉस्टल के गेट कीपर भी भांप लेंगे आसपास रहने वाले छात्रों का डिप्रेशन, ऐसे दी जा रही ट्रेनिंग

कोटा में इस साल की शुरुआत में ही छात्रों के सुसाइड और लापता होने के करीब आधा दर्जन मामले सामने आ चुके हैं, इन गंभीर घटनाओं को लेकर प्रशासन कोई ना कोई कदम उठाता रहता है. अब प्रशासन द्वारा हॉस्टल संचालकों को गेटकीपर की ट्रेनिंग दी गई है.

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Kota Gatekeeper Traning
Kota Gatekeeper Traning

कोटा में रहने वाले छात्र मेडिकल-इंजीनिय‍रिंग का सपना लेकर यहां पहुंचते हैं. इन बच्चों में कई बार एंजाइटी और डिप्रेशन का न टीचर्स को पता चल पाता है और न ही माता-पिता को. ऐसे में कोटा पुलिस ने नई पहल करते हुए वहां के हॉस्टल संचालकों समेत गेट कीपर्स तक सभी को इसके लिए ट्रेंड करने का प्रयास किया है.

यहां लगातार बढ़ते सुसाइड के मामलों को देखते हुए प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है. इसी कड़ी में प्रशासन की ओर से एक और पहल "गेट कीपर ट्रेनिंग" शुरू की गई है. इसमें हॉस्टल संचालक, हॉस्टल मैनेजर, हॉस्टल वार्डन और अन्य स्टाफ को ट्रेनिंग दी गई है. इसका उद्देश्य ये है कि वो भी आसानी से कुछ व्यवहारिक बदलावों और हावभाव के जरिये ये पता लगा सकें कि कौन-सा बच्चा परेशान है. इस ट्रेनिंग में बताया गया कि छात्रों के हर कदम, उनके मूड, उनके बदलते व्यव्हार और उनकी हरकतों पर नजर कैसे बनाए रखनी है.

गेट कीपर ट्रेनिंग में सिखाया गया ये

5000 लोगों को दी गई इस ट्रेनिंग में समझाया गया कि ऐसे बच्चों की पहचान करें जो तनाव में आकर खाना नहीं खा रहे हैं, उदास नजर आ रहे हैं या फिर अपने कमरे की सफाई नहीं करवा रहे हैं और अपने घर वालों से सही से भी बात नहीं कर रहे हैं. किसी बच्चे में ऐसी कोई भी हरकत दिखाई दे तो उसपर गौर करें ताकि प्रशासन छात्र की पहचान कर सके और उसकी काउंसलिंग करा सके.

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ट्रेनिंग में ये लोग शामिल 

प्रशासन ने नोडल अधिकारी बनाकर गेटकीपर ट्रेनिंग की पहल शुरू की है, जिसमें हॉस्टल के प्रत्येक कर्मचारियों को गेट कीपर ट्रेनिंग दी गई है. प्रशासन अधिकारियों के साथ ही कोचिंग संस्थानों को भी यह जिम्मेदारी मिली है. हॉस्टल एसोसिएशन के साथ मिलकर इस पहल पर काम किया जा रहा है और कोचिंग संस्थानों को जिम्मेदारी दी गई है कि वह हॉस्टल के संचालक, मैनेजर, वार्डन, सफाई कर्मी, मेस कर्मी से बातचीत रखें. 

ट्रेनिंग प्राप्त करने वालों का बनेगा कार्ड

कोटा में 3 फरवरी को गेट कीपर ट्रेनिंग शुरू की गई थी और 12 दिन में 24 सेशन में 5000 लोगों को ट्रेनिंग दी गई. ट्रेनिंग में हॉस्टल के प्रत्येक कर्मचारी से एक फॉर्म भरवारा गया है, जिसमें उसके नाम के साथ ही मोबाइल नंबर और हॉस्टल सहित जो अन्य डिटेल्स हैं वह शामिल हैं. इसी के आधार पर अब सभी का एक कार्ड बनकर आएगा जिससे यह मान्यता मिलेगी कि वह गेट कीपर ट्रेनिंग कर चुके हैं. 

हॉस्टल पर रहेगी प्रशासन की नजर

इसके अलावा प्रशासन की टीमें हॉस्टल में जाकर चेक करेंगी कि जो प्रशासन की गाइडलाइन हैं, वे फॉलो हो पा रही हैं या नहीं. अगर किसी हॉस्टल में प्रशासन की गाइडलाइन की अवहेलना पाई गई तो उनकी एक अलग लिस्ट बनेगी, जिसके बाद हॉस्टल संचालकों पर प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जाएगी.

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