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डेपोर्टेशन का डर, Visa रिजेक्शन की टेंशन...इस माहौल में इंड‍ियन स्टूडेंट्स क्या करें? एक्सपर्ट ने बताए खास टिप्स

आप अमेरिका में पढ़ाई करने जा रहे हैं, यह कभी न भूलें. यदि आप हिंसक विरोध प्रदर्शनों में भाग लेना चाहते हैं या विवादास्पद विचार लेख लिखना चाहते हैं तो जाह‍िर है इसको अच्छे रूप में नहीं ल‍िया जाएगा. इसलिए एक साफ-सुथरा डिजिटल फुटप्रिंट बनाए रखें. आज आपका सोशल मीडिया आपका दूसरा पासपोर्ट हैं. इसकी समीक्षा की जाएगी और यहां कोई भी विवादास्पद बात चिंता का विषय हो सकती है. 

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How Indian students can stay ahead amid US visa jitters (Representational pic)
How Indian students can stay ahead amid US visa jitters (Representational pic)

अमेरिका जाने की तैयारी कर रहे भारतीय छात्रों के लिए इन दिनों चिंता का माहौल है. वीज़ा नियम सख्त हो गए हैं, छोटी-छोटी बातों पर पूछताछ और रिजेक्शन का डर है. जो पहले एक सीधी-सी प्रक्रिया लगती थी, अब उसमें अनिश्चितता और तनाव शामिल हो गया है. करियर काउंसलर और हार्वर्ड के पूर्व छात्र डॉ. करण गुप्ता अक्सर पूछे जाने वाले ऐसे ही सवालों का जवाब दे रहे हैं. उन्होंने सतर्कता, शैक्षणिक अनुशासन, स्वच्छ डिजिटल फुट प्र‍िंट और यूरोप और यूनाइटेड किंगडम को शामिल करते हुए एक सोचा-समझा प्लान बी तैयार करने की सलाह भी दी है. 

भारतीय छात्र वीज़ा इंटरव्यू और अमेरिका पहुंचने के बाद किन बातों का ध्यान रखें ताकि किसी मुसीबत में न फंसे?

छात्रों को सबसे पहले सेल्फ अवेयर और अनुशाष‍ित होना चाहिए. अपने वीज़ा इंटरव्यू में ईमानदार रहें, अपने एकेडमिक गोल के बारे में स्पष्ट रहें और ऐसी कोच‍िंग से बचें जो असंगत लगती हो. अमेरिका में आने के बाद, सभी कक्षाओं में भाग लें, अपने नामित स्कूल अधिकारी के संपर्क में रहें और बिना अनुमति के कभी काम न करें. ऐसी सक्रियता से बचें जिसे राजनीतिक व्यवधान के रूप में समझा जा सकता है. 

आप अमेरिका में पढ़ाई करने जा रहे हैं, यह कभी न भूलें. यदि आप हिंसक विरोध प्रदर्शनों में भाग लेना चाहते हैं या विवादास्पद विचार लेख लिखना चाहते हैं तो जाह‍िर है इसको अच्छे रूप में नहीं ल‍िया जाएगा. इसलिए एक साफ-सुथरा डिजिटल फुटप्रिंट बनाए रखें. आज आपका सोशल मीडिया आपका दूसरा पासपोर्ट हैं. इसकी समीक्षा की जाएगी और यहां कोई भी विवादास्पद बात चिंता का विषय हो सकती है. 

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यदि छात्रों को अमेरिकी विश्वविद्यालय में एडमिशन मिल गया है लेकिन वे समय पर वीज़ा प्राप्त करने में असमर्थ हैं तो उन्हें क्या करना चाहिए?

वाणिज्य दूतावास में लंबित मामलों, कड़ी जांच और वीजा जारी करने में देरी के कारण अब यह एक वास्तविक संभावना है. इस स्थिति में छात्रों को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. सबसे पहले अपने विश्वविद्यालय को सूचित करें, यदि जरूरी हो तो स्थगन का अनुरोध करें या पता लगाएं कि क्या वे ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर सकते हैं और बाद में कैंपस में जा सकते हैं. कुछ विश्वविद्यालय हाइब्रिड स्टार्ट या स्प्रिंग इनटेक का ऑप्शन भी देते हैं. साथ ही, छात्रों को अन्य देशों में बैकअप एडमिशन तैयार रखना चाहिए. छात्रों को घबराना नहीं चाहिए. कुछ सप्ताह तक इंतजार करना समझदारी भरा कदम होगा. आजकल अमेरिका का एडमिशन लेटर किसी गारंटी की तरह नहीं है. इसलिए फ्लेक्सिबल प्लान बनाएं और ज़रूरत पड़े तो समय रहते प्लान बी पर शिफ्ट हो जाएं. 

आगामी सत्र के लिए पहले से ही इनरोल्ड भारतीय छात्रों की स्थिति क्या है? क्या अमेरिकी सरकार के प्रतिबंधों का उन पर कोई प्रभाव पड़ेगा?

फिलहाल जिन छात्रों के पास पहले से ही वैध F-1 वीज़ा है और जो आगामी एडमिशन में कक्षाएं शुरू करने वाले हैं, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. जब तक कि उनके विश्वविद्यालय को छात्र और विनिमय आगंतुक कार्यक्रम प्रमाणन (Student and Exchange Visitor Programme certification) है या वे छात्र विशिष्ट वीज़ा शर्तों का उल्लंघन नहीं करते, तब तक उनकी स्थिति काफी हद तक सुरक्षित है. 

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हालांकि, छात्रों को सतर्क रहना चाहिए. उन्हें फुल टाइम एनरोलमेंट, एकेडमिक प्रोग्रेस और रेगुलर अटेंडेंस का ध्यान रखना चाहिए. अगर कोई स्टूडेंट कोर्स बीच में छोड़ता है, ज़्यादा छुट्टी लेता है या कोई अनधिकृत काम करता है तो उसकी रिपोर्ट सीधे यूएस इमिग्रेशन अथॉरिटी को जा सकती है. इसलिए अपने कॉलेज के इंटरनेशनल ऑफिस से लगातार संपर्क बनाए रखें. 

जिन छात्रों को अमेरिकी विश्वविद्यालयों में एडमिशन नहीं मिलता, उनके पास यूरोप या दूसरे क्या विकल्प हैं?

हाल के वर्षों में यूरोप न केवल मास्टर और एमबीए के इच्छुक लोगों के लिए बल्कि स्नातक छात्रों के लिए भी बहुत अधिक आकर्षक बन गया है. स्पेन, जर्मनी, नीदरलैंड, फ्रांस और आयरलैंड जैसे देश अब व्यवसाय, इंजीनियरिंग, डिजाइन, मनोविज्ञान और अन्य विषयों में उच्च गुणवत्ता वाले इंग्ल‍िश में पढ़ाई करवाते हैं, वो भी कम खर्च में. उदाहरण के लिए जर्मनी में तो कई सरकारी यूनिवर्सिटी ट्यूशन फीस भी नहीं लेतीं. नीदरलैंड और स्कैंडिनेवियन देशों में करियर से जुड़े बेहतरीन कोर्स मिलते हैं, जिसका उद्योग से गहरा संबंध है. स्कैंडिनेवियाई राष्ट्र प्रगतिशील शिक्षा मॉडल और उदार छात्रवृत्ति प्रदान करते हैं. स्पेन में IE यूनिवर्सिटी, IESE और ESADE जैसे अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय हैं. 

यूरोप के अलावा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और यहां तक कि यूएई जैसे देश भी ग्लोबल तौर पर अच्छे विकल्प बन गए हैं, जो वीज़ा की चिंता के बिना शैक्षणिक गुणवत्ता की तलाश कर रहे हैं. अमेरिकी वीज़ा प्रक्रिया को लेकर मौजूदा चिंता को देखते हुए बैकअप के तौर पर कई छात्र यूके में आवेदन कर सकते हैं, जहां अधिकांश विश्वविद्यालयों में रोलिंग एडमिशन होते हैं और कक्षाएं साल के अंत में शुरू होती हैं. 

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क्या नए वीज़ा प्रतिबंध अमेरिकी यून‍िवर्स‍िटीज में पहले से पढ़ रहे छात्रों पर भी लागू होंगे? नए नियमों के अनुसार क्लास छोड़ने या पढ़ाई छोड़ने पर भी कार्रवाई की जा सकती है? 

हां, और यहीं असली चिंता है.अब यूएस सरकार वीज़ा को सिर्फ एक बार की मंजूरी नहीं मान रही, वो पूरे स्टडी पीरियड के दौरान आपके बिहेवियर और परफॉर्मेंस पर नजर रखेगी. इसका मतलब है कि मामूली उल्लंघन भी जैसे क्लास मिस करना, ज़्यादा दिन छुट्टी पर रहना, या अनधिकृत पार्ट टाइम काम आपका वीजा कैंसल करा सकता है.  छात्रों को बहुत सावधान रहना होगा. यहां तक कि ट्रैफ‍िक नियमों का मामूली उल्लंघन भी वीज़ा कैंस‍िल करने का कारण बन सकता है. विश्वविद्यालयों से ऐसे उल्लंघनों की तुरंत रिपोर्ट करने के लिए कहा जा रहा है, जिससे छात्रों और शैक्षणिक संस्थानों दोनों पर ज़्यादा ज़िम्मेदारी आ जाएगी. 

संदेश स्पष्ट है कि अगर आप अमेरिका जा रहे हैं या जाने की सोच रहे हैं तो आपको ये समझना होगा कि वीज़ा अब कोई पक्का अधिकार नहीं है, ये एक विशेषाधिकार है जो कभी भी रद्द हो सकता है. इसलिए सतर्क रहना, नियमों का पालन करना और बैकअप प्लान बनाकर रखना ही समझदारी है. 

(डॉ. करण गुप्ता एक करियर गाइड और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र हैं. इस लेख में व्यक्त व‍िचार लेखक की अपनी राय पर आधार‍ित हैं)

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मुंबई से डॉ. करण गुप्ता की सलाह
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